आफ़स्पा के विरोध और सुरक्षाबलों की गोलीबारी में मारे गए 14 आम नागरिकों के लिए इंसाफ़ की मांग करते हुए सैकड़ों की संख्या में नगा लोगों ने नगालैंड के दीमापुर शहर से 70 किलोमीटर दूर राज्य की राजधानी कोहिमा तक पैदल मार्च किया.
दीमापुर: सैकड़ों नगा लोगों ने नगालैंड से सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (आफस्पा) हटाने और मोन जिले में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में मारे गए 14 आम नागरिकों के लिए इंसाफ की मांग करते हुए दीमापुर से 70 किलोमीटर दूर राज्य की राजधानी कोहिमा तक दो दिवसीय पैदल मार्च में हिस्सा लिया.
इस पैदल मार्च को विभिन्न जनजातीय संगठनों एवं प्रबुद्ध संगठनों का समर्थन मिला.
मार्च दीमापुर के सुपर मार्केट से प्रारंभ हुआ. उसमें हिस्सा लेने वाले लोगों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून को निरस्त करने एवं मृतकों के वास्ते इंसाफ की मांग करते हुए नारे लिखे थे.
मार्च के समन्वयकों में से एक रूकेवेजो वेत्साह ने कहा कि यह आफस्पा पर जन-असंतोष प्रकट करने तथा ‘मानव के रूप में अपनी गरिमा’ को पुन: प्रतिष्ठित करने का शांतिपूर्ण एवं लोकतांत्रिक उपाय है.
उन्होंने इस बात पर अफसोस प्रकट किया कि मोन की घटना के बाद जनता की मांग पर ध्यान नहीं देते हुए केंद्र ने 30 दिसंबर 2021 को आफस्पा छह और महीने के लिए बढ़ा दिया. उन्होंने कहा कि लोग केंद्र के फैसले के विरूद्ध अपनी नाखुशी प्रकट करने के लिए एक साथ आए हैं.
Update on #Nagaland: A 70-km long march from Dimapur to Capital Kohima by Naga youths demanding justice for civilians killed by security forces in Oting. The agitation against AFSPA continues. "Justice Denied! Repeal AFSPA," read the placards armed by hundreds of protesters. pic.twitter.com/RrruPPgdh1
— Mahmodul Hassan (@mhassanism) January 10, 2022
आफस्पा की समयसीमा बढ़ाने का यह कदम केंद्र सरकार द्वारा नगालैंड से विवादास्पद आफस्पा को वापस लेने की संभावना की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति के गठन के कुछ दिनों बाद उठाया गया है.
नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत के बाद बढ़े तनाव को कम करने के मकसद से दशकों से नगालैंड में लागू विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (आफस्पा) को हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए बीते 26 दिसंबर 2021 को केंद्र सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है.
मालूम हो को कि बीते चार दिसंबर को सेना की एक टुकड़ी द्वारा मोन जिले में की गई गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत के बाद आफस्पा को वापस लेने के लिए नगालैंड के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
बीते 19 दिसंबर को नगालैंड विधानसभा ने केंद्र सरकार से पूर्वोत्तर, खास तौर से नगालैंड से आफस्पा हटाने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया था. प्रस्ताव में ‘मोन जिले के ओटिंग-तिरु गांव में चार दिसंबर को हुई इस दुखद घटना में लोगों की मौत की आलोचना की गई थी.
नगालैंड में हालिया हत्याओं के बाद से राजनेताओं, सरकार प्रमुखों, विचारकों और कार्यकर्ताओं ने एक सुर में आफस्पा को हटाने की मांग उठाई है.
इन्होंने कहा है कि यह कानून सशस्त्र बलों को बेलगाम शक्तियां प्रदान करता है और यह मोन गांव में फायरिंग जैसी घटनाओं के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)