उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद’ में नफ़रत भरे भाषण देने के मामले में पुलिस ने कुछ माह पूर्व हिंदू धर्म अपनाने वाले वसीम रिज़वी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी को गिरफ़्तार किया है. वहीं, यति नरसिंहानंद और साध्वी अन्नपूर्णा को आईपीसी की धारा 14 के तहत पेश होने के नोटिस भेजे गए हैं.
देहरादून: उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद’ में कथित तौर पर घृणा फैलाने वाले भाषण देने के मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने बृहस्पतिवार को वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी को गिरफ्तार करने के साथ ही दो अन्य आरोपियों यति नरसिंहानंद और साध्वी अन्नपूर्णा को पेश होने के लिए नोटिस जारी किए.
ये तीनों उन अन्य लोगों में शामिल हैं, जिनके खिलाफ मामले में प्राथमिकी दर्ज है.
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि रिजवी को जहां गिरफ्तार किया गया है, वहीं यति नरसिंहानंद और साध्वी अन्नपूर्णा को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के तहत पेश होने के लिए नोटिस भेजे गए हैं.
एनडीटीवी के मुताबिक, त्यागी की गिरफ्तारी के एक वीडियो में नरसिंहानंद को पुलिस को धमकाते और पूछते हुए देखा जा सकता है कि त्यागी को क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है.
नरसिंहानंद को कहते सुना जा सकता है कि, ‘तुम सब मरोगे और अपने बच्चों को भी मरवाओगे.’ उन्होंने कहा, ‘मैं तीनों मामलों में उनके (वसीम रिजवी) साथ हूं. क्या उसने इसे अकेले किया?’
वहीं, अधिकारी कहते हैं, ‘त्यागी स्थिति को समझ रहे हैं.’ नरसिंहानंद जवाब देते हैं, ‘लेकिन मैं नहीं हूं. वह हमारे समर्थन से हिंदू बन गए.’
कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित डासना मंदिर के पुजारी हैं जो अपने बयानों को लेकर पहले भी विवादों में रहे हैं.
यति नरसिंहानंद ने हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन किया था जबकि साध्वी अन्नपूर्णा ने आयोजन में वक्ता के रूप में भाग लिया था, जहां मुसलमानों के खिलाफ कथित तौर पर भडकाऊ भाषण दिए गए.
हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक योगेंद्र रावत ने बताया कि रिजवी को रुड़की के नारसन बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया.
कुछ माह पूर्व हिंदू धर्म अपनाने के बाद जितेंद्र नारायण त्यागी बने 52 वर्षीय लखनऊ निवासी वसीम रिजवी का नाम उन 10 से ज्यादा लोगों में शामिल है, जिनके खिलाफ मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. रिजवी उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख रह चुके हैं.
हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर तक हुई धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में यह पहली गिरफ्तारी है.
यह पूछे जाने पर कि क्या इस मामले में और भी गिरफ्तारी होंगी, पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह आगे की विवेचना पर निर्भर करेगा.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गिरफ्तारी के समय नरसिंहानंद और त्यागी गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर से हरिद्वार जा रहे थे.
नरसिंहानंद ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘उन्होंने जितेंद्र नारायण त्यागी को गिरफ्तार कर लिया है. यह अन्याय है और मैं इस अन्याय के खिलाफ हरिद्वार के सर्वानंद घाट पर धरना पर बैठ गया हूं. जब तक उन्हें रिहा नहीं किया जाता है, तब तक मैं खाना या पानी नहीं पीऊंगा.’
उन्होंने कहा, ‘जब त्यागी को गिरफ्तार किया गया तो मैं उनके साथ था, लेकिन पुलिस मुझे नहीं ले गई. उन्हें इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि वह एक समय मुसलमान थे और उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया था. ऐसा इसलिए है ताकि कोई अन्य मुस्लिम हिंदू धर्म में परिवर्तित न हो.’
नरसिंहानंद ने दावा किया कि उसने गिरफ्तार होने की पेशकश की थी क्योंकि वह भी एक आरोपी है.
उन्होंने कहा, ‘हम त्यागी को जेल से बाहर निकालने के लिए कानूनी तरीके भी अपनाएंगे. अगर सुप्रीम कोर्ट की वजह से यह कदम उठाया गया तो हम उस पर भी ध्यान देंगे. जरूरत पड़ी तो हम सुप्रीम कोर्ट के सामने भी धरना प्रदर्शन करेंगे.’
नरसिंहानंद के करीबी सूत्रों ने दावा किया कि प्राथमिकी में नामजद कुछ अन्य लोग भी उनके साथ मौजूद थे. वहीं, जितेंद्र नारायण त्यागी ने अपनी गिरफ्तारी के बाद ट्वीट कर कहा, ‘मुझे आतंकवादी की तरह गिरफ्तार किया गया है.’
किसी आतंकवादी की तरह मुझे हरिद्वार जेल ले ज़ाया गया है। pic.twitter.com/BqXLYBKSmJ
— Jitendra Tyagi (@JitendraNTyagi) January 13, 2022
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि, ‘इस वक्त मुझे हरिद्वार ज़िला कारागार में डाला गया हैं. जो मैंने कहा ही नहीं उस अपराध के लिए.’
गौरतलब है कि धर्म संसद में कथित भडकाऊ भाषण देने के मामले में कार्रवाई करने को लेकर राज्य सरकार पर चौतरफा दबाव पड़ रहा था. इस मामले में बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने भी घटना के इतने दिनों बाद भी कोई कार्रवाई न करने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई की थी.
मालूम हो कि उत्तराखंड के हरिद्वार में 17-19 दिसंबर 2021 के बीच हिंदुत्ववादी नेताओं और कट्टरपंथियों द्वारा इस ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया गया, जिसमें मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों के खिलाफ खुलकर नफरत भरे भाषण (हेट स्पीच) दिए गए, यहां तक कि उनके नरसंहार का आह्वान भी किया गया था.
कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद इस धर्म संसद के आयोजकों में से एक थे. नरसिंहानंद पहले ही नफरत भरे भाषण देने के लिए पुलिस की निगाह में हैं.
यति नरसिंहानंद ने मुस्लिम समाज के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी करते हुए कहा था कि वह ‘हिंदू प्रभाकरण’ बनने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये देंगे.
मामले में 15 लोगों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. इस आयोजन का वीडियो वायरल होने पर मचे विवाद के बाद 23 दिसंबर 2021 को इस संबंध में पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें सिर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को नामजद किया गया था. इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने से पहले त्यागी का नाम वसीम रिजवी था.
प्राथमिकी में 25 दिसंबर 2021 को बिहार निवासी स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडेय के नाम जोड़े गए. पूजा शकुन पांडेय निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर और हिंदू महासभा के महासचिव हैं.
इसके बाद बीते एक जनवरी को इस एफआईआर में यति नरसिंहानंद और रूड़की के सागर सिंधुराज महाराज का नाम शामिल किया गया था.
बीती दो जनवरी को राज्य के पुलिस महानिदेशक ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया था. उसके बाद बीते तीन जनवरी को धर्म संसद के संबंध में 10 लोगों के खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज की गई थी.
दूसरी एफआईआर में कार्यक्रम के आयोजक यति नरसिंहानंद गिरि, जितेंद्र नारायण त्यागी (जिन्हें पहले वसीम रिज़वी के नाम से जाना जाता था), सागर सिंधुराज महाराज, धरमदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रबोधानंद गिरि को नामजद किया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)