तमिलनाडु: कथित तौर पर पुलिस हिरासत में विशेष रूप से सक्षम दलित की मौत

तमिलनाडु के सेलम ज़िले के रहने वाले प्रभाकर और उनकी पत्नी को चोरी के संदेह में तीन थानों की पुलिस उनके घर से मारपीट करके जबरन उठा ले गई थी. चार दिन बाद पुलिस ने उनके परिवार को सूचित किया कि प्रभाकर अस्पताल में हैं और उसकी हालत गंभीर है. हिरासत में प्रताड़ना के आरोपों के बीच तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है.

Representative image of Tamil Nadu police. Photo: PTI.

तमिलनाडु के सेलम ज़िले के रहने वाले प्रभाकर और उनकी पत्नी को चोरी के संदेह में तीन थानों की पुलिस उनके घर से मारपीट करके जबरन उठा ले गई थी. चार दिन बाद पुलिस ने उनके परिवार को सूचित किया कि प्रभाकर अस्पताल में हैं और उसकी हालत गंभीर है. हिरासत में प्रताड़ना के आरोपों के बीच तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: तमिलनाडु के सेलम जिले के करुप्पुर में रहने वाले विशेष रूप से सक्षम (Differently Abled) एक दलित व्यक्ति के बीते 12 जनवरी को पुलिस हिरासत में मृत पाए जाने का मामला सामने आया है.

द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, उक्त व्यक्ति को पुलिस द्वारा उसकी पत्नी के साथ चोरी के आरोप में बीते आठ जनवरी को घर से उठा लिया गया था. प्रभाकर अनुसूचित जाति (एससी) और उनकी पत्नी अमशला अनुसूचित जनजाति (एसटी) से ताल्लुक रखते थे.

प्रभाकर और उनकी पत्नी अमशला को आठ जनवरी को राज्य के नामक्कल जिले के तीन अलग-अलग पुलिस थानों के अधिकारियों की संयुक्त टीम ने कथित तौर पर उनके घर से पकड़कर हिरासत में ले लिया था. पुलिस एक आभूषण चोरी के मामले में संदिग्ध लोगों की तलाश कर रही थी.

प्रभाकर के भाई शक्तिवेल उस वक्त घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीद थे. उनके मुताबिक, दंपत्ति को गालियां दी गईं और उनके ही घर में उन्हें पीटा गया.

नामक्कल के पुदुचत्रम, तिरुचेंगोड और सेंथामंगलम स्टेशनों की पुलिस एक आभूषण चोरी के मामले में प्रभाकर के घर पहुंची थी. प्रभाकर को नामक्कल ले जाया गया, जहां उन्हें उप-जेल में रखा गया था. चार दिन बाद 12 जनवरी को उनकी मौत हो गई.

हिरासत में प्रताड़ना के आरोपों के बीच तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है.

शक्तिवेल द्वारा इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई है. सेलम शहर पुलिस द्वारा दर्ज की गई इस शिकायत में शक्तिवेल ने आरोप लगाए हैं कि नामक्कल पुलिस द्वारा प्रभाकर और अमशला को घसीटकर घर से बाहर निकाला गया. अमशला को उसके बाल पकड़कर घसीटा गया था. उसके बाद घर के बाहर लाकर दोनों को वापस पीटा.

शिकायत के अनुसार, हंगामा सुनकर पड़ोसी बाहर निकल आए और एक विशेष रूप से सक्षम आदमी को पीटे जाने का विरोध किया, लेकिन पुलिस ने भीड़ को भी धमका दिया कि अगर वह चुप नहीं होते तो इससे भी बुरा होगा.

बहरहाल, पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 176 के तहत मामला दर्ज किया है, जिसमें मजिस्ट्रेट द्वारा जांच की जाती है.

शक्तिवेल के बयान के मुताबिक, हंगामे की सूचना मिलते ही सेलम में करुप्पुर पुलिस मौके पर पहुंच गई. उन्होंने प्रभाकर और अमशला को यह कहते हुए हिरासत में ले लिया कि उन्हें करुप्पुर थाने ले जाया जा रहा है.

हालांकि, शक्तिवेल ने आरोप लगाया कि जब वे उनकी तलाश में निकले तो न तो करुप्पुर स्टेशन पर दंपत्ति मिले और न ही सेलम और नामक्कल की किसी अदालत में मिले. दो दिन की असफल तलाश के बाद प्रभाकर के बेटे ने 10 जनवरी को ऑनलाइन गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई.

शक्तिवेल ने एफआईआर में बताया है कि 12 जनवरी को रात को उनके परिवार के पास एक फोन आया, व्यक्ति ने खुद को पुलिस वाला बताते हुआ कहा कि आपका भाई सेलम के सरकारी अस्पताल में है और उसकी हालत गंभीर है.

अस्पताल पहुंचकर शक्तिवेल को पता लगा कि एक दिन पहले ही अमशला को रिमांड पर सेलम की महिला जेल भेज दिया गया था, जबकि प्रभाकर को नामक्कल की उप-जेल में रखा था.

शक्तिवेल के मुताबिक, जब प्रभाकर की हालत बिगड़ी तो उन्हें सेलम अस्पताल ले जाया गया, जहां बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया.

एक स्थानीय संगठन के नेता ने इस संबंध में द न्यूज मिनट को एक वीडियो भी भेजा है, जिसमें अमशला 8 जनवरी की उस भयावह घटना की आप-बीती सुना रही हैं.

इस वीडियो में वे कहते हुए देखी जा सकती हैं कि कैसे पुलिस अधिकारी ने दोनों पति-पत्नी को पीटा, जबकि जमीन पर पड़े हुए उनके पति लगातार कहते रहे थे कि वो चल नहीं सकते हैं और चोरी में उनकी कोई भूमिका नहीं है. इस पर अधिकारी उन्हें पुलिस की ताकत का रौब दिखा रहे थे.

उन्होंने बताया कि उक्त पुलिस अधिकारी चंद्रन (जिसे निलंबित किया जा चुका है) वर्दी में नहीं, आम कपड़ों में थे.

उन्होंने उक्त वीडियो में एक और पुलिस अधिकारी का नाम लिया है, जिसने प्रभाकर के साथ मारपीट की थी. लेकिन, द न्यूज मिनट के मुताबिक, रिपोर्ट फाइल करते समय तक उस पुलिस अधिकारी का नाम निलंबित पुलिस अधिकारियों की सूची में नहीं था.

वहीं, पुलिस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से बच रही है.