अरुणाचल प्रदेश से भाजपा सांसद तापिर गाओ ने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने राज्य के अपर सियांग ज़िले से 17 वर्षीय एक किशोर का अपहरण कर लिया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि हम मिराम तरोन के परिवार के साथ हैं और उम्मीद नहीं छोड़ेंगे, हार नहीं मानेंगे. प्रधानमंत्री की बुज़दिल चुप्पी ही उनका बयान है- उन्हें फर्क नहीं पड़ता!
नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश से भाजपा सांसद तापिर गाओ ने बीते बुधवार को कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने राज्य में भारतीय क्षेत्र के अपर सियांग जिले से एक 17 वर्षीय किशोर का अपहरण कर लिया है.
गाओ ने कहा कि अपहृत किशोर की पहचान मिराम तरोन के रूप में हुई है. उन्होंने कहा कि चीनी सेना ने सियुंगला क्षेत्र के लुंगता जोर इलाके से किशोर का अपहरण किया.
सांसद ने लोअर सुबनसिरी जिले के जिला मुख्यालय जीरो से फोन पर कहा कि पीएलए से बचकर भागने में कामयाब रहे तरोन के मित्र जॉनी यइयिंग ने स्थानीय अधिकारियों को अपहरण के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि दोनों किशोर जिडो गांव के रहने वाले हैं.
सांसद ने कहा कि यह घटना उस स्थान के पास हुई, जहां त्सांगपो नदी भारत (अरुणाचल प्रदेश) में प्रवेश करती है.
त्सांगपो को अरुणाचल प्रदेश में सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है.
इससे पहले गाओ ने ट्वीट कर बीते 18 जनवरी को किशोर के अपहरण के बारे में जानकारी साझा की थी.
उन्होंने ट्वीट के साथ अपहृत किशोर की तस्वीर साझा की और कहा, ‘भारत सरकार की सभी एजेंसियों से किशोर की जल्द रिहाई सुनिश्चित करने का अनुरोध है.’
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His friend escaped from PLA and reported to the authorities.
All the agencies of Govt of India is requested to step up for his early release.@narendramodi @AmitShah @rajnathsingh @PemaKhanduBJP @ChownaMeinBJP @adgpi— Tapir Gao (@TapirGao) January 19, 2022
इससे पहले गाओ ने ट्वीट किया था, ‘कल 18 जनवरी 2022 को चीनी पीएलए ने जिदो गांव के 17 साल के मिराम तरोन का अपहरण कर लिया है.’
सांसद ने अपने ट्वीट में उस क्षेत्र की जानकारी भी दी है, जहां ये घटना हुई है. उनके अनुसार, अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में सियुंगला क्षेत्र (बिशिंग गांव) के तहत आने लुंगता जोर क्षेत्र में यह घटना घटी. इस क्षेत्र में चीन ने 2018 में भारत के अंदर 3-4 किलोमीटर सड़क का निर्माण कर दिया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, गाओ ने यह भी कहा कि उन्होंने इस घटना के बारे में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नीसिथ प्रमाणिक को सूचित किया है और उनसे इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.
उन्होंने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय सेना को टैग किया है.
इस संबंध में बृहस्पतिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘गणतंत्र दिवस से कुछ दिन पहले भारत के एक भाग्य विधाता का चीन ने अपहरण किया है. हम मिराम तरोन के परिवार के साथ हैं और उम्मीद नहीं छोड़ेंगे, हार नहीं मानेंगे. प्रधानमंत्री की बुजदिल चुप्पी ही उनका बयान है- उन्हें फर्क नहीं पड़ता!’
गणतंत्र दिवस से कुछ दिन पहले भारत के एक भाग्य विधाता का चीन ने अपहरण किया है- हम मीराम तारौन के परिवार के साथ हैं और उम्मीद नहीं छोड़ेंगे, हार नहीं मानेंगे।
PM की बुज़दिल चुप्पी ही उनका बयान है- उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 20, 2022
मालूम हो कि इससे पहले सितंबर 2020 में पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले से पांच युवकों का अपहरण कर लिया था और लगभग एक सप्ताह के बाद उन्हें रिहा कर दिया था.
इससे पहले मार्च 2020 में 21 वर्षीय युवक तोगली सिनकम को पीएलए ने मैकमहोन रेखा के नजदीक असापिला सेक्टर में पकड़ लिया था, जबकि उनके दो दोस्त बचकर भागने में कामयाब हुए थे. पीएलएल ने करीब 19 दिन तक बंधक बनाए रखने के बाद युवक को रिहा किया था.
ताजा घटना ऐसे समय में आई है जब भारतीय सेना अप्रैल 2020 से पूर्वी लद्दाख में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ गतिरोध में लगी हुई है.
भारत लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक चीन के साथ 3,400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी ) साझा करता है.
दोनों देशों के बीच गतिरोध के दौरान लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को हुई झड़प के दौरान भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे. बाद में चीन ने भी स्वीकार किया था कि इस घटना में उसके पांच सैन्य अधिकारियों और जवानों की मौत हुई थी. करीब 45 सालों में भारत-चीन सीमा पर हुई यह सबसे हिंसक झड़प थी.
तब से राजनयिक और सैन्य स्तर की कई वार्ताएं हुई हैं. विवाद के कुछ बिंदुओं से दोनों पक्षों ने तनाव को कम करने के प्रयास के तहत सैनिकों की कमी की है, फिर भी पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के अन्य बिंदुओं पर भारत और चीन के सैनिक एक दूसरे का सामना करना जारी रखे हुए हैं.
इस बीच दिसंबर 2021 में चीन ने भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में 15 और स्थानों के लिए चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला के नामों की घोषणा की थी. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत होने का दावा करता है.
भारत ने चीन के इस कदम को स्पष्ट रूप से खारिज कर जोर देकर कहा था कि यह अरुणाचल प्रदेशा हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)