मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने कहा कि महिलाओं को मिलने वाली लंबी शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के बाद मुआवज़ा उनके ज़ख़्मों की भरपाई नहीं कर सकता. बेहतर होता कि राज्य सरकार बेतहाशा बढ़ रही घरेलू हिंसा की घटनाओं को रोकने की दिशा में ठोस और कारगर क़दम उठाती.
भोपाल: मध्य प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने घरेलू हिंसा के कारण विकलांग हुईं महिलाओं को वित्तीय सहायता देने के राज्य की भाजपा सरकार के निर्णय की आलोचना करते हुए कहा कि यह अव्यावहारिक और पीड़ितों के ‘जख्मों पर नमक लगाने’ जैसा है.
मंत्री परिषद ने 18 जनवरी को घरेलू हिंसा के कारण विकलांग हुईं महिलाओं को आर्थिक सहायता देने की एक योजना को मंजूरी दी है.
ओझा ने एक बयान में इस निर्णय को एक नया जुमला बताते हुए कहा, ‘प्रदेश का खजाना खाली होने के बावजूद लिया गया यह फैसला न केवल पूरी तरह अव्यावहारिक है, बल्कि पीड़ितों के जख्मों पर नमक लगाने जैसा है. इससे सिद्ध होता है कि राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध रोक पाने में अक्षम सरकार अब किसी भी तरह से अपनी असफलता पर पर्दा डालने के लिए बेताब है.’
घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को आर्थिक सहायता देने का फैसला शिवराज सरकार का नया जुमला ।
प्रदेश के खाली खजाने के बावजूद लिया गया यह फैसला पूरी तरह से अव्यावहारिक तो है ही, पीड़िताओं के जख्मों पर नमक भी है ।— Shobha Oza (@Shobha_Oza) January 19, 2022
ओझा ने कहा कि वैसे भी पीड़िताओं को मिलने वाली लंबी शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के बाद मुआवजा उनके जख्मों की भरपाई नहीं कर सकता. बेहतर होता कि राज्य सरकार बेतहाशा बढ़ रही घरेलू हिंसा की घटनाओं को रोकने की दिशा में ठोस और कारगर कदम उठाती.
ओझा ने मार्च 2020 में प्रदेश में सरकार बदलने के बाद कानूनी संघर्ष में उलझाकर महिला आयोग को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की अनुमति नहीं देने के लिए भी प्रदेश सरकार की आलोचना की.
मध्य प्रदेश सरकार ने 18 जनवरी को घरेलू हिंसा के कारण विकलांग हुईं महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने की एक योजना को मंजूरी दी है.
योजना के तहत 40 प्रतिशत विकलांग महिलाओं को दो लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिलेगी, जबकि 40 प्रतिशत से अधिक विकलांगता वाली महिलाओं को चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी.
योजना के तहत कानूनी प्रक्रिया चलने की स्थिति में इन महिलाओं को निवास-से-अदालत परिवहन खर्च भी मिलेगा.