दिल्ली दंगा मामले में दोषी ठहराए गए पहले व्यक्ति को मिली पांच साल जेल की सज़ा

अदालत ने बीते साल छह दिसंबर को दिनेश यादव को 73 वर्षीय मनोरी देवी के घर को दिल्ली दंगों के दौरान 25 फरवरी, 2020 को आग लगाने वाली दंगाई भीड़ का सक्रिय सदस्य होने का दोषी पाया था. अदालत ने दोषी तय करते हुए कहा था कि केवल यह तथ्य कि यादव को शिकायतकर्ता के घर में घुसते या तोड़फोड़ या लूटपाट या आग लगाते नहीं देखा गया था, इसका मतलब यह नहीं है कि वह केवल चुपचाप दर्शक की भांति खड़ा था.

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(फोटो: पीटीआई)

अदालत ने बीते साल छह दिसंबर को दिनेश यादव को 73 वर्षीय मनोरी देवी के घर को दिल्ली दंगों के दौरान 25 फरवरी, 2020 को आग लगाने वाली दंगाई भीड़ का सक्रिय सदस्य होने का दोषी पाया था. अदालत ने दोषी तय करते हुए कहा था कि केवल यह तथ्य कि यादव को शिकायतकर्ता के घर में घुसते या तोड़फोड़ या लूटपाट या आग लगाते नहीं देखा गया था, इसका मतलब यह नहीं है कि वह केवल चुपचाप दर्शक की भांति खड़ा था.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित मामलों में पहली सजा सुनाते हुए राजधानी की एक अदालत ने एक वृद्ध महिला के घर में आग लगाने के मामले में बीते बृहस्पतिवार को एक व्यक्ति को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई और कहा कि दोषी का अपराध बहुत ही गंभीर है.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट ने 25 वर्षीय दिनेश यादव को पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई और पीड़िता को मुआवजा के तौर पर 12,000 रुपये के भुगतान का निर्देश दिया.

अदालत ने बीते साल छह दिसंबर को दिनेश यादव को 73 वर्षीय मनोरी देवी के घर को 25 फरवरी, 2020 को आग लगाने वाली दंगाई भीड़ का सक्रिय सदस्य होने का दोषी पाया था.

इस आदेश का व्यापक महत्व है, क्योंकि यादव पहला व्यक्ति है, जिसे उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े मामले में जेल की सजा सुनाई गई है.

अदालत के आदेश के अनुसार, पीड़िता को हुए नुकसान के लिए दिल्ली सरकार से पहले कुछ मुआवजा मिला था. दंगों की घटना में उन्हें लगभग 5 लाख रुपये का नुकसान हुआ था.

इस मामले में शिकायतकर्ता मनोरी देवी थीं, जिनके भागीरथी विहार के पास के घर में 25 फरवरी, 2020 की रात को तोड़फोड़ की गई थी और उसे नष्ट कर दिया गया था.

मनोरी ने एक पूरक बयान दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने यादव की पहचान की थी. दो अन्य गवाहों- आशिक और आरिफ, जो मनोरी के भतीजे हैं, ने भी उसकी पहचान पुलिस के गवाहों के रूप में की थी.

मुकदमे के दौरान शिकायतकर्ता मनोरी सहित मामले के तीन गवाह अपने बयान से मुकर गए थे. साथ इस बात से इनकार कर दिया था कि उन्होंने पुलिस को ये बताया था कि हिंसक भीड़ ने उनकी मौजूदगी में उनके घर में तोड़फोड़ और लूटपाट की थी.

मनोरी यह कहते हुए​ कि उन्होंने यादव को घर में प्रवेश करते या बाहर निकलते नहीं देखा था, अपने बयान के खिलाफ चली गई थीं.

3 अगस्त, 2021 में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने यह कहते हुए कि दिनेश यादव के खिलाफ पर्याप्त रिकॉर्ड हैं, आरोप तय किए थे.

अदालत ने कहा था, ‘तथ्य यह है कि आरोपी भी हिंदू समुदाय से है और लाठी से लैस भीड़ में शामिल था, जिस भीड़ ने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का सहारा लिया, यह दर्शाता है कि उसने गैरकानूनी सभा के सामान्य उद्देश्य को साझा किया था. केवल यह तथ्य कि उसे शिकायतकर्ता के घर में घुसते या तोड़फोड़ या लूटपाट या आग लगाते नहीं देखा गया था, इसका मतलब यह नहीं है कि वह केवल चुपचाप दर्शक की भांति खड़ा था.’

यादव को आईपीसी की धारा 143 (गैरकानूनी सभा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से लैस दंगा), 457 (रात में घर-अतिचार), 392 (डकैती), 436 (आग से शरारत) 149 (आम वस्तु के साथ गैरकानूनी सभा) के तहत के तहत दोषी ठहराया गया था.

न्यायाधीश ने कहा कि यादव को पीड़िता को कोई और मुआवजा देने या अभियोजन द्वारा किए गए 83,000 रुपये के खर्च की भरपाई करने का निर्देश देना पूरी तरह से अनुचित होगा, क्योंकि यादव बेरोजगार है, उसके पास कोई संपत्ति या भुगतान करने की क्षमता नहीं है.

अदालत ने सजा की अवधि तय करते समय यादव की कम उम्र और इस तथ्य पर भी विचार किया कि वह पहली बार अपराधी था.

एएसजे भट ने कहा, ‘बेशक, दोषी पहली बार का अपराधी है और उसका अतीत साफ-सुथरा रहा है. इस बात का कोई सबूत नहीं था कि उसने सीधे तौर पर हिंसा की घटना को अंजाम दिया था. सजा की अवधि तय करते समय दोषी की कम उम्र को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.’

अदालत के सजा आदेश में कहा गया है कि यादव को केवल आईपीसी की धारा 149 की धारा के आधार पर दोषी ठहराया गया है.

न्यायाधीश ने कहा, ‘यह नहीं कहा जा सकता है कि दोषी द्वारा किया गया अपराध बहुत गंभीर था. हालांकि, अभियोजन पक्ष के पास यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं था कि जिस गैरकानूनी भीड़ का दोषी सदस्य था, उसका गठन किसी साजिश के तहत किया गया था.’

विशेष लोक अभियोजक आरसीएस भदौरिया ने अदालत से दोषी को अधिकतम सजा देने का आग्रह करते हुए कहा था कि वह एक गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा होने के लिए दोषी पाया गया, जिससे भारत की छवि बड़े पैमाने पर खराब हुई थी.

हालांकि, यादव के वकील ने न्यायाधीश से एक उदार सजा का अनुरोध किया, क्योंकि उसने खुद को सुधार लिया था और एक साल से अधिक समय तक जेल में रहकर सबक सीखा था.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, यादव ‘दंगाई भीड़ का सक्रिय सदस्य था’ और वह 25 फरवरी (2020) की रात मनोरी नामक 73 वर्षीय महिला के घर में तोड़फोड़ करने और आग लगाने वालों में शामिल था.

मनोरी ने आरोप लगाया था कि करीब 150-200 दंगाइयों की भीड़ ने उनके घर पर हमला किया था, जब उनका परिवार घर पर नहीं था. इस दौरान दंगाइयों ने सारा सामान लूट लिया और भैंस तक भी अपने साथ ले गए.

यादव को आठ जून, 2020 को गिरफ्तार किया गया था. अदालत ने तीन अगस्त, 2021 को उस पर आरोप तय किए. छह दिसंबर 2021 को उसे दोषी करार दिया गया था.

गौरतलब है कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून सीएए के समर्थकों और उसका विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी. इस दंगे में कम से कम 53 लोग मारे गए थे, जबकि 700 से अधिक घायल हो गए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)