ढिंकिया में ग्रामीणों के ख़िलाफ़ पुलिस की ज़्यादती को तुरंत रोका जाना चाहिए: ओडिशा हाईकोर्ट

ओडिशा हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि ग्रामीणों और पुलिस के बीच बीते 14 जनवरी को हुई हिंसक झड़प के बाद से जगतसिंहपुर ज़िले के ढिंकिया गांव के लोगों का सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. आरोप है कि ढिंकिया में प्रस्तावित जेएसडब्ल्यू स्टील प्लांट स्थल पर पान के खेतों को नष्ट करने का विरोध कर रहे ग्रामीणों की पुलिस ने बर्बरतापूर्वक पिटाई की थी.

ओडिशा हाईकोर्ट (फोटो साभारः वेबसाइट)

ओडिशा हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि ग्रामीणों और पुलिस के बीच बीते 14 जनवरी को हुई हिंसक झड़प के बाद से जगतसिंहपुर ज़िले के ढिंकिया गांव के लोगों का सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. आरोप है कि ढिंकिया में प्रस्तावित जेएसडब्ल्यू स्टील प्लांट स्थल पर पान के खेतों को नष्ट करने का विरोध कर रहे ग्रामीणों की पुलिस ने बर्बरतापूर्वक पिटाई की थी.

ओडिशा हाईकोर्ट (फोटो साभारः वेबसाइट)

कटकः ओडिशा हाईकोर्ट ने गुरुवार (20 जनवरी) को कहा कि जगतसिंहपुर जिले के ढिंकिया में प्रस्तावित जेएसडब्ल्यू स्टील प्लांट स्थल पर पुलिस की ज्यादती को तुरंत रोका जाना चाहिए.

अदालत ने ओडिशा सरकार को मामले पर एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा स्टेटस रिपोर्ट पेश की जानी चाहिए.

अदालत ने कहा कि इस स्टेटस रिपोर्ट में एक स्थानीय महिला और तीन अधिवक्ताओं द्वारा दायर दो जनहित याचिकाओं में की गईं शिकायतों के संदर्भ में जमीनी हकीकत का विवरण दिया जाना चाहिए.

दरअसल याचिकाओं में पान के खेतों को नष्ट करने का विरोध कर रहे ग्रामीणों के खिलाफ पुलिस की ज्यादती का आरोप लगाया गया है.

चीफ जस्टिस एस. मुरलीधर की अध्यक्षता में पीठ ने याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद कहा, स्थानीय पुलिस द्वारा किसी भी रूप में की जा रही ज्यादती, बर्बरता और क्रूरता को तुरंत रोका जाना चाहिए.

पीठ ने महाधिवक्ता अशोक कुमार पारिजा को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि स्थिति रिपोर्ट को हलफनामे के रूप में दाखिल किया जाए.

इन दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से पेश हुए महाधिवक्ता ने ढिंकिया गांव की मौजूदा स्थिति के बारे में एक मेमो के जरिये अदालत को सूचित किया.

उन्होंने जिला प्रशासन विशेष रूप से जिला पुलिस के खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया.

उन्होंने अदालत को बताया कि इस क्षेत्र में एक स्टील और सीमेंट संयंत्र को स्थापित किया जाएगा, जिससे इसकी आर्थिक स्थिति को काफी बढ़ावा मिलेगा.

हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ स्थानीय लोगों ने जमीन अधिग्रहण का विरोध किया था, जिससे पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई.

हाईकोर्ट के तीन अधिवक्ताओं ने अदालत के समक्ष दायर याचिका में कहा कि ग्रामीणों और पुलिस के बीच 14 जनवरी को हुई हिंसक झड़प के बाद से ढिंकिया गांव के स्थानीय लोगों का सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. दरअसल पुलिस ने ग्रामीणों पर ज्यादती की थी.

याचिका में कहा गया कि कई ग्रामीण में अभी भी पास के जंगलों में छिपे हुए हैं और अपने घर लौटने का साहस नहीं जुटा पा रहे.

इस झड़प में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्ग व्यक्तियों सहित 40 ग्रामीण घायल हुए हैं. इसके साथ ही पांच पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं.

एक अन्य याचिका में पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा ज्यादती का आरोप लगाया गया है और हाईकोर्ट से आग्रह किया गया है कि वे सरकार को ढिंकिया से पुलिसबल हटाने का निर्देश दें.

याचिकाकर्ताओं पर ध्यान देते हुए अदालत ने राज्य सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि ग्रामीणों को राशन और दवाइयों जैसे जरूरी सामानों को इकट्ठा करने के लिए क्षेत्र में आवाजाही की मंजूरी दी जाए.

इस बीच 12 से अधिक विपक्षी पार्टियों के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल प्रोफेसर गणेशी लाल से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपकर ढिंकिया में ग्रामीणों पर पुलिस के अत्याचार को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया.

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी के लिए सूचीबद्ध की है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)