कश्मीरी पत्रकार पर पीएसए लगाते हुए पुलिस ने कहा, सरकार के हित में कम रिपोर्ट करते थे

पत्रकार सज्जाद गुल को मुठभेड़ में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी के परिवार का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. जन सुरक्षा क़ानून के तहत लगे आरोपों में कहा गया है कि सज्जाद हमेशा राष्ट्र-विरोधी ट्वीट्स की तलाश में रहते हैं और केंद्रशासित जम्मू कश्मीर की नीतियों के प्रति नकारात्मक रहे हैं. वह लोगों को सरकार के ख़िलाफ़ भड़काने के लिए बिना तथ्यात्मक जांच के ट्वीट करते हैं.

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पत्रकार सज्जाद गुल (फोटो साभारः ट्विटर)

पत्रकार सज्जाद गुल को मुठभेड़ में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी के परिवार का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. जन सुरक्षा क़ानून के तहत लगे आरोपों में कहा गया है कि सज्जाद हमेशा राष्ट्र-विरोधी ट्वीट्स की तलाश में रहते हैं और केंद्रशासित जम्मू कश्मीर की नीतियों के प्रति नकारात्मक रहे हैं. वह लोगों को सरकार के ख़िलाफ़ भड़काने के लिए बिना तथ्यात्मक जांच के ट्वीट करते हैं.

पत्रकार सज्जाद गुल (फोटो साभारः ट्विटर)

श्रीनगर: राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए जम्मू कश्मीर के पत्रकार सज्जाद गुल को अदालत से जमानत मिलने के अगले ही दिन उनके खिलाफ जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया था. अब पुलिस द्वारा पीएसए के तहत सज्जाद पर लगाए गए आरोपों की प्रति (डोजियर) सामने आई है.

29 वर्षीय सज्जाद गुल को बीते पांच जनवरी को गिरफ्तार किया गया था. श्रीनगर में एक समाचार पोर्टल ‘द कश्मीर वाला’ (The Kashmir Walla) के लिए काम करने वाले पत्रकार सज्जाद कश्मीर के केंद्रीय विश्वविद्यालय में पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (Masters) के छात्र भी हैं.

सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी के परिवार का वीडियो कथित तौर पर सोशल मीडिया पर अपलोड करने के आरोप में पत्रकार को गिरफ्तार किया गया था. इस वीडियो में मारे गए आतंकी के परिवारवाले कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगा रहे थे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गुल के खिलाफ पुलिस की शिकायत पर दो और स्थानीय तहसीलदार की शिकायत पर एक एफआईआर दर्ज की गई है. बांदीपोरा के सुंबल में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने उन्हें बीते 15 जनवरी को जमानत दे दी थी, लेकिन अगले ही दिन उन पर जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया.

बांदीपुरा उपायुक्त ओवैस अहमद के हस्ताक्षर वाले पीएसए संबंधी आरोप-पत्र (डोजियर) में सज्जाद को संबोधित करते हुए लिखा गया है, ‘आपने हमेशा सोशल मीडिया पर विवादित बयान दिए या ट्वीट किए हैं. एक पत्रकार होने के नाते आप केंद्रशासित प्रदेश की भलाई के बारे में रिपोर्टिंग कम, जबकि द्वेष को बढ़ावा देने वाले काम ज्यादा करते हैं.’

इसके अनुसार, ‘आप हमेशा राष्ट्र-विरोधी/असामाजिक ट्वीट्स की तलाश में रहते हैं और केंद्रशासित प्रदेश की नीतियों के प्रति नकारात्मक रहे हैं. आप लोगों को सरकार के खिलाफ भड़काने के लिए बिना तथ्यात्मक जांच के ट्वीट करते हैं. आप आतंकवादियों और उनके परिवारों के स्वयंभू मसीहा की तरह काम करते हैं और अक्सर ऐसे मुद्दों को उठाते हैं, जो राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाते हैं.’

साथ ही आरोप-पत्र में उल्लेख है कि ‘सुशिक्षित होते हुए भी’ सज्जाद ने सरकार के खिलाफ लोगों को भड़ाकने में सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया.

इसके अनुसार, ‘इंटरनेट ने दुनिया को एक वैश्विक गांव बना दिया है और आप (सज्जाद) सोशल मीडिया पर बयान देकर इसे एक उपकरण के तौर पर इस्तेमाल करते हैं, जो दुश्मनी को बढ़ावा देता है. इसके अलावा घाटी के लोगों को अपने गलत इरादों की पूर्ति के लिए बहकाना आपके लिए आसान है, क्योंकि आप पढ़े-लिखे हैं और कानून द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ आसानी से लोगों का ब्रेनवॉश कर सकते हैं.’

रिपोर्ट के अनुसार, यह देखते हुए कि गुल वर्तमान में पुलिस रिमांड में है, डोजियर में कहा गया है, ‘इस बात की पूरी आशंका है कि आपको माननीय न्यायालय से जमानत मिल सकती है, इसलिए यह शांतिपूर्ण माहौल, शांति, कानून और व्यवस्था के लिए घातक साबित होगा. इस स्तर पर आपकी रिहाई न केवल बांदीपोरा क्षेत्र के लिए बल्कि पूरी घाटी के लिए खतरा होगी.’

डोजियर में गुल के खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकी का जिक्र करते हुए कहा गया कि उनकी गतिविधियां देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए हानिकारक हैं.

इसके मुताबिक, ‘आप भारत के खिलाफ नफरत से भरे हुए हैं और एक आम आदमी भी आपके सोशल मीडिया टाइमलाइन पर जाकर या एक्सेस करके आपके इरादों/गतिविधियों को भांप सकता है.’

आगे लिखा गया है कि अगर ऐसा बड़े पैमाने पर होता रहता है तो यह पक्के तौर पर उस शांतिपूर्ण माहौल के खिलाफ काम करेगा, जो कि कानून लागू करने वाली एंजेंसियों के अथक प्रयासों के बाद स्थापित हुई है.

कहा गया है, ‘आप न केवल अपने इलाके के युवाओं को बल्कि पूरी घाटी के युवाओं को भड़काने/उकसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि सोशल मीडिया पर आपके फॉलोवर्स की संख्या अच्छी-खासी है.’

ट्विटर पर गुल के 1,000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.

उन्हें ‘पत्रकारिता की आड़ में (सीमा पार के दुश्मनों के हाथों की) एक कठपुतली’ बताते हुए पीएसए डोजियर में कहा गया है, ‘आपने सीमा पार से संचालित विभिन्न राष्ट्र विरोधी गिरोहों के साथ संबंध विकसित किए हैं. आपका उद्देश्य केंद्रशा​सित जम्मू कश्मीर में कानून द्वारा स्थापित सरकार को अस्थिर करना प्रतीत होता है. साथ ही आपका मकसद स्थानीय गुमराह युवाओं को उनकी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में हर प्रकार की सहायता प्रदान करना भी लगता है.’

मालूम हो कि पोर्टल ‘द कश्मीर वाला’ के साथ जुड़े एक ट्रेनी पत्रकार और छात्र सज्जाद गुल को बांदीपोरा जिले के हाजिन इलाके में उनके घर से पांच जनवरी की रात को गिरफ्तार किया गया था.

आठ जनवरी को जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि उन्होंने गुल को कथित तौर पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने और सार्वजनिक शांतिभंग करने के लिए गिरफ्तार किया.

आरोप है कि गुल ने शालीमार श्रीनगर में आतंकी सलीम पर्रे को मार गिराए जाने के दिन कुछ महिलाओं द्वारा देश विरोधी नारे लगाए जाने के आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किए थे.

उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश रचने), 153बी (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ प्रभाव डालने वाले भाषण देना या लांछन लगाना) और 505बी (जनता में डर फैलाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

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