त्रिपुरा हिंसा: प्रशांत भूषण ने कहा- राज्य सरकार का तर्क-कुतर्क का रवैया उचित नहीं

त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी एक याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि स्वतंत्र जांच की मांग करने वालों की नीयत ठीक नहीं है और वे जनहित की आड़ में कोर्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर सी-ग्रेड न्यूज़ चैनल ऐसे तर्क देते तो समझा जा सकता था, पर किसी राज्य सरकार का ऐसा करना शोभा नहीं देता.

/
(फोटो: पीटीआई)

त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी एक याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि स्वतंत्र जांच की मांग करने वालों की नीयत ठीक नहीं है और वे जनहित की आड़ में कोर्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर सी-ग्रेड न्यूज़ चैनल ऐसे तर्क देते तो समझा जा सकता था, पर किसी राज्य सरकार का ऐसा करना शोभा नहीं देता.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: त्रिपुरा में कथित सांप्रदायिक हिंसा के मामले में उच्चतम न्यायालय में सोमवार को यह दलील दी गई कि राज्य सरकार तर्क-कुतर्क का रवैया अपना रही है जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है.

जस्टिस डीवाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने जवाब में यह दलील दी है कि स्वतंत्र जांच के लिए जनहित याचिका दायर करने वाले ‘जनहितैषी’ नागरिकों ने पश्चिम बंगाल और दूसरे राज्यों में इस तरह की हिंसा की घटनाओं पर क्यों चुप्पी लगा रखी थी.

द हिंदू के अनुसार, भूषण ने कहा, ‘मुझे बस इतना ही कहना है… राज्य सरकार ने जो कहा है, वह व्हॉटअबाउट्री [Whataboutery] है, और ऐसा करना किसी राज्य सरकार को शोभा नहीं देता.’

मालूम हो कि किसी बात या सवाल पर तर्क या तथ्य के माध्यम से अपनी बात या जवाब पेश करने की बजाय पिछले उदाहरण देकर ‘तब क्यों नहीं बोले’ जैसे कुतर्क देना या काउंटर सवाल करने लगना व्हॉटअबाउट्री कहलाता है.

भूषण ने कहा कि यह पूरी तरह से अनुचित है कि राज्य सरकार तर्क-कुतर्क का रवैया अपना रही है.

भूषण ने न्यायालय से कहा कि राज्य सरकार ने अपने जवाब में यह दलील दी है कि स्वतंत्र जांच के लिए जनहित याचिका दायर करने वाले ‘जनहितैषी’ नागरिकों ने पश्चिम बंगाल और दूसरे राज्यों में इस तरह की हिंसा की घटनाओं पर क्यों चुप्पी लगा रखी थी. यह विश्वास करने लायक नहीं है कि राज्य सरकार इतने गंभीर मामले में यह सब कर रही है.

उन्होंने कहा कि कुछ सी-ग्रेड समाचार चैनल अगर यह सब कर रहे होते तो समझा जा सकता था, पर सरकार ऐसे कर रही है.

उन्होंने राज्य सरकार के जवाब पर प्रत्युत्तर (रिज्वाइंडर) हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा जिसके बाद पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 31 जनवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

मालूम हो कि त्रिपुरा सरकार ने पिछले साल राज्य में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर वकीलों और अधिकार संगठनों की एक टीम की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट को ‘प्रायोजित और स्वयं के हितों को साधने’ वाली करार दिया.

अपने जवाबी हलफनामे में त्रिपुरा सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया है कि खुद को जनहितैषी बताकर, राज्य में हाल में हुए ‘सांप्रदायिक दंगों’ की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाले लोगों की नीयत ठीक नहीं है और वे जनहित की आड़ में इस अदालत का गलत उद्देश्यों से इस्तेमाल कर रहे हैं.

हलफनामा अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी द्वारा दायर एक जनहित याचिका के जवाब में दायर किया गया है. हाशमी की याचिका में त्रिपुरा में हाल के सांप्रदायिक दंगों और इसमें राज्य पुलिस की कथित मिलीभगत और निष्क्रियता की स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया गया था.

त्रिपुरा सरकार ने उनकी याचिका के जवाब में पश्चिम बंगाल में चुनाव पूर्व और चुनाव के बाद हुई सिलसिलेवार हिंसा पर याचिकाकर्ता की ‘चुप्पी’ की ओर इशारा करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं की तथाकथित सार्वजनिक भावना कुछ महीने पहले बड़े पैमाने पर हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान नहीं जागी और त्रिपुरा जैसे छोटे से राज्य में हुईं कुछ घटनाओं के कारण अचानक उनकी जनहित की भावना जाग उठी.

राज्य सरकार द्वारा कहा गया, ‘यह इंगित किया जाता है कि याचिकाकर्ता के इस तरह के चयनात्मक आक्रोश को इस अदालत के समक्ष बचाव के रूप में प्रस्तुत नहीं किया गया है बल्कि जनहित की आड़ में, इस अदालत के मंच का इस्तेमाल स्पष्ट रूप से गलत उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया गया है.’

सरकार के हलफनामे में आरोप लगाया गया है कि यह स्पष्ट रूप से जनहित के दिखावे के तहत और कुछ अज्ञात एजेंडा को हासिल करने के लिए एकतरफा आक्रोश का मामला है.

पूर्वोत्तर भारत के राज्य त्रिपुरा में पिछले साल आगजनी, लूटपाट और हिंसा की घटनाएं हुई थीं. ये घटनाएं बांग्लादेश से आईं उन खबरों के बाद हुई थीं, जिनमें कहा गया था कि ईशनिंदा के आरोपों के तहत दुर्गा पूजा के दौरान वहां हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमला किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq