बीटिंग द रिट्रीट समारोह से हटाए गए महात्मा गांधी के प्रिय भजनों में से एक ‘एबाइड विद मी’ का हिंदी अनुवाद.
नई दिल्ली: महात्मा गांधी के प्रिय भजनों में से एक ईसाई प्रार्थना ‘एबाइड विद मी’ को इस साल बीटिंग द रिट्रीट समारोह से हटा दिया गया है. इस धुन को 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट समारोह के समापन पर गांधी की पुण्यतिथि की पूर्वसंध्या पर मिलिट्री बैंड द्वारा बजाया जाता है.
यह धुन साल 1950 से लगातार बीटिंग द रिट्रीट का हिस्सा रही है, जिसे साल 2020 में भी हटा दिया गया था, हालांकि भारी विवाद के बाद इसे 2021 में दोबारा शामिल कर लिया गया.
इस साल बीटिंग द रिट्रीट समारोह में बजाई जाने वाली 26 धुनों की आधिकारिक सूची में ‘एबाइड विद मी’ का उल्लेख नहीं है. ‘एबाइड विद मी’ को 19वीं शताब्दी में स्कॉटलैंड के एंग्लिकन हेनरी फ्रांसिस लाइट ने लिखा था और इसकी धुन विलियम हेनरी मोंक ने तैयार की थी.
पढ़िए इसका हिंदी अनुवाद:
तुम मेरे पास रहो
तुम मेरे साथ रहो
शब जब उतरती है
धुंध-सी लिपटती है
तुम मेरे पास रहो
या ख़ुदा साथ रहो
जब न साथ दे कोई
राहतें न संग हो
बेकसों के रहनुमा,
तुम मेरे पास रहो
चंद रोज़ा ज़िंदगी
शुरू हुई ख़त्म हुई
असाइशें यहां की अब
फ़ना हुई फ़ना हुई
वलवले भी रह गए
तरब रहा न जश्न कोई
हर कमाल को ज़वाल बस यही है हर तरफ़
इस बदलते जग में बस
तुम्हीं तो हो जो साथ हो
अटल हो तुम, अचल हो तुम
न साथ मेरा छोड़ना
तुम मेरे पास रहो
तुम मेरे साथ रहो
एक निगाह-ए नाज़ दो,
मगर रहे वो देर पा
मुरीदों पर जो प्यार है
वही मुझे भी हो अता
हमदम, नदीम और रफ़ीक
देता रहे जो हौसला
आते हो तो आओ यूं कि फिर
कभी न जाओ तुम
सदा रहो संग मेरे, आरज़ू यही है अब
तुम मेरे पास रहो
तुम मेरे साथ रहो
ख़तर कहां किसी का अब साथ जब हो तुम मेरे
न दर्द है न रंज है, न आंसुओं में टीस है
न मौत ही से डर रहा, लहद का अब न ग़म रहा
बक़ा मेरी फ़तह मेरी, इसी में कामयाब हूं
तुम मेरे पास रहो,
तुम मेरे साथ रहो
(मशहूर दास्तानगो महमूद फ़ारूक़ी द्वारा अंग्रेज़ी से अनूदित)