पेगासस का मामला उजागर होने के लगभग छह महीने बाद हंगरी के खोजी पत्रकार सैबोल्च पैनयी सहित निशाना बनाए गए छह लोग सरकार के ख़िलाफ़ क़ानूनी क़दम उठा रहे हैं. यूरोपीय संघ के किसी देश में सरकार के ख़िलाफ़ पेगासस प्रभावितों द्वारा दायर यह पहला क़ानूनी मामला है.
नई दिल्लीः हंगरी के खोजी पत्रकार सैबोल्च पैनयी को 2021 में जब यह पता चला कि उनके स्मार्टफोन में पेगासस इंस्टॉल किया गया है, वह समझ गए कि यह सिर्फ जासूसी का मामला नहीं है.
पेगासस न सिर्फ फोन कॉल को इंटरसेप्ट करता है, यह सॉफ्टवेयर किसी भी स्मार्टफोन के डेटा तक पहुंच बना सकता है और बिना नजर में आए फोन के माइक्रोफोन और कैमरा को चालू कर सकता है.
डॉयचे वेले की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘मुझे ऐसा लगा, जैसे वे मेरे अपार्टमेंट और ऑफिस में घुस आए और सभी चीजों में घुसपैठ कर दी. हर जगह छिपे कैमरा लगा दिए और बाथरूम में भी मेरा पीछा किया जा रहा है.’
पैनयी बुडापेस्ट के खोजी ऑनलाइन मीडिया आउटलेट डायरेक्ट36 के संपादक हैं. वह उन कई दर्जन लोगों में से एक हैं, जिनकी पेगासस का इस्तेमाल कर हंगरी की सरकार ने अवैध रूप से निगरानी की. बताया जाता है कि पेगासस के जरिये गंभीर अपराधियों या आतंकियों की निगरानी की जाती है लेकिन इस मामले में कोई भी शख्स न तो अपराधी था और न ही आतंकी.
पेगासस के जरिये इन लोगों की जासूसी की गई क्योंकि इनके शोध और राजनीतिक गतिविधियां सरकार को असहज कर सकती हैं और यह हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन की सरकार के लिए खतरा हैं.
बता दें कि जुलाई 2021 में द वायर सहित मीडिया समूहों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम ने ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ नाम की पड़ताल के तहत यह खुलासा किया था कि दुनियाभर में अपने विरोधियों, पत्रकारों और कारोबारियों को निशाना बनाने के लिए कई देशों ने पेगासस का इस्तेमाल किया था.
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित की, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे. इनमें से 300 फोन नंबर हंगरी के थे, जिनमें पत्रकारों, वकीलों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, उद्यमियों और एक पूर्व मंत्री का भी फोन शामिल है.
खुफिया सेवाओं पर बेहतर नियंत्रण
इस मामले के उजागर होने के लगभग छह महीने बाद पैनयी सहित हंगरी में निशाना बनाए गए छह लोग कानूनी कदम उठा रहे हैं. यूरोपीय संघ (ईयू) के किसी देश के खिलाफ पेगासस प्रभावितों द्वारा दायर यह पहला कानूनी मामला है. हंगरी की अदालतों, देश के डेटा संरक्षण प्राधिकरण एनएआईएच और इजरायल में भी मुकदमे दायर किए जाएंगे.
इस मामले में इन छह लोगों का प्रतिनिधित्व हंगरी के मुख्य नागरिक अधिकार संगठनों में से एक हंगेरियन सिविल लिबर्टीज यूनियन (एचसीयूएल-हंगरी भाषा में तास्ज) और इजरायल के वकील ईटे मैक कर रहे हैं.
😎SEE YOU IN COURT! #Pegasus #PegasusProject
“The Hungarian Civil Liberties Union (@HCLU) is taking legal action on behalf of six of its clients before the Hungarian authorities, the European Commission, the European Court of Human Rights and in Israel.” https://t.co/A1hGSwHVDj pic.twitter.com/YR6TcZbLy6
— Szabolcs Panyi (@panyiszabolcs) January 28, 2022
एचसीएलयू के वकील एडम रेमपोर्ट ने कहा, ‘एक तरफ हम चाहते हैं कि पेगासस प्रभावितों को बताया जाए कि इंटेलिजेंस के पास उनकी क्या जानकारी और डेटा हैं. दूसरी तरफ हम इसके खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं और हंगरी में खुफिया सेवाओं पर बेहतर और स्वतंत्र नियंत्रण चाहते हैं.’
उन्होंने बताया, ‘हंगरी में मौजूदा नियम इतने लचीले और व्यापक रूप से इतने परिभाषित हैं कि किसी पर भी नजर रखी जा सकती है.’
सुरक्षा चिंताओं के बावजूद पेगासस की बिक्री जारी रही
इजरायल में वकील ईटे मैक एनएसओ ग्रुप और इजरायली रक्षा मंत्रालय के खिलाफ मुकदमा दायर करेंगे. इजरायली रक्षा मंत्रालय ने ही इस तरह के सॉफ्टवेयर अन्य देशों को बेचने की अनुमति दी थी.
जिस तरह से अब तक मेक्सिको और अन्य देशों में सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया, उस वजह से मैक ने पहले ही पेगासस के इस्तेमाल को लेकर मुकदमा दायर करने के कई प्रयास किए हैं.
मैक ने कहा, ‘हंगरी में कानून के दुरुपयोग को लेकर उठ रही चिंताओं के बावजूद इसे पेगासस बेचा गया इसलिए मैं अपराध को रोकने में नाकाम रहने और निजता के अधिकार के उल्लंघन को लेकर इजरायली रक्षा मंत्रालय पर मुकदमा चलाना चाहता हूं.’
पोलैंड में पेगासस
जब पेगासस का मामला सामने आया था, हंगरी को यूरोपीय संघ का एकमात्र सदस्य देश माना गया, जहां सरकार ने आलोचकों के खिलाफ पेगासस का इस्तेमाल किया लेकिन 2021 के आखिरी में यह पता चला कि पोलैंड की सत्तारूढ़ लॉ एंड जस्टिस पार्टी की सरकार ने भी इसी तरह पेगासस का इस्तेमाल किया है.
दोनों देशों में सरकारों ने अप्रत्यक्ष तौर पर स्वीकार किया कि उन्होंने लोगों के खिलाफ पेगासस के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी.
हंगरी में प्रधानमंत्री ओर्बन की दक्षिणपंथी फिदेज पार्टी के सांसद और उच्च पदस्थ नेताओं ने नवंबर 2021 में पत्रकारों के समक्ष अनजाने में स्वीकार किया कि देश के गृह मंत्रालय ने पेगासस खरीदा था.
हालांकि, इसमें थोड़ा संदेह है कि ओर्बन और इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शायद जुलाई 2017 में बुडापेस्ट में एक बैठक में पेगासस सौदे पर सहमति जताई थी.
दोनों का दुश्मनः जॉर्ज सोरोस
ओर्बन और नेतन्याहू का दुश्मन एक ही है, अमेरिकी शेयर बाजार के अरबपति जॉर्ज सोरोस, जो हंगरी के यहूदी मूल के शख्स हैं और नागरिक समाज की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अपनी संपत्ति का इस्तेमाल करते हैं.
दोनों नेताओं ने कई अवसरों पर एक-दूसरे की मदद भी की है. हंगरी ने कई बार इजरायल के लिए आलोचनात्मक यूरोपीय संघ के प्रस्ताव को पारित नहीं होने दिया जबकि नेतन्याहू ने यह स्वीकार किया है कि हंगरी में सोरोस के खिलाफ कई सरकारी अभियानों के बावजूद ओर्बन सरकार ने यहूदी समाज के प्रति भेदभाव से निपटने में अनुकरणीय काम किया है.
ईटे मैक ने कहा, ‘इजरायल ने हंगरी का समर्थन करने की बड़ी कीमत भी चुकाई है, उसने ओर्बन सरकार की यहूदी विरोधी भावना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.’
मैक ने कहा, ‘पेगासस इजरायल की कूटनीति का टूल है.’
संदेह की प्रवृत्ति
मैक और हंगरी के वकील एडम रेमपोर्ट दोनों जानते हैं कि उनके देशों में इन मुकदमों की सुनवाई में सालों लग सकते हैं लेकिन मैक का कहना है कि वह यह सुनिश्चित करने में हार नहीं मानेंगे कि इजरायल अधिनायकवादी देशों को पेगासस जैसे साइबर हथियारों के निर्यात के लिए जिम्मेदार है.
रेमपोर्ट ने जोर दिया कि जरूरत पड़ने पर एचसीएलयू स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय का भी रुख करेगा. उन्होंने कहा कि यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय के फैसले का पूरे यूरोप में महत्व होगा.
इस बीच पैनयी और उनके साथ काम करने वाले सहयोगियों ने हाल के महीनों में हंगरी में पेगासस के दुरुपयोग के मामलों को उजागर किया.
पेगासस के जरिये सिर्फ ओर्बन सरकार के आलोचकों को ही निशाना नहीं बनाया जा रहा. उदाहरण के लिए, दिसंबर के अंत में डायरेक्ट36 में प्रकाशित जानकारी के मुताबिक, पेगासस का इस्तेमाल हंगरी के राष्ट्रपति जानोस एडेर के अंगरक्षकों के फोन में सेंधमारी के लिए भी किया गया.
पैनयी ने कहा, ‘जब हम यह देखते हैं कि ओर्बन के करीबी लोगों की भी जासूसी की जा रही है तो आप कुछ नहीं कर सकते. आपको पता चलता है कि सरकार के भीतर भी संदेह की एक स्थिति है.’
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)