केरल हाईकोर्ट ने मलयालम न्यूज़ चैनल पर प्रतिबंध के केंद्र के आदेश पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर समाचार चैनल ‘मीडियावन टीवी’ का लाइसेंस रद्द कर प्रसारण बंद कर दिया था. चैनल ने केंद्र सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग के साथ केरल हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की थी.

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मीडियावन के संपादक प्रमोद रमण (फोटोः स्क्रीनग्रैब)

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर समाचार चैनल ‘मीडियावन टीवी’ का लाइसेंस रद्द कर प्रसारण बंद कर दिया था. चैनल ने केंद्र सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग के साथ केरल हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की थी.

मीडियावन के संपादक प्रमोद रमन (फोटोः स्क्रीनग्रैब)

नई दिल्लीः केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें मलयालम समाचार चैनल मीडियावन टीवी (MediaOne TV) का लाइसेंस रद्द कर उसके प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई तक चैनल का प्रसारण जारी रहेगा.

द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर कथित तौर पर समाचार चैनल का लाइसेंस रद्द करने की वजह से सोमवार (31 जनवरी) को चैनल का प्रसारण बंद हो गया था.

चैनल के संपादक प्रमोद रमन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था, ‘प्रिय दर्शकों, मीडियावन चैनल का प्रसारण एक बार फिर भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सुरक्षा कारणों की वजह से रोक दिया है.’

बयान में कहा गया, ‘हम चैनल का प्रसारण बहाल करने के लिए तत्काल कानूनी कदम उठा रहे हैं और उम्मीद है कि हम जल्द ही दर्शकों से मुखातिब हो पाएंगे. फिलहाल हम अपना प्रसारण बंद कर रहे हैं, उम्मीद है कि न्याय मिलेगा.’

चैनल को भेजे गए नोटिस में कथित तौर पर यह नहीं बताया गया है कि क्या यह फैसला स्थायी है या अस्थायी है.

रमन ने कहा, ‘भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मीडियावन चैनल के प्रसारण पर एक बार फिर पाबंदी लगा दी है. सरकार इस संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं दे रही है.’

संपर्क करने पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने मीडियावन चैनल को प्रतिबंधित किए जाने की पुष्टि की, लेकिन उन्होंने कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं दी.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, चैनल ने केंद्र सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग के साथ केरल हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की थी.

कंपनी का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एस श्रीकुमार और अधिवक्ता के राकेश ने उच्च न्यायालय से कहा कि चैनल किसी राष्ट्रविरोधी गतिविधि में शामिल नहीं है. उन्होंने अदालत से मंत्रालय को अपना आदेश वापस लेने का निर्देश देने की अपील की.

राकेश ने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा से बातचीत में कहा, ‘सोमवार दोपहर एक बजे मंत्रालय का आदेश मिला. इसके बाद 1:45 बजे तक इसके खिलाफ याचिका दाखिल कर दी गई. तीन बजे याचिका पर त्वरित सुनवाई की अनुमति मिली. अदालत ने बुधवार को अगली सुनवाई तक आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी.’

मंत्रालय की ओर से पेश सहायक सॉलिसिटर जनरल एस. मनु ने बताया कि उन्होंने याचिका का विरोध किया और केंद्र सरकार से उचित निर्देश प्राप्त करने के लिए अदालत से समय मांगा. मनु ने बताया कि अदालत ने मामले को बुधवार के लिए सूचीबद्ध करते हुए आदेश के क्रियान्वयन पर तब तक रोक लगा दी.

इस बीच, केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के कदम की आलोचना की.

सतीशन ने कहा, ‘मीडियावन चैनल के प्रसारण पर बिना कोई कारण बताए प्रतिबंध लगाना ‘असंवैधानिक’ है. यह नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है. प्रतिबंध के पीछे की वजह बताना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है.’

कांग्रेस नेता ने प्रतिबंध को मीडिया की आजादी पर हमला करार दिया.

बता दें कि मीडियावन केरल का एक लोकप्रिय चैनल है.

द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, चैनल पर माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड का स्वामित्व है. इसके कई निवेशक जमात-ए-इस्लामी की केरल इकाई के सदस्य हैं.

यह पहली बार नहीं है कि जब चैनल का प्रसारण रोका गया है. मार्च 2020 में भी एक अन्य मलयालम चैनल एशियानेट के साथ मीडियावन का प्रसारण उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा की कवरेज को लेकर 48 घंटों के लिए रोक दिया गया था. हालांकि, दोनों चैनल का प्रसारण प्रतिबंधित होने के कुछ घंटे बाद ही बहाल हो गया था.

आधिकारिक आदेश में कहा गया था कि दोनों चैनलों ने हिंसा को कुछ इस तरह से कवर किया, जिससे उपासना स्थलों को निशाना बनाए जाने और एक विशेष समुदाय का पक्ष लिए जाने का संदेश जा रहा था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)