भारत में लता मंगेशकर को व्यापक रूप से सबसे महान और सबसे सम्मानित पार्श्व गायिकाओं में से एक माना जाता था. भारतीय संगीत उद्योग में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’, ‘स्वर कोकिला’ और ‘क्वीन ऑफ मेलोडी’ जैसी उपाधियां भी दी गई थीं.
मुंबई: प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर का निधन रविवार सुबह मुंबई के एक अस्पताल में हो गया. रविवार को ही मुंबई में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. वह 92 वर्ष की थीं. बहुमुखी प्रतिभा की धनी लता ने लगभग आठ दशकों के अपने करिअर में 36 भाषाओं में हजारों गीतों को अपनी आवाज दी थी. इनमें से मुख्य रूप से हिंदी और मराठी सिनेमा के गीत शामिल हैं.
मंगेशकर के कोविड-19 और निमोनिया होने का पता चला था, जिसके बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
गायिका कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थीं और उन्हें बीमारी के मामूली लक्षण थे. उन्हें आठ जनवरी को ब्रीच कैंडी अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था. वह दो सप्ताह से अधिक समय तक आईसीयू में रहीं.
इसके बाद उनकी स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ था और 28 जनवरी को वेंटिलेटर हटा दिया गया था, लेकिन पांच फरवरी से उनका स्वास्थ्य फिर से बिगड़ने लगा, जिसके बाद उन्हें फिर से वेंटिलेटर पर रखा गया.
शहर के ब्रीच कैंडी अस्पताल में लता मंगेशकर का उपचार करने वाले डॉक्टर प्रतीत समदानी ने संवाददाताओं से कहा, ‘कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के 28 दिन बाद लता दी का सुबह आठ बजकर 12 मिनट पर निधन हो गया. उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था.’
छोटी बहन उषा मंगेशकर ने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा से कहा, ‘वह (लता मंगेशकर) अब नहीं रहीं. उनका सुबह निधन हो गया.’
Lata Mangeshkar is dead, sister Usha Mangeshkar tells PTI
— Press Trust of India (@PTI_News) February 6, 2022
भारत में उन्हें व्यापक रूप से सबसे महान और सबसे सम्मानित पार्श्व गायिकाओं में से एक माना जाता था. भारतीय संगीत उद्योग में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’, ‘स्वर कोकिला’ और ‘क्वीन ऑफ मेलोडी’ जैसी उपाधियां भी दी गई थीं.
रविवार को मंगेशकर जब अपनी अंतिम यात्रा पर निकलीं तो बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उमड़ पड़े और काफिला आगे बढ़ता गया. पुलिस और सेना ने मंगेशकर को औपचारिक सलामी दी और एक बैंड ने राष्ट्रगान बजाया. इसके बाद मंगेशकर के पार्थिव शरीर को फूलों से सजे ट्रक में रखा गया और उसमें गायिका की एक विशाल तस्वीर भी रखी गई.
लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने शिवाजी पार्क में नम आंखों से उन्हें मुखाग्नि दी.
मंगेशकर ने राजनीति, खेल, फिल्म जगत समेत सभी क्षेत्रों के लोगों के दिलों में अपने गीतों के माध्यम से अहम स्थान बनाया. मंगेशकर के वैसे तो सभी गीत लोगों की पसंद रहे है, लेकिन उनके गीत ‘रहें ना रहे हम, महका करेंगे’, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ और ‘नाम गुम जाएगा’ हमेशा लोगों की जुबां पर रहेंगे.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शाम को दादर इलाके के शिवाजी पार्क में उन्हें श्रद्धांजलि देने वाली राजनीति और मनोरंजन उद्योग से जुड़ी हस्तियों में शामिल थे.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार, अभिनेता शाहरुख खान और आमिर खान, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे समेत कई लोग इस मौके पर मौजूद थे.
इससे पहले तिरंगे में लिपटे सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर को फूलों से सजे एक ट्रक से अंतिम संस्कार के लिए रविवार शाम दक्षिण मुंबई में उनके आवास से दादर के शिवाजी पार्क ले जाया गया.
अभिनेता अमिताभ बच्चन, अनुपम खेर, गीतकार जावेद अख्तर और फिल्मकार संजय लीला भंसाली सहित अन्य ने दक्षिण मुंबई में पेड्डर रोड स्थित मंगेशकर के आवास पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. वहां से करीब आठ किलोमीटर दूर स्थित शिवाजी पार्क के लिए गायिका के पार्थिव शरीर को ले जाया गया.
दो दिन का राजकीय शोक
सरकार ने लता मंगेशकर के निधन पर दो दिवसीय ‘राजकीय शोक’ की घोषणा की है. लता मंगेशकर ने आठ दशक के अपने शानदार करिअर में हिंदी, मराठी, तमिल, कन्नड़ और बंगाली समेत 36 भारतीय भाषाओं में शास्त्रीय समेत विभिन्न विधाओं के लगभग 25,000 गीत गाए.
छह फरवरी से सात फरवरी तक पूरे भारत में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा.
28 सितंबर, 1929 को लता मंगेशकर का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक मराठी संगीतकार पंडित दीनानाथ मंगेशकर और गुजराती गृहिणी शेवंती के घर हुआ था. उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर मराठी संगीतकार होने के साथ ही एक थियेटर अभिनेता भी थे.
अपने शानदार करिअर में मंगेशकर ने विभिन्न पीढ़ियों के संगीत के महान लोगों के साथ काम किया. उन्होंने ऐसे प्रतिष्ठित गीतों का अपनी आवाज दी है, जो आज भी प्रासंगिक हैं और लोगों के ज़ेहन में ताजा हैं. हिंदी सिनेमा के अलावा उन्होंने अन्य भारतीय भाषाओं के फिल्मी गीतों को अपनी सुरमयी आवाज से संवारा था.
इस दौरान उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान और उपाधियों से नवाजा गया. 1989 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार तो साल 2001 में राष्ट्र में उनके योगदान के सम्मान में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था. एमएस सुब्बुलक्ष्मी के बाद यह सम्मान हासिल करने वाली वह दूसरी गायिका हैं.
उन्हें पद्म विभूषण और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था. इतना ही नहीं फ्रांस ने उन्हें 2007 में अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया था.
वह तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 15 बंगाल फिल्म पत्रकार संघ पुरस्कार, चार फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व पुरस्कार, दो फिल्मफेयर विशेष पुरस्कार, फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार के अलावा कई अन्य सम्मान प्राप्त कर चुकी थीं. 1974 में वह लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में परफॉर्म करने वाली वह पहली भारतीय बनीं थी.
उनके चार भाई-बहन मीना खादीकर, आशा भोसले, उषा मंगेशकर और हृदयनाथ मंगेशकर हैं. इनमें से वे सबसे बड़ी थीं.
कई लोकप्रिय गीतों को अपनी सुरमयी आवाज देने के अलावा लता मंगेशकर ने कुछ फिल्मों के लिए संगीत भी दिया था. उन्होंने मोहित्यान्ची मंजुला (1963), मराठा तितुका मेलवावा (1964), साधी मनसे (1965) और तंबाडी माटी (1969) आदि फिल्मों के लिए संगीत निर्देशन का काम किया था.
इसके अलावा मंगेशकर वाडल, झांझर, कंचन गंगा जैसी कुछ फिल्मों की प्रोड्यूसर भी रही हैं.
करिअर के शुरुआती दिन
मंगेशकर ने 1942 में वसंत जोगलेकर की मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए सदाशिवराव नेवरेकर द्वारा रचित एक मराठी गीत ‘नाचू या गाड़े, खेलो सारी मणि हौस भारी’ गाया था, लेकिन दुर्भाग्य से गीत को हटा दिया गया था.
मास्टर विनायक ने मंगेशकर को एक मराठी फिल्म ‘पहिली मंगला गौर’ में एक छोटी भूमिका की पेशकश की थी और उनसे ‘नताली चैत्रची नवलई’ गीत भी गवाया था.
1945 में जब मंगेशकर मुंबई चली आईं, तो उन्होंने संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी. मंगेशकर को 1945 में मास्टर विनायक की हिंदी भाषा की फिल्म ‘बड़ी मां’ में अपनी छोटी बहन आशा भोसले के साथ एक छोटी भूमिका निभाने का अवसर मिला. फिल्म में उन्होंने एक भजन ‘माता तेरे चरणों में’ भी गाया था.
संगीत निर्देशक गुलाम हैदर ने मंगेशकर को फिल्म मजबूर (1948) में पहला बड़ा ब्रेक गीतकार नाजिम पानीपति के गीत ‘दिल मेरा तोड़ा, मुझे कहीं का ना छोड़ा’ गाने के साथ दिया जो उनकी पहली बड़ी सफलता वाली फिल्म थी. इसके बाद संगीत निर्देशक खेमचंद प्रकाश द्वारा रचित और अभिनेत्री मधुबाला पर फिल्माया गया फिल्म ‘महल’ (1949) का एक गीत ‘आएगा आने वाला’ गाया. इस गाने के बाद मंगेशकर को कभी पीछे पलटकर नहीं देखना पड़ा.
जिनकी आवाज़ ही उनकी पहचान बन गई
लता मंगेशकर अपने सुरीले गीतों के जरिये संगीत प्रेमियों के दिलों में सदा अमर रहेंगी. उनके गीतों ने कभी प्रेम, कभी खुशी, कभी दुख की भावनाओं को व्यक्त किया तो कभी संगीत की धुनों पर नाचने पर मजबूर कर दिया.
उन्होंने मनुष्य की हर भावना को अपनी आवाज के जरिये संगीत प्रेमियों के दिलों तक पहुंचाया. उनकी आवाज ने ग्रामोफोन की दुनिया से लेकर डिजिटल युग तक का सफर तय किया और कई गीतों को अविस्मरणीय बना दिया.
उन्होंने केवल हिंदी ही नहीं, बल्कि भारत की लगभग हर भाषा में गीत गाए. मंगेशकर ने मधुबाला से लेकर प्रीति जिंटा तक कई पीढ़ियों के फिल्मी कलाकारों के लिए पार्श्व गायन किया.
दक्षिण एशिया में लाखों लोग मंगेशकर की ‘स्वर्णिम आवाज’ से अपने दिन की शुरुआत करते हैं और सुकून देने वाली उनकी आवाज सुनकर ही अपना दिन समाप्त करते हैं.
उन्हें ‘सुर सम्राज्ञी’, ‘स्वर कोकिला’ और ‘सहस्राब्दी की आवाज’ समेत कई उपनाम दिए गए. उन्हें उनके प्रशंसक लता दीदी के नाम से संबोधित करते थे.
इंदौर में जन्मीं मंगेशकर ने मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए मात्र 13 वर्ष की आयु में 1942 में अपना पहला गीत रिकॉर्ड किया था. इसके 79 वर्ष बाद पिछले साल अक्टूबर में विशाल भारद्वाज ने मंगेशकर का गाया ‘ठीक नहीं लगता’ गीत जारी किया था. इस गीत के बोल गुलजार ने लिखे हैं और ऐसा माना जा रहा था कि यह गीत खो गया था.
मंगेशकर ने यह गीत जारी होने के कुछ दिन बाद एक साक्षात्कार में कहा था, ‘यह लंबी यात्रा मेरे साथ है और वह छोटी बच्ची अब भी मेरे अंदर है. वह कहीं गई नहीं है. कुछ लोग मुझे ‘सरस्वती’ कहते हैं या वे कहते हैं कि मुझ पर उनकी कृपा है.’
उन्होंने कहा, ‘यह उनका आशीर्वाद है कि मेरे गाए गीत लोगों को पसंद आते हैं, अन्यथा मैं कौन हूं? मैं कुछ नहीं हूं.’
संगीत जगत को दिया उनका योगदान अतुलनीय है. ऐसा कहा जाता है कि मंगेशकर ने 1963 में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत जवाहरलाल नेहरू की मौजूदगी में जब देश के जवानों के लिए ‘ऐ मेरे वतन के लोगों गीत’ गाया था, तो नेहरू अपने आंसू नहीं रोक पाए थे.
मंगेशकर ने ‘मोहे पनघट पे’ (मुग़ल-ए-आज़म) जैसे शास्त्रीय गीतों, ‘अजीब दास्तां हैं ये’ (दिल अपना और प्रीत पराई) और ‘बांहों में चले आओ’ (अनामिका) जैसे रोमांटिक गीतों से सुरों का जादू बिखेरा.
मृदुभाषी मंगेशकर अपने निजी जीवन पर सार्वजनिक रूप से बात करना पसंद नहीं करती थीं. वह आजीवन अविवाहित रहीं. ऐसी कहा जाता था कि क्रिकेटर राज सिंह डूंगरपुर और मंगेशकर एक-दूसरे से प्रेम करते थे. राज सिंह ने इसे लेकर बात की, लेकिन मंगेशकर ने इस विषय पर कभी कुछ नहीं कहा.
अपनी बहन आशा भोसले के साथ कथित प्रतिद्वंद्वता को लेकर भी मंगेशकर कई बार सुखिर्यों में रहीं, लेकिन उन्होंने इस बात की कभी परवाह नहीं की और कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया. दोनों बहनों ने इस बारे में कोई बात नहीं की और संगीत जगत पर राज किया.
इसके अलावा रॉयल्टी को लेकर गायक मोहम्मद रफी के साथ उनका झगड़ा और अभिनेता राज कपूर के साथ उनका विवाद भी चर्चा में रहा.
मंगेशकर जब मात्र पांच साल की थीं, तभी उनके पिता ने उनके भीतर की महान गायिका को पहचान लिया था. दीनानाथ मंगेशकर के अचानक निधन के कारण परिवार का आर्थिक बोझ 13 वर्षीय लता मंगेशकर के कंधों पर आ गया. ऐसे में उनके पारिवारिक मित्र मास्टर विनायक ने उनकी मदद की और लता मंगेशकर ने उनकी रंगमंच कंपनी में गाना और अभिनय करना शुरू कर दिया.
जब वह मुंबई गईं तो निर्माता एस. मुखर्जी ने यह कहकर मंगेशकर को खारिज कर दिया था कि उनकी आवाज बहुत पतली है, लेकिन वह यह नहीं जानते थे कि यही आवाज कई भावी पीढ़ियों तक संगीत जगत पर राज करेगी.
लता मंगेशकर ने जब 1949 में फिल्म ‘महल’ के लिए ‘आएगा आने वाला’ गीत गाया, तो उस समय पार्श्व गायकों को अधिक तवज्जो नहीं दी जाती थी और यह सार्वजनिक नहीं किया गया था कि यह गीत किसने गाया है, लेकिन यह गीत इतना हिट हुआ कि लोग इसकी गायिका के बारे में जानने को उत्सुक थे, जिसके कारण रेडियो स्टेशन को यह जानने के लिए एचएमवी से संपर्क करना पड़ा कि इस गीत को आवाज किसने दी है.
मंगेशकर ने नसरीन मुन्नी कबीर के वृत्तचित्र ‘लता मंगेशकर: इन हर ओन वर्ड्स’ में इस बात का जिक्र किया था.
रेडियो स्टेशन ने श्रोताओं को बताया कि यह गीत मंगेशकर ने गाया है और इसी के साथ देश को एक सितारा मिल गया.
मंगेशकर ने 1950 के दशक में शंकर जयकिशन, नौशाद अली, एसडी बर्मन, हेमंत कुमार और मदन मोहन जैसे महान संगीतकारों के साथ काम किया.
उस समय गायकों को अधिक धन नहीं मिलता था, इसलिए मंगेशकर एक दिन में छह से आठ गीत गाती थीं और फिर घर जाकर कुछ घंटे सोने के बाद अगले दिन फिर ट्रेन से रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंच जाया करती थीं.
उनकी आवाज सफलता का पर्याय बन गई थी और इसीलिए मुख्य अभिनेता इस बात पर जोर देते थे कि उनकी फिल्मों के गीत लता मंगेशकर ही गाएं और अपने अनुबंधों में यह शर्त भी रखते थे.
साठ के दशक में एक बार फिर मधुबाला मंगेशकर की आवाज का चेहरा बनीं.
मंगेशकर ने ‘मुग़ल-ए-आज़म’ के लिए ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’ गीत गाकर संगीत जगत में तहलका मचा दिया. इसी दशक में उन्होंने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ मिलकर काम करना शुरू किया.
मंगेशकर ने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के लिए 35 साल में 700 से अधिक गीत गाए, जिनमें से अधिकतर बहुत लोकप्रिय हुए.
मंगेशकर ने मुकेश, मन्ना डे, महेंद्र कपूर, मोहम्मद रफी और किशोर कुमार जैसे दिग्गज गायकों के साथ युगल गीत गाए.
सत्तर के दशक में मंगेशकर ने अभिनेत्री मीना कुमारी की आखिरी फिल्म ‘पाकीज़ा’ और ‘अभिमान’ के लिए बेहतरीन गीत गाए.
उन्होंने 80 के दशक में ‘सिलसिला’, ‘चांदनी’, ‘मैंने प्यार किया’, ‘एक दूजे के लिए’, ‘प्रेम रोग’, ‘राम तेरी गंगा मैली’ और ‘मासूम’ फिल्मों के लिए गीत गाए.
वर्ष 1990 और 2000 के दशक में उन्होंने गुलजार निर्देशित फिल्म ‘लेकिन’ और यश चोपड़ा की फिल्मों ‘लम्हे’, ‘डर’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ और ‘दिल तो पागल’ के गीतों को अपनी सुरीली आवाज दी. उन्होंने आखिरी बार 2004 में ‘वीर-जारा’ फिल्म की पूरी अलबम के गीत गाए.
लता मंगेशकर आज भले ही दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अपनी आवाज के जरिये वह संगीत प्रेमियों के बीच सदा अमर रहेंगी. मंगेशकर ने 1977 में ‘किनारा’ फिल्म के लिए ‘मेरी आवाज ही मेरी पहचान है’ गीत गाया था और वाकई आज उनकी आवाज किसी पहचान की मोहताज नहीं.
देश-दुनिया के लाखों लोगों ने शोक जताया
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लता मंगेशकर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि लता जी का निधन ‘मेरे लिए, दुनियाभर के लाखों लोगों के लिए हृदयविदारक है.’
राष्ट्रपति भवन ने कोविंद के हवाले से ट्वीट किया, ‘लता दीदी जैसा कलाकार सदियों में एक बार पैदा होता है. वह एक असाधारण व्यक्ति थीं, जो उच्च कोटि के व्यवहार की धनी थीं.’
प्रधानमंत्री मोदी ने महान गायिका लता मंगेशकर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह अपने दुख को शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘लता दीदी ने अपने गीतों के जरिये विभिन्न भावनाओं को व्यक्त किया. उन्होंने दशकों से भारतीय फिल्म जगत में आए बदलावों को नजदीक से देखा. फिल्मों से परे, वह भारत के विकास के लिए हमेशा उत्साही रहीं. वह हमेशा एक मजबूत और विकसित भारत देखना चाहती थीं.’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगेशकर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी सुरीली आवाज अमर है, जो उनके प्रशंसकों के दिलों में हमेशा गूंजती रहेगी.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, श्रीलंका के नेता महिंदा राजपक्षे और नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने गायिका के निधन पर शोक व्यक्त किया.
मंगेशकर के निधन पर शोक जताते हुए प्रसिद्ध गीतकार गुलजार ने कहा कि वह एक चमत्कार हैं, जिन्हें शब्दों में नहीं बांधा जा सकता.
गीतकार ने कहा, ‘लताजी अपने-आप में करिश्मा हैं और यह करिश्मा हमेशा नहीं होता है और आज यह करिश्मा मुक्कमल हो गया. वह चली गईं. वह चमत्कारिक गायिका थीं, जिनकी आवाज में चमत्कार था. उनके लिए विशेषण खोजना कठिन है. हम उनके बारे में चाहे कितनी भी बातें कर लें, वह कम होगा. उन्हें शब्दों में नहीं बांधा जा सकता.’
मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन ने मंगेशकर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनकी आवाज को सदी की सबसे बेहतरीन आवाज करार दिया.
उन्होंने कहा, ‘वह हमें छोड़कर चली गईं…सदियों की सबसे बेहतरीन आवाज खामोश हो गई… उनकी आवाज अब स्वर्ग में गूंजती रहेगी. उनकी आत्मा की शांति की कामना करता हूं.’
मशहूर संगीतकार एआर रहमान ने मंगेशकर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह बहुत भाग्यशाली हैं कि उन्होंने उनके साथ गाने रिकॉर्ड किए और उनके साथ गाया तथा उनसे रियाज का महत्व सीखा.
रहमान ने अपने यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा कि वह बहुत भाग्यशाली हैं कि उन्होंने उनके साथ कुछ गाने रिकॉर्ड किए, उनके साथ गाने गाए तथा उनके शो का हिस्सा बने. संगीतकार ने कहा, ‘मुझे इनमें से एक सबसे महत्वपूर्ण चीज मंच पर प्रस्तुति के बारे में उनसे जानने को मिला.’
मंगेशकर के साथ अपने दोस्ताना संबंधों को याद करते हुए अभिनेत्री वहीदा रहमान ने कहा कि वह महान गायिका को अक्सर चॉकलेट, कबाब और बिरयानी भेजा करती थीं, जिसके बदले में अपने आशीर्वाद के रूप में लता उन्हें सुंदर साड़ियां भेजती थीं.
वहीदा ने कहा, ‘यह हर किसी के लिए विभिन्न तरह से सचमुच में एक नुकसान है. मेरे लिए, मैं नहीं जानती कि क्या कहना है, हम एक दूसरे से रोज बातचीत नहीं किया करते थे लेकिन हम दोनों ने एक दूसरे के साथ का बहुत अच्छा समय बिताया, हम एक दूसरे को बखूबी जानते थे. लेाग अक्सर सोचते हैं कि वह एक शर्मीली महिला थी, लेकिन मैंने उन्हें चुटकुले सुनाते देखा. हमने जो वक्त साथ गुजारा है, वह मेरे साथ सदा रहेगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)