उडुपी ज़िले में हिजाब विवाद के बीच कुंडापुर के दो जूनियर कॉलेज के छात्रों के एक समूह ने परिसरों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर भगवा शॉल पहनकर जुलूस निकाला. वहीं, राज्य सरकार ने ऐसे कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया, जो स्कूल-कॉलेजों में समानता और लोक व्यवस्था को बिगाड़ते हैं.
बेंगलुरु/नई दिल्ली: कर्नाटक के उडुपी जिले में हिजाब विवाद के बीच शनिवार को कुंडापुर के दो जूनियर कॉलेजों के छात्रों के एक समूह ने परिसरों में सिर पर पहने जाने वाले स्कार्फ यानी हिजाब पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर शहर में भगवा रंग के शॉल पहनकर एक जुलूस निकाला.
प्रदर्शन करने वाले कुंडापुर जूनियर कॉलेज और आर एन शेट्टी कॉलेज के हिंदू छात्रों ने कहा कि अगर मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति दी जाती है तो वे शॉल पहनना जारी रखेंगे.
Hindu students in Karnataka, India wearing Hindu Right-wing’s saffron scarves opposing Muslim women students’ wearing of hijabs! A nation has lost its mooring! pic.twitter.com/omEGyMSuX1
— Ashok Swain (@ashoswai) February 4, 2022
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, उडुपी के कुंडापुर के वीडियो में छात्र और छात्राओं को अपनी कॉलेज यूनिफॉर्म के ऊपर भगवा रंग का शॉल पहने देखा जा सकता है. कॉलेज जा रहे ये छात्र इस दौरान जय श्रीराम के नारे भी लगा रहे हैं.
इस वीडियो क्लिप में मुस्लिम छात्राओं को एक अलग कतार में अपनी पोशाक पर हिजाब पहने देखा जा सकता है. कॉलेज के पास खड़ी पुलिस की गाड़ियों को भी इस क्लिप में देखा जा सकता है.
बता दें कि चार फरवरी को लगभग 40 छात्राओं ने उडुपी जिले में अपने कॉलेज के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन हिजाब पहनने पर रोक लगाने को लेकर था.
कुंडापुर में भंडारकर्स आर्ट्स एंड साइंस डिग्री कॉलेज की छात्राएं पांच फरवरी को लगातार दूसरे दिन अपनी कक्षाओं में प्रवेश नहीं कर सकीं.
इन छात्राओं ने प्रशासन से यह जानने की मांग है कि प्रशासन ने हिजाब पर प्रतिबंध क्यों लगाया है जबकि नियमों के तहत इसकी मंजूरी है.
द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि तीन फरवरी को छात्राओं ने यह तर्क दिया था कि वह लंबे समय से हिजाब पहनकर कॉलेज आ रही थीं और उन्हें हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए.
विरोध कर रही छात्राओं ने कॉलेज मैनुअल का हवाला देते हुए कहा, ‘छात्राओं को कॉलेज कैंपस के भीतर हिजब पहनने की अनुमति है. हालांक, हिजाब का रंग दुपट्टे से मेल खाना चाहिए और किसी भी छात्र को कॉलेज कैंटीन सहित कैंपस के भीतर किसी अन्य कपड़े को पहनने की मंजूरी नहीं है.’
रिपोर्ट के मुताबिक, इन छात्राओं का समर्थन करते हुए लगभग 40 मुस्लिम छात्रों ने भी कॉलेज के बाहर प्रदर्शन किया.
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, छात्राएं पहले हिजाब नहीं पहन रही थी और यह समस्या सिर्फ 20 दिन पहले ही शुरू हुई है.
हालांकि, एजेंसी के मुताबिक, एक छात्रा ने कहा, ‘हिजाब हमारे जीवन का हिस्सा है. हमारे सीनियर भी इसी कॉलेज में हिजाब पहनकर पढ़े हैं तो फिर अचानक यह नया नियम कैसे आ गया. अगर हम हिजाब पहनेंगे तो इसमें दिक्कत क्या है. इससे पहले तक को कोई समस्या नहीं थी.’
#WATCH | Students wearing hijab denied entry to Govt PU College in Kundapur area of Udupi, Karnataka amid a row on wearing the headscarf in classrooms
"They were not wearing the hijab earlier & this problem started only 20 days ago," State Education Minister BC Nagesh has said. pic.twitter.com/3pT418rb0y
— ANI (@ANI) February 4, 2022
बता दें कि तीन फरवरी को कर्नाटक में एक अन्य कॉलेज ने हिजाब पहनी 20 छात्राओं को प्रवेश नहीं करने दिया. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें इन छात्राओं को कॉलेज प्रिंसिपल से बहस करते देखा जा सकता है.
दरअसल प्रिंसिपल इन छात्राओं को कॉलेज में प्रवेश से पहले हिजाब उतारने को कह रहे थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, एक छात्रा ने पूछा था, ‘आप हमें क्यों रोक रहे हैं? क्या हिजाब पहनने से रोकने के लिए कोई नियम है?’
यह घटना घटना बुधवार को लगभग 100 छात्रों के भगवा शॉल पहनकर स्कूल पहुंचने के बाद हुई. इन छात्रों ने हिजाब उतारने से मना करने वाली छात्राओं के विरोध में भगवा शॉल ओढ़ा था.
इस बीच विवाद बढ़ने से रोकने के लिए कॉलेज प्रशासन ने कुंडापुर के भाजपा विधायक हलादी श्रीनिवास शेट्टी से मुलाकात की. वह बोर्ड के सदस्य भी हैं.
उन्होंने फैसला लिया कि कई भेदभाव नहीं होना चाहिए और सभी के लिए एक नियम होना चाहिए.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए कॉलेज प्रबंधन और पुलिस की बैठक के बाद आरएन शेट्टी कालेज में अवकाश की घोषणा की गई है. इसके साथ ही शहर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.
बाद में शनिवार को कॉलेज विकास समिति की बैठक में कक्षाओं के भीतर हिजाब और भगवा शॉल पहनने पर रोक लगाने का फैसला किया गया.
बहरहाल, छात्र-छात्राओं को परिसर में हिजाब और शॉल पहनकर प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी. कक्षाओं में केवल निर्धारित वर्दी पहनने की मंजूरी दी जाएगी.
समिति ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं को कॉलेज इमारत में एक अलग कक्ष में बैठने की अनुमति देने का भी फैसला किया है. उन्हें पिछले तीन दिनों से प्रवेश द्वार के बाहर बैठाने को लेकर आलोचना की गई थी.
शैक्षणिक संस्थानों में कथित तौर पर सद्भाव बिगाड़ने वाले कपड़ों पर प्रतिबंध
कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर विवाद बढ़ने के बीच राज्य सरकार ने शनिवार को ऐसे कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया, जो स्कूलों और कॉलेजों में समानता, अखंडता और लोक व्यवस्था को बिगाड़ते हैं.
सरकारी आदेश में कहा गया, ‘कर्नाटक शिक्षा कानून, 1983 के खंड 133 (2) को लागू किया गया है जिसमें कहा गया है कि एक समान शैली की पोशाक अनिवार्य रूप से पहनी जानी चाहिए. निजी स्कूल प्रशासन अपनी पसंद के परिधान का चयन कर सकता है.’
आदेश में कहा गया, ‘छात्र-छात्राओं को कॉलेज विकास समिति या महाविद्यालयों के प्रशासनिक बोर्ड की अपीलीय समिति द्वारा निर्धारित की गई पोशाक पहननी होगी.’
आदेश के अनुसार, ‘प्रशासनिक समिति द्वारा पोशाक का चयन नहीं करने की स्थिति में समानता, अखंडता और कानून व्यवस्था को भंग करने वाले कपड़े नहीं पहनने चाहिए.’
सरकारी आदेश में कहा गया, ‘कर्नाटक शिक्षा कानून-1983 में कहा गया है कि सभी छात्रों को एक समान पोशाक पहननी चाहिए ताकि वे एक समान दिखें और इस तरह से व्यवहार करें कि कोई भेदभाव न हो.’
आदेश में कहा गया, ‘छात्रों के लाभ के लिए राज्य के सभी स्कूलों और कॉलेजों के लिए एक साझा कार्यक्रम तैयार किया गया है. हालांकि, शिक्षा विभाग ने देखा है कि कुछ शैक्षणिक संस्थानों में लड़के और लड़कियों ने अपने धर्म के अनुसार व्यवहार करना शुरू कर दिया है, जिससे समानता और एकता प्रभावित होती है.’
आदेश में पोशाक के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्टों के फैसलों का भी हवाला दिया गया.
आदेश में कहा गया कि राज्य में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जहां मुस्लिम छात्राओं को हिजाब में कॉलेजों या महाविद्यालयों में कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है, जबकि हिजाब के जवाब में हिंदू छात्र भगवा शॉल लेकर शैक्षणिक संस्थान आ रहे हैं.
यह मुद्दा जनवरी में उडुपी और चिक्कमंगलुरु में शुरू हुआ था, जहां छात्राएं हिजाब पहनकर कक्षाओं में आई थीं. इसके बाद इसी तरह के मामले कुंडापुर और बिंदूर के कुछ अन्य कॉलेजों में भी आए.
इसके बाद कुछ अन्य जगहों से भी इस तरह के मामले आए, जहां मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनकर कक्षाओं में जाने की अनुमति की मांग की.
इस बीच, हिजाब विवाद ने राजनीतिक रंग ले लिया है. राज्य में सत्तारूढ़ दल भाजपा ने कहा है कि सरकार शिक्षा व्यवस्था का ‘तालिबानीकरण’ करने की अनुमति नहीं देगी.
वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस मुस्लिम लड़कियों के समर्थन में सामने आई है. कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने के अधिकार पर मुस्लिम लड़कियों का समर्थन किया है.
उन्होंने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर हिजाब के नाम पर पूरे राज्य में सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया.
उन्होंने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से मामले को संभालने और लोगों को भड़काने वालों को गिरफ्तार करने का आग्रह किया. उन्होंने दावा किया कि संघ परिवार का मुख्य एजेंडा हिजाब के नाम पर मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना है.
सिद्धरमैया ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के बारे में बोलते हैं. क्या उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है?’
उन्होंने कहा, ‘संविधान ने किसी भी धर्म को मानने का अधिकार दिया है, जिसका अर्थ है कि कोई भी अपने धर्म के अनुसार कोई भी कपड़े पहन सकता है.’
सिद्धरमैया ने कहा कि हिजाब पहनने वाली छात्राओं को स्कूल में प्रवेश करने से रोकना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.
वहीं, भाजपा की प्रदेश इकाई प्रमुख नलिन कुमार कटील ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था का ‘तालिबानीकरण’ करने की अनुमति नहीं देगी.
कटील ने संवाददाताओं से कहा, ‘इस तरह की चीजों (कक्षाओं में हिजाब पहनने) की कोई गुंजाइश नहीं है. हमारी सरकार कठोर कार्रवाई करेगी. लोगों को विद्यालय के नियमों का पालन करना होगा. हम (शिक्षा व्यवस्था के) तालिबानीकरण की अनुमति नहीं देंगे.’
कटील ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में धर्म को शामिल करना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि बच्चों को केवल शिक्षा की जरूरत है.
कटील ने सिद्धरमैया पर भी निशाना साधा और उन पर मुख्यमंत्री रहते हुए समुदायों के बीच दरार पैदा करने के लिए टीपू जयंती मनाने और ‘शादी भाग्य’ जैसी योजनाओं को लाने का आरोप लगाया.
भाजपा नेता ने कहा, ‘हिजाब या ऐसी किसी चीज की विद्यालयों में जरूरत नहीं है. स्कूल सरस्वती का मंदिर हैं. विद्यार्थियों का काम केवल पढ़ना-लिखना और स्कूल के कायदे-कानूनों का पालन करना है.’
यह मामला हाईकोर्ट पहुंचने के बीच मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सरकार के रुख के बारे में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश और शीर्ष सरकारी अधिकारियों के साथ शुक्रवार को बैठक की.
राज्य सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों से पोशाक संबंधी मौजूदा नियमों का पालन करने को कहा है, जब तक कि हाईकोर्ट अगले सप्ताह इस संबंध में कोई आदेश नहीं दे देता.
कर्नाटक हाईकोर्ट आठ फरवरी को उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय में पढ़ने वाली पांच लड़कियों द्वारा संस्थान में हिजाब पर प्रतिबंध के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा.
जनता दल (सेक्युलर) नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने विवाद के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के बजाय, वे इसे ‘बेटी हटाओ’ बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसे रोका जाना चाहिए.
उन्होंने सरकार से उन संस्थानों में यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा, जहां अब तक हिजाब की अनुमति थी, और उन जगहों पर इसकी अनुमति नहीं देने के लिए कहा जहां यह हाल ही में शुरू हुआ है.
कन्नड़ और संस्कृति मंत्री वी. सुनील कुमार ने हिजाब विवाद को एक सुनियोजित षड्यंत्र बताते हुए कहा कि हिजाब या बुर्का घर से कॉलेज परिसर तक पहना जा सकता है, लेकिन कक्षाओं में प्रवेश करने पर सभी को निर्धारित पोशाक पहननी चाहिए और यही व्यवस्था है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)