प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना: तीन साल में 50 फीसदी लाभार्थियों के ही आयुष्मान कार्ड बने

आम नागरिकों को निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं देने के दावे के साथ तीन साल पहले शुरू हुई प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत शामिल राज्यों में क़रीब 54 करोड़ लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जाने थे. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब तक 22 करोड़ 10 लाख लाभार्थियों के ही कार्ड बन सके हैं.

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फोटो साभार: pmjay.gov.in

आम नागरिकों को निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं देने के दावे के साथ तीन साल पहले शुरू हुई प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत शामिल राज्यों में क़रीब 54 करोड़ लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जाने थे. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब तक 22 करोड़ 10 लाख लाभार्थियों के ही कार्ड बन सके हैं.

(फोटो साभार: pmjay.gov.in)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना तीन साल पहले बड़े शोर-शराबे के साथ इस मकसद से शुरू हुई थी कि देश की बड़ी आबादी को मुफ्त बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी, लेकिन एक मीडिया रिपोर्ट बताती है कि तीन सालों में इस योजना के तहत 50 फीसदी हितधारकों के भी आयुष्मान कार्ड नहीं बन सके हैं.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, योजना में शामिल राज्यों में करीब 54 करोड़ लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जाने थे. योजना के दायरे में 2011 में हुई सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना में दर्ज 10.74 करोड़ परिवार आते हैं. एक परिवार में औसतन 5 लोगों के हिसाब से देश में योजना के लाभार्थियों की संख्या 53.7 करोड़ बैठती है.

हालांकि, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और दिल्ली राज्य योजना में शामिल नहीं हुए हैं, जबकि आंध्र प्रदेश व राजस्थान ने परिवार के प्रत्येक सदस्य की जगह एक परिवार के लिए एक कार्ड बनाने की नीति अपनाई है.

इस तरह अब तक केवल 22 करोड़ 10 लाख लाभार्थियों के ही योजना में आयुष्मान कार्ड बन सके हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, यह संख्या कुल बनाए जाने योग्य कार्डों का 50 फीसदी है. साथ ही, हाल ही में इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में बैठक भी हुई थी, जिसमें राज्यों को जल्द कार्ड बनाने के निर्देश दिए गए थे.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश-पंजाब समेत पांचों चुनावी राज्यों पर खास चर्चा हुई. इन राज्यों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है ताकि चुनावी लाभ उठाया जा सके.

इस संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के एक अधिकारी का कहना है कि योजना में इलाज के लिए कार्ड जरूरी नहीं है. जब इलाज की जरूरत होती है तो उसी समय अस्पताल में कार्ड बन जाता है. इसलिए इसे प्राथमिकता में नहीं रखा गया था.

साथ ही उन्होंने सफाई में कहा कि कोरोना के चलते स्वास्थ्य सेवा कर्मी कोविड ड्यूटी में तैनात थे, इसलिए कार्ड बनने में देरी हुई है.

यदि राज्यवार कार्ड निर्माण की संख्या देखें तो सबसे अधिक कार्ड छत्तीसगढ़ (82.5) मे बने हैं. उसके बाद झारखंड (65.9) का नंबर आता है. तीसरे पायदान पर मध्य प्रदेश (61.5) है.

चंडीगढ़ में 57.4, गुजरात में 51.2, हिमाचल में 46.1, हरियाणा में 36.2, महाराष्ट्र में 17.7 और बिहार में 13.5 फीसदी लाभार्थियों के ही कार्ड बन पाए हैं.

सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 5.75 करोड़ लोगों के कार्ड बनने हैं, लेकिन 1,76,17,984 करोड़ लोगों के ही कार्ड अब तक बने हैं. वहीं, गोवा में 1.81 लाख लाभार्थियों में से केवल 22 हजार के ही कार्ड बने हैं. मणिपुर में 13.60 लाख लोगों में से 3.89 लाख लोगों के ही कार्ड बन सके हैं.

पंजाब में 2.28 करोड़ में से 77.41 लाख और उत्तराखंड मे 78 लाख में से 41 लाख लोगों के कार्ड बन सके हैं.

बता दें कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जय) के तहत आयुष्मान कार्ड बनवाकर सरकारी और निजी अस्पतालों में एक परिवार हर साल पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज करा सकता है.