एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की ओर कहा गया है कि कश्मीर में मीडिया की स्वतंत्रता का दायरा लगातार सिमटता गया है. संगठन ने ‘द कश्मीर वाला’ न्यूज़ पोर्टल के संपादक फहद शाह और इसी संस्थान के एक अन्य पत्रकार सज्जाद गुल की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन से आग्रह किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर पत्रकारों का उत्पीड़न बंद करें.
नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने रविवार को ‘द कश्मीर वाला’ न्यूज पोर्टल के संपादक फहद शाह की गिरफ्तारी की निंदा की और उनकी तत्काल रिहाई की मांग करते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन से आग्रह किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर पत्रकारों का उत्पीड़न बंद करें.
एडिटर्स गिल्ड ने एक बयान में एक अन्य पत्रकार सज्जाद गुल की तत्काल रिहाई की भी मांग की, जिन्हें पिछले महीने कश्मीर में गिरफ्तार किया गया था.
गिल्ड ने उल्लेख किया कि शाह को आतंकवादी गतिविधियों का महिमामंडन करने, फर्जी खबरें फैलाने और कानून-व्यवस्था के समक्ष चुनौती पैदा कर जनता को उकसाने के ‘विशिष्ट आधार’ पर गिरफ्तार किया गया. संगठन ने ये भी कहा कि कश्मीर में मीडिया की स्वतंत्रता का दायरा लगातार सिमटता गया है.
Editors Guild of India strongly condemns the arrest of Fahad Shah, editor of the Kashmir Walla. Demands his immediate release and urges state authorities to ensure that FIRs, intimidatory questioning, and wrongful detainment are not used as tools for suppressing press freedom pic.twitter.com/4hWCXZUQth
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) February 6, 2022
बयान में कहा गया, ‘गिल्ड फहद शाह के साथ-साथ सज्जाद गुल की तत्काल रिहाई की भी मांग करता है और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कठोर दंड कानूनों के तहत प्राथमिकी, डराने-धमकाने और गलत तरीके से हिरासत में लेने का इस्तेमाल पत्रकारों के अधिकारों को दबाने के लिए एक उपकरण के रूप में नहीं किया जाए.’
गिल्ड ने राज्य प्रशासन से लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करने और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर पत्रकारों के उत्पीड़न’ को रोकने का आग्रह किया.
मालूम हो कि समाचार पोर्टल द कश्मीर वाला के संपादक फहद शाह को बीते चार फरवरी को आतंकवादी गतिविधियों का महिमामंडन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जब उन्होंने पुलवामा में एक मुठभेड़ की सूचना दी थी, जिसमें चार मौतें हुईं थीं.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि शाह को पिछले कुछ वर्षों में उनके लेखन के लिए कई बार बुलाया गया और हिरासत में लिया गया. उनकी गिरफ्तारी कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा पत्रकारों को पूछताछ के लिए बुलाने और अक्सर उन्हें हिरासत में लेने की एक बड़ी प्रवृत्ति का हिस्सा है, क्योंकि उनके संस्थान से आलोचनात्मक रिपोर्टिंग होती है.
गिल्ड ने दो अलग-अलग घटनाओं का भी उल्लेख किया, जिनमें से एक पत्रकार गौहर गिलानी को जनहित के लिए हानिकारक तरीके से काम करने के आरोप में शोपियां जिले के कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा 7 फरवरी को अदालत में पेश होने का मामला था और दूसरा एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर द कश्मीर वाला के एक अन्य पत्रकार सज्जाद गुल की गिरफ्तारी का मसला है.
गिल्ड ने कहा, ‘कश्मीर में मीडिया की स्वतंत्रता का स्थान धीरे-धीरे क्षीण होता गया है. पिछले महीने सुरक्षा बलों ने कश्मीर प्रेस क्लब प्रबंधन के तख्तापलट में कुछ पत्रकारों को उकसाया और फिर बाद में राज्य के अधिकारियों ने क्लब को पूरी तरह से बंद कर दिया और भूमि को वापस संपदा विभाग को वापस कर दी.’
मालूम हो कि पोर्टल ‘द कश्मीर वाला’ के साथ जुड़े एक ट्रेनी पत्रकार और छात्र सज्जाद गुल को बांदीपोरा जिले के हाजिन इलाके में उनके घर से पांच जनवरी की रात को गिरफ्तार किया गया था.
आठ जनवरी को जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने बयान जारी कर कहा था कि उन्होंने गुल को कथित तौर पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने और सार्वजनिक शांतिभंग करने के लिए गिरफ्तार किया है.
आरोप है कि गुल ने शालीमार श्रीनगर में आतंकी सलीम पर्रे को मार गिराए जाने के दिन कुछ महिलाओं द्वारा देश विरोधी नारे लगाए जाने के आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किए थे.
उसके बाद राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए पत्रकार सज्जाद गुल को अदालत से जमानत मिलने के अगले ही दिन उनके खिलाफ जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया था.