लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा को ज़मानत मिलने पर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि राजनीतिक रूप से शक्तिशाली आरोपी के गवाहों को प्रभावित करने की पक्की संभावना पर विचार किए बिना अदालत का ज़मानत देना बेहद निराशाजनक है.
नई दिल्ली/नोएडा/रामपुर: पिछले साल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में हुई हिंसा के दौरान एसयूवी से कुलचकर चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को बीते बृहस्पतिवार को जमानत मिलने की विपक्ष समेत विभिन्न किसान संगठनों ने निंदा की है.
आशीष मिश्रा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे हैं. इस हिंसा में चार किसानों समेत कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी.
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत दिए जाने की निंदा की और कहा कि यह आदेश निष्पक्ष जांच की उम्मीद पर पानी फेरता है.
40 से अधिक किसान संघों के संगठन ने एक बयान में कहा, ‘लखीमपुर खीरी हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जमानत पर रिहा किए जाने का आदेश दुर्भाग्यपूर्ण और आश्चर्यजनक है.’
बयान में कहा गया है कि हत्या के अभियुक्त को इतनी जल्दी जमानत पर रिहा कर दिया जाता है और वह भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण के दिन, यह बहुत ही आश्चर्यजनक है, जबकि हत्या के प्रत्यक्ष सबूत मौजूद हैं.
उन्होंने (किसान) आंदोलन के संबंध में बिना किसी संदर्भ के हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी को भी अवांछित करार दिया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, संगठन ने कहा, ‘यह भी आश्चर्य की बात है कि बिना किसी सबूत के हाईकोर्ट द्वारा यह अनुमान लगाया गया है कि चालक ने भीड़ के ऊपर दहशत में वाहन चलाया होगा. बिना किसी संदर्भ के (किसानों के) आंदोलन पर अदालत द्वारा की गई टिप्पणी अनुचित है.’
संगठन ने कहा, ‘राजनीतिक रूप से शक्तिशाली आरोपी के गवाहों को प्रभावित करने की पक्की संभावना पर विचार किए बिना अदालत का आशीष मिश्रा को जमानत देना बेहद निराशाजनक है. यह आदेश इस जघन्य हत्याकांड में निष्पक्ष जांच और न्याय की उम्मीद को धूमिल करता है.’
किसान मोर्चा ने मांग की कि सरकार को तुरंत हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करनी चाहिए.
राष्ट्रीय लोक दल और भारतीय किसान यूनियन ने न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठाया
आशीष मिश्रा को जमानत प्रदान किए जाने के बीच बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी और भारतीय किसान यूनियन ने देश की न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठाया.
जयंत चौधरी ने ट्वीट कर कहा, ‘क्या व्यवस्था है. चार किसानों को रौंदा, चार महीने में जमानत.’
क्या व्यवस्था है!!
चार किसानों को रौंदा, चार महीनों में ज़मानत…
— Jayant Singh (@jayantrld) February 10, 2022
वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता सौरभ उपाध्याय ने मंत्री के बेटे को जमानत प्रदान करने के अदालती आदेश को देश में ‘लोकतंत्र’ पर ‘अलोकतांत्रिक’ हमला करार दिया.
उन्होंने सवाल उठाया, ‘क्या हत्या के आरोपी को जमानत मिलना इतना आसान है? देश के किसानों को न्याय कब मिलेगा.’
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैट ने ट्वीट कर कहा, लखीमपुर खीरी हत्याकांड में मंत्री अजय टेनी के बेटे आशीष को जमानत मिल गई. बीजेपी की ओछी राजनीति का ये नमूनाभर है. हमें न्याय प्रणाली पर भरोसा है. बड़ी अदालत में अपील करेंगे.
लखीमपुर खीरी हत्याकांड में मंत्री अजय टेनी के बेटे आशीष को जमानत मिल गई। बीजेपी की ओछी राजनीति का ये नमूनाभर है।
हमें न्याय प्रणाली पर भरोसा है। बड़ी अदालत में अपील करेंगे।किसानों पर हो रहे अत्याचार और अन्याय के लिए देशभर के किसानों और युवाओं को जागरूक करेंगे ।
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) February 10, 2022
उन्होंने कहा कि किसानों पर हो रहे अत्याचार और अन्याय के लिए देशभर के किसानों और युवाओं को जागरूक करेंगे.
क्या प्रधानमंत्री की देश के प्रति कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती: प्रियंका गांधी
इधर, लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का इस्तीफा नहीं लेने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने बृहस्पतिवार को कहा कि क्या एक प्रधानमंत्री की देश के प्रति कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है?
रामपुर में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, ‘उनके मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल दिया, लेकिन क्या उन्होंने इस्तीफा दिया? सभी कहते हैं कि हमारे प्रधानमंत्री अच्छे व्यक्ति हैं, तो फिर उन्होंने अपने मंत्री से इस्तीफा देने को क्यों नहीं कहा? क्या देश के प्रति उनकी कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है?’
उन्होंने सवाल किया, ‘आज उस व्यक्ति को जमानत मिल गई है, जिसने आपको कुचला, वह व्यक्ति आजाद घूम रहा है. लेकिन सरकार ने किसे बचाया? क्या उसने किसानों को बचाया? जब किसान मारे गए उस वक्त पुलिस और प्रशासन कहां था?’
कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश मामलों की प्रभारी प्रियंका गांधी ने दावा किया कि लखीमपुर खीरी घटना के वक्त पुलिस कहीं नजर नहीं आई, लेकिन जब कांग्रेस सदस्य पीड़ित परिवारों से मिलने जा रहे थे तो उन्हें रोकने आई थी.
प्रियंका ने कहा, ‘लेकिन जिसने नुकसान पहुंचाया उस व्यक्ति का पिता आज भी मंच पर खड़ा है. प्रधानमंत्री की देश के प्रति जिम्मेदारी बनती है और इस जिम्मेदारी को निभाना उनका धर्म है. यह धर्म सभी धर्मों से बढ़कर है. जो भी राजनेता, प्रधानमंत्री या सरकार ऐसा करने में असफल रहती है, उसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए.’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘आपके साथ जो खेल खेला जा रहा है उसे समझें. मुझे पता है कि उत्तर प्रदेश के लोग समझदार हैं और मैंने आप सभी से सीखा है कि आपको लिए कौन काम करता है. फिर आप जातिवादी, सांप्रदायिक भाषणों और वॉट्सऐप (वीडियो) देखकर क्यों भ्रमित हो रहे हैं? इससे आपको कोई लाभ नहीं हो रहा है, इससे सिर्फ नेताओं को फायदा पहुंच रहा है.’
कांग्रेस नेता चुनाव प्रचार के सिलसिले में रामपुर में थीं, जहां दूसरे चरण में 14 फरवरी को मतदान होना है.
मालूम हो कि लखीमपुर खीरी के सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के विरोध में तीन अक्टूबर 2021 को वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया था.
इस दौरान जिले के तिकुनिया में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा से संबंधित महिंद्रा थॉर सहित तीन एसयूवी के एक काफिले ने तिकुनिया क्रॉसिंग पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को रौंद दिया था, जिसमें चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गई थी और लगभग आधा दर्जन लोग घायल हुए थे.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के पुत्र आशीष मिश्रा और उसके दर्जन भर साथियों के खिलाफ चार किसानों को थार जीप से कुचलकर मारने और उन पर फायरिंग करने जैसे कई गंभीर आरोप हैं.
फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट में मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा की राइफल और दो अन्य हथियारों से गोली चलाए जाने की पुष्टि हुई है.
गाड़ी से कुचल जाने से मृत किसानों में गुरविंदर सिंह (22 वर्ष), दलजीत सिंह (35 वर्ष), नक्षत्र सिंह और लवप्रीत सिंह के अलावा पत्रकार रमन कश्यप शामिल थे.
प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह को एसयूवी के काफिले से कुचले जाने के बाद भीड़ द्वारा दो भाजपा कार्यकर्ताओं समेत तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी.
इनकी पहचान भाजपा कार्यकर्ताओं- शुभम मिश्रा (26 वर्ष) और श्याम सुंदर (40 वर्ष) और केंद्रीय राज्य मंत्री की एसयूवी के चालक हरिओम मिश्रा (35 वर्ष) के रूप में हुई थी.
इस संबंध में पहली प्राथमिकी एक किसान द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसमें गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा और 15-20 अन्य पर चार किसानों और एक पत्रकार को कुचलने का आरोप लगाया गया था.
हिंसा की जांच के लिए गठित एसआईटी ने आशीष मिश्रा, सुमित जायसवाल, अंकित दास और 11 अन्य के खिलाफ आईपीसी, शस्त्र कानून की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी संख्या-219 के संबंध में तीन जनवरी को आरोप-पत्र दाखिल किया था.
दूसरी प्राथमिकी दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की हत्या के मामले में सुमित जायसवाल ने दर्ज कराई थी. प्राथमिकी संख्या-220 के संबंध में जांच करते हुए एसआईटी ने सात लोगों की पहचान की थी और उन्हें गिरफ्तार किया था. हालांकि, बीते जनवरी माह में ही आरोप-पत्र दाखिल करते समय केवल चार किसानों को ही आरोपी बनाया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)