अंबानी-अडानी की पूजा की जानी चाहिए क्योंकि वे रोज़गार पैदा कर रहे हैं: भाजपा सांसद

संसद ने विपक्ष द्वारा आय में असमानता का मुद्दा उठाने पर भाजपा सांसद केजे अल्फोंस ने कहा कि इस देश में पैसा निवेश करने वाले अंबानी, अडानी या हर उद्योगपति रोज़गारों का सृजन कर रहे हैं इसलिए इनका सम्मान किए जाने की ज़रूरत है.

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Alphons Kannanthanam Facebook
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संसद ने विपक्ष द्वारा आय में असमानता का मुद्दा उठाने पर भाजपा सांसद केजे अल्फोंस ने कहा कि इस देश में पैसा निवेश करने वाले अंबानी, अडानी या हर उद्योगपति रोज़गारों का सृजन कर रहे हैं इसलिए इनका सम्मान किए जाने की ज़रूरत है.

केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री अल्फोंस कन्ननथनम. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्लीः सरकार और विपक्ष के बीच बेरोजगारी को लेकर बहस के बीच गुरुवार को भाजपा सांसद ने राज्यसभा को बताया कि मुकेश अंबानी और गौतम अडानी जैसे उद्योगपतियों की ‘पूजा की जानी चाहिए’ क्योंकि ये रोजगारों का सृजन कर रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकारी नीतियां आय की असमानताओं को बढ़ा रही हैं.

भाजपा सांसद केजे अल्फोंस ने केंद्रीय बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा, ‘आप मुझ पर पूंजीपतियों का मुखपत्र होने का आरोप लगा सकते हैं, जिन लोगों ने देश में रोजगारों का सृजन किया है, मुझे उनके नाम लेने दें क्योंकि आपने भी उन लोगों का नाम लिया है. फिर चाहे वह रिलायंस हो, अंबानी हो या फिर अडानी हो, फिर चाहे कोई भी हो, उनकी पूजा की जानी चाहिए. हां, क्योंकि उन्होंने रोजगारों का सृजन किया है.’

उन्होंने कहा, ‘पैसा निवेश करने वाले लोग अंबानी, अडानी या इस देश में पैसा बनाने वाला हर उद्योगपति रोजगारों का सृजन कर रहा है. इनका सम्मान किए जाने की जरूरत है.’

एक पूर्व केंद्रीय मंत्री अल्फोंस ने तर्क दिया कि वैश्विक असमानताएं एक तथ्य है. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने तर्क दिया है कि दो लोगों की संपत्ति बढ़ी है.

उन्होंने कहा, ‘एलन मस्क की संपत्ति 1016 फीसदी बढ़ी है. क्या आपको इसकी जानकारी है? गूगल के संस्थापक लैरी पेज की संपत्ति 126 फीसदी बढ़ी है. जेफ बेजोस की संपत्ति 67 फीसदी बढ़ी है. इन शीर्ष 10 उद्योगपतियों में से सबसे कम संपत्ति बिल गेट्स की बढ़ी है. उनकी संपत्ति में 30 फीसदी का इजाफा हुआ है. वैश्विक असमानताएं एक सच्चाई है, फिर चाहे आप उसे स्वीकार करें या नहीं. दुनिया में तीन अरब लोग एक दिन में पांच डॉलर से भी कम में जीवनयापन कर रहे हैं इसलिए वैश्विक असमानताएं एक तथ्य है.’

इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट की आलोचना करते हुए राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि सरकार ने इसे ‘अमृत काल का बजट’ कहकर संबोधित किया.

उन्होंने कहा, ‘जब मैं बीते कुछ साल में सरकार के कामकाज की शैली को देखता हूं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि किसे अमृत और किसे विष मिल रहा है. अमृत दोस्तों के लिए है. इसकी पर्याप्त आपूर्ति है और अधिकांश लोगों को सिर्फ जहर ही मिल रहा है.’

उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन को लेकर कोई विजन नहीं है. उन्होंने मांग की कि सरकार रोजगार कैलेंडर पेश करे क्योंकि बेरोजगार युवाओं का धैर्य कम होता जा रहा है.

वहीं, बीजू जनता दल के सुजीत कुमार ने कहा कि बजट में मूल्यवृद्धि या महंगाई का कोई जिक्र नहीं था.

उन्होंने कहा, ‘मनरेगा बजट में 25 फीसदी की कटौती की गई है. हम शिक्षा के बारे में हवा-हवाई बातें कर रहे हैं लेकिन हम इसके बावजूद शिक्षा पर भारत की जीडीपी का सिर्फ तीन फीसदी ही खर्च कर रहे हैं.’

इन दावों का जवाब देते हुए भाजपा के जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि बजट न सिर्फ देश के सामने मौजूदा चुनौतियों का समाधान है बल्कि यह अगले 25 वर्षों में भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की भी तैयारी करता है.