उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती सपा सरकार में मंत्री रहे स्वर्गीय फतेह बहादुर सिंह के बेटे राजोल सिंह की के आश्रम के पास की जमीन से बीते 10 फरवरी को 22 वर्षीय दलित युवती का क्षत-विक्षत शव मिला था. युवती के लापता होने की शिकायत पर एफआईआर एक महीने बाद 10 जनवरी को दर्ज की गई थी. आरोपी को बीते 24 जनवरी को युवती के अपहरण के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश सरकार के एक पूर्व मंत्री के बेटे की खाली पड़ी जमीन से 22 वर्षीया एक लापता दलित युवती का क्षत-विक्षत शव मिलने के एक दिन बाद शुक्रवार को उन्नाव पुलिस ने कहा कि युवती की मौत गला घोंटने से हुई थी और उसके सिर और गर्दन पर चोट के निशान थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले के उजागर होने के बाद उत्तर प्रदेश के मौजूदा विधानसभा चुनाव में भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है.
हालांकि, समाजवादी पार्टी का कहना है कि आरोपी का उनकी पार्टी से कोई संबंध नहीं है जबकि भाजपा ने सपा पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया.
वहीं, बसपा ने आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है.
बता दें कि दलित युवती दो महीने से अधिक समय से लापता थी और 10 फरवरी को उसका शव पूर्ववर्ती सपा सरकार के एक पूर्व मंत्री के परिवार की खाली पड़ी जमीन से मिला.
यह जमीन स्वर्गीय फतेह बहादुर सिंह के परिवार का है, जो पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री थे.
उनके बेटे राजोल सिंह (45) को अपहरण के आरोप में 24 जनवरी को उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब युवती की मां ने लखनऊ में सपा मुख्यालय पर अखिलेश यादव के वाहन के सामने आत्मदाह करने का प्रयास किया था.
मामले की जांच में ढिलाई बरतने के लिए स्थानीय थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया था.
पुलिस का कहना है कि युवती और राजोल का संबंध था लेकिन बाद में दोनों के बीच मतभेद हो गए थे.
युवती आठ दिसंबर को लापता हो गई थी. इसके बाद 10 जनवरी को अपहरण का मामला दर्ज किया गया था.
पीड़िता की मां का आरोप है कि पुलिस ने यह कहकर मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया था कि उनकी बेटी वयस्क है और किसी के साथ भाग गई होगी.
उन्नाव के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शशि शेखर सिंह ने शुक्रवार को कहा, ‘मौत का कारण चोटें और गला घोंटना है. उसकी श्वासनली टूटी हुई पाई गई और उसके सिर पर चोट के दो और गर्दन पर चोट का एक निशान था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट का कहना है कि उसकी लगभग 45 दिन पहले मौत हो गई थी. साक्ष्यों से स्पष्ट है कि उसकी आठ दिसंबर को उसी दिन ही हत्या कर दी गई थी, जब वह लापता हुई थी.’
उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं कह सकता कि उसका बलात्कार हुआ था या नहीं. हमें इसके लिए कुछ और फॉरेंसिक सबूतों का इंतजार करना होगा.’
राजोल सिंह और उनके सहयोगी सूरज सिंह के खिलाफ हत्या की धाराएं लगाई जाएंगी.
वहीं, पीड़ित परिवार ने मांगें पूरी होने तक शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था लेकिन प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से आश्वासन मिलने के बाद परिवार ने शुक्रवार शाम पांच बजे अंतिम संस्कार किया.
महिला के पिता ने कहा, ‘कुछ कारणों की वजह से अंतिम संस्कार में देरी हुई. हम पोस्टमार्टम के नतीजों से संतुष्ट नहीं थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि उसकी 45 दिन पहले ही मौत हो गई थी जबकि उसको लापता हुए दो महीने हो गए थे. हमारा मुद्दा यह है कि वह 18 दिनों तक कहां थी. क्या उसका बलात्कार हुआ था. हम मांग कर रहे हैं कि सही निष्कर्ष सामने आए.’
उन्होंने कहा, ‘हमने हमारे बेटे के लिए नौकरी, एक घर और परिवार के लिए सुरक्षा की मांग की है क्योंकि आरोपी स्थानीय गुंडा है. हमसे वादा किया गया कि इन मुद्दों को सुलझाया जाएगा. हमें बताया गया कि हमें मुआवजे के तौर पर 25 लाख रुपये और एक पक्का घर मिलेगा.’
एएसपी ने कहा कि परिवार को नियमों के अनुरूप मुआवजे के रूप में 8.25 लाख रुपये और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया गया था.
शशि शेखर सिंह ने कहा, ‘मुआवजे के लिए औपचारिकताएं चल रही हैं. रोजगार के लिए एसपी और डीएम यह सुनिश्चित करेंगे कि परिवार के एक सदस्य को जिले में कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर रोजगार मिले. हम उन्हें सुरक्षा भी मुहैया कराएंगे और यह भी सुनिश्चित करेंगे कि मामले की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हो. सरकारी योजा के तहत उन्हें आवास भी मुहैया कराया जाएगा.’
आरोपी राजोल की उन्नाव में कई संपत्तियां और एक गैस एजेंसी है.
बता दें कि राजोल के सहयोगी सूरज ने पुलिस को बताया था कि शव आश्रम के पास एक प्लॉट में दबा हुआ है, जिसके बाद ही शव को बाहर निकाला गया था.
आश्रम प्रभारी ने बताया कि यह संपत्ति एक ट्रस्ट की है, जिसका संचालन स्वर्गीय फतेह बहादुर का परिवार करता है.
यह पूछे जाने पर कि क्या राजोल का कोई राजनीतिक संबंध है? इस पर प्रभारी ने कहा, ‘वह राजनीति में नहीं है और कभी किसी पार्टी का हिस्सा नहीं रहे.’
बता दें कि फतेह बहादुर की 2016 में स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों की वजह से मौत हो गई थी. वह 2012 से 2017 के बीच यूपी सहकारी बैंक के अध्यक्ष थे. यह पद यूपी सरकार में मंत्री के समकक्ष है.
पीड़िता के पिता का कहना है कि वह मदद के लिए अखिलेश के पास गए थे क्योंकि पुलिस और प्रशासन सहयोग नहीं कर रहा था.
उन्होंने कहा, ‘हमें पता था कि राजोल सिंह सपा या किसी अन्य पार्टी में नहीं है, हमें लगा कि अखिलेश जी हमारी मदद कर सकते हैं.’
इस बीच उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश पर मृतका की मां की गुहार नहीं सुनने का आरोप लगाया.
श्री अखिलेश यादव जी सपा नेता के खेत में दलित बेटी का शव बरामद,जब बेटी की माँ आपकी गाड़ी के सामने गिड़गिड़ा रही थी तो उनकी बात नहीं सुनना और सपा नेता का संरक्षण करोगे,नई सपा में सपाइयों का हर घिनौना अपराध माफ करोगे,जाँचकर दोषी को दंड पीड़ित को न्याय दिलाने कसर नहीं छोड़ेंगे
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) February 11, 2022
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘अखिलेश यादव जी, सपा नेता के खेत से दलित बेटी का शव बरामद हुआ है, जब बेटी की मां आपकी गाड़ी के सामने गिड़गिड़ा रही थी तो आपने उनकी नहीं सुनी. आपने सपा नेता का संरक्षण किया. नई सपा में, सपाइयों का हर घिनौना अपराध माफ किया. हम निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने, आरोपी को सजा दिलाने और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगे.’
वहीं, समाजवादी पार्टी ने कहा कि आरोपी का पार्टी से कोई संबंध नहीं है और उन्होंने महिला की हत्या के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदार ठहराया.
पार्टी ने ट्वीट कर कहा, ‘भाजपा शासन में उन्नाव में एक बेटी के साथ जघन्य अपराध हुआ. मुख्यमंत्री दलित बेटी की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं. हत्या के आरोपी का सपा से कोई संबंध नहीं है. जो सरकार मिशन शक्ति का प्रचार करती है, उसे बेटी की रोने की आवाज सुनाई नहीं दी. मृतका के परिवार के प्रति संवेदनाएं. आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए.’
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, ‘उन्नाव में सपा नेता के खेत से युवती का शव मिलना दुखद और गंभीर मामला है. परिवार के सदस्य पहले ही सपा नेता पर संदेह जता चुके थे. राज्य सरकार को महिला के परिवार के साथ न्याय सुनिश्चित करना चाहिए और आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.’