उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने नियमों के उल्लंघन को लेकर सेंसोडाइन के विज्ञापन पर रोक लगाई

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन कंज्यूमर हेल्थकेयर लिमिटेड से इसके उत्पाद सेंसोडाइन और नापतोल ऑनलाइन शॉपिंग लिमिटेड के ख़िलाफ़ अपने उत्पादों के प्रचार-प्रसार में भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार गतिविधियों के इस्तेमाल को लेकर रिपोर्ट तलब की है.

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(फोटो साभार: इंडियामार्ट)

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन कंज्यूमर हेल्थकेयर लिमिटेड से इसके उत्पाद सेंसोडाइन और नापतोल ऑनलाइन शॉपिंग लिमिटेड के ख़िलाफ़ अपने उत्पादों के प्रचार-प्रसार में भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार गतिविधियों के इस्तेमाल को लेकर रिपोर्ट तलब की है.

(फोटो साभार: इंडियामार्ट)

नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (जीएसके) कंज्यूमर हेल्थकेयर लिमिटेड को भारत में सेंसोडाइन उत्पाद का विज्ञापन बंद करने का निर्देश दिया है.

सीसीपीए ने यह बुधवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि नियमों के उल्लंघन को लेकर विज्ञापन पर पाबंदी लगाई गई है.

प्राधिकरण ने नापतोल ऑनलाइन शॉपिंग लिमिटेड के खिलाफ भी अपने उत्पादों के प्रचार-प्रसार में भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार गतिविधियों के इस्तेमाल के खिलाफ आदेश पारित किया है.

सीसीपीए ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया और 27 जनवरी को ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन कंज्यूमर हेल्थकेयर और दो फरवरी को नापतोल के खिलाफ आदेश पारित किया.

सीसीपीए ने ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन को देशभर में सेंसोडाइन के विज्ञापनों पर इस आदेश के जारी होने एक सप्ताह के भीतर रोक लगाने को कहा है क्योंकि इन विज्ञापनों में दिखाया गया है कि देश से बाहर के दंत चिकित्सक इस टूथपेस्ट को अपनाने की सलाह दे रहे हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, आदेश में कहा गया है कि कंपनी भारत में लागू कानून से अलग हटकर विदेशी दंत चिकित्सकों को इस बारे में सलाह देते हुए नहीं दिखा सकती.

यह बताते हुए कि भारत में दंत चिकित्सकों के लिए बनाए गए नियम उनके सार्वजनिक रूप से किसी भी उत्पाद या दवा का समर्थन पर रोक लगाते हैं, सीसीपीए ने कहा कि जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर को ‘भारत में लागू कानून को दरकिनार करने और दांतों की संवेदनशीलता के प्रति उपभोक्ता की आशंका का फायदा उठाने के लिए विदेशी दंत चिकित्सकों को दिखाने की अनुमति नहीं दी जा सकती.’

आदेश में कहा गया, ‘इसलिए भारत में सेंसोडाइन उत्पादों का विज्ञापन, जिनमें भारत के बाहर प्रैक्टिस करने वाले दंत चिकित्सक इसकी सिफारिश करते नजर आते हैं, को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2 (28) के तहत ‘भ्रामक विज्ञापन’ माना गया है.’

सीसीपीए ने महानिदेशक (इन्वेस्टिगेशन) को कंपनी द्वारा किए जा रहे ‘दुनिया भर में दंत चिकित्सकों द्वारा रेकमंडेड’, ‘दुनिया के नंबर 1 सेंसटिविटी टूथपेस्ट’ और ‘क्लीनिकल तौर पर 60 सेकंड में राहत देने के लिए प्रमाणित’ दावों और इनके समर्थन में कंपनी द्वारा दिए गए दस्तावेजों पर पंद्रह दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.

उधर, जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘हम सीसीपीए का आदेश प्राप्त होने की पुष्टि करते हैं. हम इस पर विचार कर रहे हैं, हम यह स्पष्ट करना चाहेंगे कि हमारी मार्केटिंग कानूनों और इंडस्ट्री के दिशानिर्देशों के अनुरूप है. हम एक जिम्मेदार कंपनी हैं जो अपने उपभोक्ताओं की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है.’

इसके अलावा सीसीपीए ने स्वतः संज्ञान लेते हुए नापतोल ऑनलाइन शॉपिंग लिमिटेड को ‘सेट ऑफ 2 गोल्ड ज्वेलरी’, ‘मैग्नेटिक नी सपोर्ट’ और ‘एक्यूप्रेशर योग स्लिपर्स’ के विज्ञापनों पर रोक लगाने का निर्देश दिया है.

इसके अलावा सीसीपीए ने यह कहते हुए कि नापतोल के भ्रामक विज्ञापनों का कई उपभोक्ताओं पर दूरगामी असर पड़ा है क्योंकि कंपनी 24×7 चैनल चलाती है और यह देश भर में विभिन्न भाषाओं में रोज प्रसारित होता है, इस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.

आदेश में कहा गया है कि नापतोल को बिक्री के लिए उत्पादों दिखाने वाले एपिसोड में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख करने के लिए कहा गया था कि यह एक रिकॉर्ड किया गया एपिसोड है और उत्पादन की सूची लाइव स्थिति नहीं दिखाती है.

आदेश में नापतोल को उत्पादों की ‘कृत्रिम कमी’ पैदा करने वाली किसी भी तरीके को तुरंत बंद करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें यह दिखाना भी शामिल है कि कोई विशेष उत्पाद केवल उसी दिन के लिए उपलब्ध है, भले ही वह अगले 30 दिनों के लिए भी बिक्री के लिए उपलब्ध हो.

साथ ही कंपनी का प्रमोशन करने वाले चैनल या प्लेटफॉर्म पर स्पष्ट रूप से यह दिखाने के लिए कहा गया है कि यह एक प्री-रिकॉर्डेड एपिसोड है.

सीसीपीए ने नापतोल को मई 2021 और जनवरी 2022 के बीच दर्ज शिकायतों का निवारण करने और 15 दिनों के भीतर उसकी एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है.

इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन के आंकड़े बताते हैं कि नापतोल के खिलाफ इस साल जून 2021 से 25 जनवरी तक 399 शिकायतें दर्ज की गईं.

क्या कार्रवाई हो सकती है

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि यदि सीसीपीए ऐसा पाता है कि जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर ‘भ्रामक विज्ञापन’ प्रसारित कर रहा था, तो जीएसके को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 21 के तहत दस लाख रुपये तक का जुर्माना और एक साल तक के लिए किसी भी उत्पाद या सेवा के विज्ञापन पर प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है.

सीसीपीए ने भारत में विदेशी डॉक्टरों को दिखाने वाले सेंसोडाइन के विज्ञापनों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू की थी, जहां मार्च 2021 में जीएसके को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)