कांग्रेस का आरोप, 22,842 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी मामले में मोदी सरकार की मिलीभगत

सीबीआई ने बीते सात फरवरी को गुजरात की जहाज निर्माता कंपनी एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, इसके पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल और अन्य पर एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंकों के एक समूह के साथ 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने के आरोप में मामला दर्ज किया था. भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि एबीजी को संप्रग के कार्यकाल में ऋण दिए गए, हमारी सरकार ने कार्रवाई की.

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New Delhi: Congress spokesperson Randeep Singh Surjewala addresses a press conference over the alleged vandalization of Ishwar Chandra Vidyasagar’s statue during clashes between BJP and TMC workers, in New Delhi, Thursday, May 16, 2019. (PTI Photo/Arun Sharma)(PTI5_16_2019_000023B)
रणदीप सिंह सुरजेवाला. (फोटो: पीटीआई)

सीबीआई ने बीते सात फरवरी को गुजरात की जहाज निर्माता कंपनी एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, इसके पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल और अन्य पर एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंकों के एक समूह के साथ 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने के आरोप में मामला दर्ज किया था. भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि एबीजी को संप्रग के कार्यकाल में ऋण दिए गए, हमारी सरकार ने कार्रवाई की.

New Delhi: Congress spokesperson Randeep Singh Surjewala addresses a press conference over the alleged vandalization of Ishwar Chandra Vidyasagar’s statue during clashes between BJP and TMC workers, in New Delhi, Thursday, May 16, 2019. (PTI Photo/Arun Sharma)(PTI5_16_2019_000023B)
रणदीप सिंह सुरजेवाला. (फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़: कांग्रेस ने गुजरात की जहाज निर्माता कंपनी ‘एबीजी शिपयार्ड’ द्वारा 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को ‘भारत की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी’ बताते हुए रविवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी नीत सरकार में शीर्ष पर बैठे लोगों की इसमें मिलीभगत है.

विपक्षी दल ने सवाल किया कि 28 बैंकों से कथित धोखाधड़ी के संबंध में एबीजी शिपयार्ड के खिलाफ परिसमापन कार्रवाई के बाद एफआईआर दर्ज करने में पांच साल क्यों लग गए.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बीते सात फरवरी को एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, इसके पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल और अन्य पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के एक समूह के साथ 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने के आरोप में मामला दर्ज किया था.

इसकी जानकारी देते हुए बीते 12 फरवरी को बताया था कि उसने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड (एबीजीएसएल) और उसके पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल के साथ-साथ तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशक अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड पर भी आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के कथित अपराधों के मामले में मामला दर्ज किया गया है.

बैंकों के संघ ने सबसे पहले आठ नवंबर 2019 को शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर सीबीआई ने 12 मार्च 2020 को कुछ स्पष्टीकरण मांगा था.

बैंकों के संघ ने उस साल अगस्त में एक नई शिकायत दर्ज की और डेढ़ साल से अधिक समय तक जांच करने के बाद सीबीआई ने इस पर कार्रवाई की.

सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया था कि कंपनी को एसबीआई के साथ ही 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 2468.51 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी थी.

उन्होंने कहा था कि फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि वर्ष 2012-17 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें धन का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल है.

यह सीबीआई द्वारा दर्ज सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी का मामला है.

सीबीआई ने एक बयान में कहा था, ‘शनिवार को सूरत, भरूच, मुंबई, पुणे आदि में एक निजी कंपनी, निदेशकों सहित आरोपियों के परिसरों में 13 स्थानों पर तलाशी ली गई, जिसमें संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए.’

कांग्रेस महासचिव और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, ललित मोदी, विजय माल्या, जतिन मेहता, चेतन और नितिन संदेसरा और भारतीय बैंकों को धोखा देकर देश छोड़कर भाग चुके कई अन्य का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि मोदी नीत सरकार बैंक धोखाधड़ी करने वालों के लिए ‘लूटो और भगाओ’ योजना चला रही है.

सुरजेवाला ने कहा कि सूची में नए-नए शामिल होने वाले अग्रवाल और अन्य हैं. उन्होंने इन आरोपियों को ‘नव रत्न’ के रूप में वर्णित किया.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मोदी सरकार में सत्ता के शीर्ष पदों पर बैठे लोगों की मिलीभगत भारत की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी में एबीजी शिपयार्ड और उसके प्रवर्तकों से जुड़ी हुई है.’

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) द्वारा एक अगस्त 2017 को एबीजी शिपयार्ड के परिसमापन (Liquidation – एक व्यवसाय/कंपनी को समाप्त करने और दावेदारों को संपत्ति वितरित करने की प्रक्रिया) की प्रक्रिया शुरू की गई थी, कांग्रेस ने 15 फरवरी 2018 को कथित घोटाले के बारे में चेतावनी दी थी और एसबीआई ने कंपनी और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ आठ नवंबर 2019 और फिर 20 अगस्त 2020 को शिकायत दर्ज कराई थी.

सुरजेवाला ने संवाददाता सम्मेलन में सवाल किया, ‘28 बैंकों से 22,842 करोड़ रुपये धोखाधड़ी करने के लिए एबीजी शिपयार्ड के खिलाफ परिसमापन कार्रवाई के बाद प्राथमिकी दर्ज करने में पांच साल क्यों लग गए?’

उन्होंने पूछा, ‘मोदी सरकार ने 15 फरवरी 2018 को कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों, एबीजी शिपयार्ड में घोटाले की चेतावनी पर ध्यान देने से इनकार क्यों किया और 19 जून 2019 को उसके खातों में धोखाधड़ी की बात सामने आने के बावजूद क्यों कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई तथा आपराधिक कार्रवाई क्यों नहीं की गई?’

सुरजेवाला ने कहा कि एसबीआई ने नवंबर 2018 में सीबीआई को लिखा था, ‘एबीजी शिपयार्ड द्वारा धोखाधड़ी की गई और एफआईआर दर्ज करने और आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई थी. इसके बावजूद कुछ नहीं हुआ और सीबीआई ने फाइल को एसबीआई के पास भेज दिया. जनता के पैसे की ठगी होती रहती है, लेकिन कोई एफआईआर दर्ज नहीं होती है.’’

उन्होंने कहा कि 25 अगस्त 2020 को एसबीआई ने सीबीआई में दूसरी शिकायत दर्ज कराते हुए कहा, ‘कृपया एक एफआईआर दर्ज करें, क्योंकि यह धोखाधड़ी का मामला है. लेकिन सीबीआई तब भी कार्रवाई नहीं करती है. वह डेढ़ साल तक इंतजार करती है. अंत में अब पांच साल बाद यह एफआईआर दर्ज की गई है.’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘ये स्पष्ट तथ्य बैंकिंग प्रणाली के घोर कुप्रबंधन को दर्शाते हैं, बैंकिंग प्रणाली को धोखेबाजों के वश में रखते हैं और बैंक धोखेबाजों के लिए ‘लूटो और भगाओ’ योजना की शुरुआत करते हैं.’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मोदी सरकार के पिछले साढ़े सात वर्षों में कुल 5.35 लाख करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आई हैं. इस अवधि के दौरान भारत में बैंकों द्वारा 8.17 लाख करोड़ रुपये को बट्टे खाते में डाला गया है.’

उन्होंने कहा, ‘2014 और 2021 के बीच बैंक एनपीए (गैर निष्पादित संपत्तियां) की राशि 21 लाख करोड़ रुपये थी. यह लोगों के पैसे के घोर कुप्रबंधन की स्थिति है, जो बैंकिंग प्रणाली में पड़ा है.’

उन्होंने दावा किया कि एबीजी शिपयार्ड को गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 2007 में 1.21 लाख वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई थी.

सुरजेवाला ने कहा, ‘नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने तत्कालीन गुजरात सरकार को 700 रुपये प्रति वर्ग मीटर पर जमीन आवंटित करने के संबंध में एबीजी शिपयार्ड और ऋषि अग्रवाल को अनुचित लाभ देने का दोषी पाया था, जबकि जमीन की कीमत 100 प्रतिशत अधिक यानी 1,400 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी.’

इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को आरोप लगाया था कि भाजपा सरकार में 5.35 लाख करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी हुई और ये केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मित्रों’ के लिए अच्छे दिन हैं.

गांधी ने ट्वीट किया, ‘मोदी काल में अब तक ₹5,35,000 करोड़ के बैंक फ्रॉड हो चुके हैं- 75 सालों में भारत की जनता के पैसे से ऐसी धांधली कभी नहीं हुई.’ ‘अच्छे दिन’ के नारे पर तंज करते हुए गांधी ने कहा, ‘लूट और धोखे के ये दिन सिर्फ मोदी मित्रों के लिए अच्छे दिन हैं.’

एसबीआई ने कहा, मामला दर्ज करने में नहीं हुई कोई देरी

देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में शिकायत दर्ज करने में देरी के आरोपों के बीच भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने रविवार को कहा कि वह फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के बाद सीबीआई के साथ मिलकर एबीजी शिपयार्ड धोखाधड़ी मामले में कार्रवाई के लिए पूरी गंभीरता से काम कर रही है.

कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला के आरोप का जवाब देते हुए एसबीआई ने एक बयान में कहा कि फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर धोखाधड़ी की बात घोषित की जाती है, जिस पर संयुक्त ऋणदाताओं की बैठकों में चर्चा की गई और जब धोखाधड़ी की बात साफ हो गई, तब सीबीआई के समक्ष एक प्रारंभिक शिकायत दर्ज कराई गई.

एसबीआई ने कहा कि पूरी प्रक्रिया में देरी करने का कोई प्रयास नहीं किया गया.

एबीजी को संप्रग के कार्यकाल में ऋण दिए गए, हमारी सरकार ने कार्रवाई की: भाजपा

भारतीय जनता पार्टी ने निजी कंपनी एबीजी शिपयार्ड द्वारा कथित तौर पर बैंकों के साथ 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी किए जाने के मामले में कांग्रेस पर पलटवार करते हुए रविवार को कहा कि ये ऋण संप्रग के शासन काल में दिये गए थे, जबकि मोदी सरकार ने घोटालेबाज प्रवर्तकों (प्रमोटर्स) के खिलाफ कार्रवाई की है.

भाजपा के प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य सईद ज़फर इस्लाम ने कहा कि इस मामले में कांग्रेस का केंद्र सरकार पर हमला करना ‘उल्टे चोर कोतवाल को डांटे’ जैसा है.

इस्लाम ने कहा कि ये सभी ऋण भाजपा के 2014 में सत्ता में आने से पहले दिए गए थे. उन्होंने आगे कहा कि वास्तविकता तो यह है कि इन्हें भाजपा से पहले की सरकार ने ही गैर-निष्पादित परिसम्पत्तियां (एनपीए) घोषित कर दिया था.

उन्होंने कहा कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद जरूरी प्रक्रियाओं का अनुसरण किया गया है और इन धांधलियों की पहचान की गयी. उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमने कार्रवाई की और इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए गए.’

भाजपा नेता ने कहा, ‘कांग्रेस इसका खुलकर विरोध कर रही है. उसी की सरकार ने वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ ‘फोन बैंकिंग’ घोटाला किया था, जिसके तहत बैंकों को इन प्रवर्तकों से कमीशन लेने के बाद ऋण मंजूर करने के लिए मजबूर किया गया. वे धोखाधड़ी के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं, क्योंकि सभी प्रवर्तकों साथ उनकी मिलीभगत थी. हमारी सरकार ने इन धोखाधड़ी का पता लगाया है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)