जम्मू कश्मीर: लेखक और पत्रकार गौहर गिलानी को गिरफ़्तार करने के आदेश जारी

शोपियां के कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने गिरफ़्तारी वॉरंट जारी करते हुए कहा है कि गौहर गिलानी लगातार सार्वजनिक शांति भंग करने का काम कर रहे हैं. उन्हें सात फरवरी को अदालत के समक्ष पेश होने के लिए बुलाया था, लेकिन वे नहीं आए.

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Kashmiri journalist Gowhar Geelani. Photo: Gowhar Geelani/Facebook

शोपियां के कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने गिरफ़्तारी वॉरंट जारी करते हुए कहा है कि गौहर गिलानी लगातार सार्वजनिक शांति भंग करने का काम कर रहे हैं. उन्हें सात फरवरी को अदालत के समक्ष पेश होने के लिए बुलाया था, लेकिन वे नहीं आए.

कश्मीरी पत्रकार गौहर गिलानी. (फोटो साभार: फेसबुक)

श्रीनगर: स्थानीय प्रशासन ने गुरुवार को जम्मू कश्मीर पुलिस को आदेश दिया है कि श्रीनगर के पत्रकार और लेखक गौहर गिलानी को गिरफ्तार करके 19 फरवरी को दक्षिणी कश्मीर के शोपियां में कार्यकारी मजिस्ट्रेट (तहसीलदार) के समक्ष प्रस्तुत किया जाए.

गौहर जर्मन मीडिया संस्थान डॉयचे वेले और द फेडरल से जुड़े हुए हैं. उन्हें शोपियां के तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत होने के लिए 3 फरवरी को समन जारी किया गया था, जिसमें उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 107 के तहत 7 फरवरी को पेश होना था.

यह धारा मजिस्ट्रेट को अधिकार देती है कि वह ऐसे किसी व्यक्ति से बॉन्ड भरवा सकते हैं या लिखित बयान ले सकते हैं जिसको लेकर संभावना हो कि वह शांति भंग कर सकता है. कानून के मुताबिक, बॉन्ड की अवधि एक साल से अधिक नहीं हो सकती है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर कार्यकर्ता इसे किसी की आवाज जबरन दबाने का तरीका बताते हैं.

शोपियां मजिस्ट्रेट द्वारा जारी गिरफ्तारी वॉरंट में लिखा है कि धारा 107 के तहत दिए गए नोटिस पर गौहर नजीर गिलानी प्रस्तुत नहीं हुए, इसलिए उन्हें गिरफ्तार करके कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाए.

गिरफ्तारी वॉरंट में दर्ज है कि गिलानी के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 151 लगाई गई है. जबकि, 3 फरवरी के नोटिस में केवल धारा 107 का उल्लेख था.

धारा 151 के तहत किसी व्यक्ति को एहतियातन हिरासत में लिया जा सकता है. अगर गिलानी की बात करें, तो उन पर पहले गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत भी मुकदमा दर्ज हो चुका है. इसमें हिरासत की अवधि अनिश्चितकाल तक के लिए बढ़ाई जा सकती है.

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद दो पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला समेत राज्य के शीर्ष राजनीतिक नेताओं के खिलाफ भी सीआरपीसी की इन्हीं दोनों धाराओं को लगाया गया था.

लोकप्रिय किताब कश्मीर: रेज एंड रीजन के लेखक गिलानी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तब हुई जब उन्होंने 1 फरवरी को एक स्थानीय अखबार द्वारा प्रकाशित एक खबर को ट्वीट किया. यह खबर शोपियां के अम्शीपोरा गांव में हुए आतंकी हमले से संबंधित थी जिसमें एक पुलिसकर्मी शब्बीर अहमद वागे घायल हो गए थे.

गिलानी ने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘संदिग्ध सशस्त्र विद्रोहियों ने शोपियां के अम्शीपोरा निवासी पुलिसकर्मी शब्बीर वागे को गोली मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें जिला अस्पताल शोपियां में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां से उन्हें बेहतर इलाज हेतु एसएमएचएस अस्पताल में स्थानांतरित किया गया है.’ बाद में उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया.

दो दिन बाद ही उन्हें कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने समन जारी कर दिया जिसमें कहा गया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर ऐसी जानकारी साझा की है जिससे घायल व्यक्ति और अन्य लोगों के जीवन को खतरा हो सकता था, साथ ही इस जानकारी के प्रसार से सुरक्षा एवं शांति के भंग होने की गंभीर स्थिति पैदा हो गई है. साथ ही उन्होंने आशंका जताई कि गिलानी आगे भी ऐसा करते रहेंगे.

जम्मू कश्मीर पुलिस को गिलानी की गिरफ्तारी का आदेश देते हुए मजिस्ट्रेट ने उनके खिलाफ दर्ज पुराने मामलों, यूएपीए और आईपीसी की धारा 505, का हवाला देते हुए कहा है कि गिलानी लगातार पहले भी ऐसा करते रहे हैं.

बता दें कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से गिलानी केंद्र सरकारी की नीतियों और जम्मू कश्मीर प्रशासन के मुखर आलोचक रहे हैं. इस संबंध में वे सोशल मीडिया पर लगातार लिखते रहे हैं, लेकिन जब से मजिस्ट्रेट ने उन्हे समन जारी किया है, उनके सोशल मीडिया एकाउंट पर कोई गतिविधि नहीं हुई है.

इससे पहले 2020 में जम्मू कश्मीर पुलिस ने सोशल मीडिया पर गिलानी की गतिविधियों के चलते उनके खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया था और उनके पोस्ट को भारत की राष्ट्रीय अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा बताया था.

गिलानी और एक अन्य कश्मीरी पत्रकार मसरत ज़हरा, जो अब जर्मनी में बस चुकी हैं, के खिलाफ सोशल मीडिया पर ‘देशद्रोही, भड़काऊ और आपत्तिजनक’ जानकारी पोस्ट करने का आरोप लगाया था.

इससे पहले 31 अगस्त 2019 को गिलानी को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने तब रोक लिया था, जब वे डॉयचे वेले के संपादक के रूप में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जर्मनी जा रहे थे.

गौरतलब है कि गिलानी के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा कश्मीर वाला के संपादक फहद शाह की गिरफ्तारी के कुछ ही दिन बाद आया है.

शाह का गिरफ्तारी का देशभर में विरोध हुआ था. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया समेत 50 से अधिक प्रेस स्वतंत्रता संगठनों, मानवाधिकार संगठनों और देश-दुनिया के मीडिया प्रकाशनों ने इसका विरोध जताया था और जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिंहा को पत्र लिखकर शाह को रिहा करने की मांग की थी.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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