सीबीआई ने करोड़ों रुपये के व्यापमं घोटाले से संबंधित साल 2013 के प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में धांधली करने के आरोप में 160 और आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र अदालत में दाख़िल किया है. इनमें प्रदेश के तीन निजी मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष भी शामिल हैं. इसके साथ ही इस मामले में अब तक कुल 650 आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र विशेष अदालत में दाख़िल किए जा चुके हैं.
भोपाल: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने करोड़ों रुपये के व्यापमं परीक्षा और भर्ती घोटाले से संबंधित 2013 के प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में कथित रूप से धांधली करने के आरोप में मध्य प्रदेश के तीन मेडिकल कॉलेजों के अध्यक्ष सहित 160 और आरोपियों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया है.
इसके साथ ही इस मामले में अब तक कुल 650 आरोपियों के खिलाफ आरोप-पत्र विशेष अदालत में दाखिल किए जा चुके हैं.
सीबीआई के विशेष अभियोजक सतीश दिनकर ने बताया कि व्यापमं से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश नीतिराज सिंह सिसोदिया की विशेष अदालत में बीते 17 फरवरी को 160 नए आरोपियों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किए गए हैं.
आरोपियों में मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के पूर्व परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी और राज्य चिकित्सा शिक्षा निदेशालय (डीएमई) के दो अधिकारी भी शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि चिरायु मेडिकल कॉलेज (भोपाल) के अध्यक्ष अजय गोयनका, पीपुल्स मेडिकल कॉलेज (भोपाल) के अध्यक्ष एसएन विजयवर्गीय और इंडेक्स मेडिकल कॉलेज ( इंदौर) के सुरेश सिंह भदौरिया के खिलाफ भी आरोप-पत्र दाखिल किया गया है.
सीबीआई ने पहले बताया था कि नकल करने के लिए परीक्षा में नए तरीके जिसे ‘इंजन-बोगी’ तरीका कहा जाता है, अपनाया जाता था. इसके तहत बुद्धिमान छात्र को परीक्षा हाल में कतार में आगे बैठाया जाता था, जबकि नकल करने वालों को उनके पीछे बैठाया जाता था.
दिनकर ने कहा कि 56 उम्मीदवारों को ‘बोगी’ तथा 46 ‘इंजन’ छात्रों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया गया है. इसके अलावा चिकित्सा पाठ्यक्रम के अभ्यर्थियों के 13 अभिभावकों तथा नौ बिचौलियों को भी आरोपी बनाया गया है.
उन्होंने कहा कि आरोप-पत्र की प्रतियां आरोपियों के खिलाफ आरोप तय होने से पहले उन्हें सौंपी जाएंगी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, दिनकर ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 (आपराधिक साजिश), 419 (नकल द्वारा धोखाधड़ी), 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी) 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम तथा एमपी परीक्षा मान्यता अधिनियम व अन्य प्रासंगिक मामलों के तहत आरोप-पत्र दायर किया गया है.
करोड़ों रुपये का व्यापमं घोटाला साल 2013 में सामने आया था. इसमें उम्मीदवारों ने अपनी उत्तर पुस्तिकाओं को लिखने के लिए बिचौलियों के जरिये अधिकारियों को रिश्वत देकर परीक्षा में धांधली की गई थी.
यह घोटाला 1995 में शुरू हुआ, जिसमें राजनेता, वरिष्ठ अधिकारी और व्यवसायी शामिल थे. सीबीआई ने 2015 में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद मामले की जांच जांच अपने हाथ में ली थी.
मालूम हो कि पिछले साल मार्च में सीबीआई की विशेष अदालत ने 2012 की मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा में धांधली के मामले में व्यापमं के चार पूर्व अधिकारियों सहित 33 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे.
अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनयम और आईटी एक्ट के तहत 17 उम्मीदवारों और 12 बिचौलियों सहित 33 आरोपियों पर धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज गढ़ने, साजिश रचने और कंप्यूटर डेटा में हेरफेर करने के आरोप लगाए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)