हिजाब विवाद के बीच कर्नाटक सरकार करा रही है मुस्लिम छात्राओं की गिनती: रिपोर्ट

कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने बताया है कि हर दिन मीडिया में आ रहीं ख़बरों में हिजाब पर रोक के चलते घर वापस भेजी गईं छात्राओं की संख्या अलग-अलग बताई जा रही है. हमारा उद्देश्य यह देखना है कि क्या विद्यार्थी वास्तव में इस मुद्दे से प्रभावित हैं या पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं.

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(प्रतीकात्मक फाइल फोटो: पीटीआई)

कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने बताया है कि हर दिन मीडिया में आ रहीं ख़बरों में हिजाब पर रोक के चलते घर वापस भेजी गईं छात्राओं की संख्या अलग-अलग बताई जा रही है. हमारा उद्देश्य यह देखना है कि क्या विद्यार्थी वास्तव में इस मुद्दे से प्रभावित हैं या पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं.

16 फरवरी को कर्नाटक के उडुपी में स्कूल जाती छात्राएं. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार ने निजी और सरकारी शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्रों की सही संख्या पता करने की कवायद शुरू की है.

इस संबंध में डेक्कन हेराल्ड अखबार ने अपनी रिपोर्ट में निजी कॉलेजों के प्रशासनिक प्रमुखों और सरकारी अधिकारियों के हवाले से राज्य सरकार के प्रयासों की जानकारी दी है और बताया है कि सरकार विशेष तौर पर पहली से दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या पता लगाने की कोशिश कर रही है.

कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने इस अखबार को बताया कि मीडिया में रोजाना छप रही खबरों से सही ढंग से निपटने के लिए छात्रों की सही संख्या पता लगाई जा रही है.

कर्नाटक फिलहाल मुस्लिम छात्राओं द्वारा कक्षाओं में हिजाब पहनने को लेकर हुए विवाद से घिरा हुआ है और यह मुद्दा राष्ट्रीयअंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है. विवाद की शुरुआत तब हुई, जब उडुपी के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी (पीयू) कॉलेज की छात्राओं को हिजाब पहनकर आने के चलते कक्षा में आने से रोक दिया था, जिससे राज्यभर में आक्रोश के बीच विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.

इसके बाद मुस्लिम छात्राओं के प्रदर्शनों के खिलाफ हिंदू छात्र भी जुटकर प्रदर्शन करने लगे. बाद में यह विवाद देश भर में फैल गया.

कुछ छात्राओं ने इसे लेकर अदालत का दरवाजा भी खटखटाया है, जहां कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में सभी छात्रों को कक्षा के अंदर धार्मिक पहनावा पहनकर आने से रोक दिया. कई दिनों तक स्कूल, पीयू कॉलेज और कॉलेज बंद रहे.

इस सप्ताह सोमवार को जैसे ही स्कूल-कॉलेज खुले तो ऐसे वीडियो सामने आए जिनमें देखा गया कि कथित तौर पर छात्र और शिक्षकों पर स्कूल गेट पर ही उनके बुर्का और हिजाब उतारने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.

मंत्री नागेश ने इस संबंध में मीडिया में आ रहीं रिपोर्ट्स का उल्लेख करते हुए डेक्कन हेराल्ड को बताया, ‘हर दिन इलेक्ट्रोनिक और प्रिंट मीडिया इस मुद्दे पर रिपोर्ट करते हुए घर वापस भेजी गई छात्राओं की संख्या अलग-अलग बता रहे हैं. हमारा उद्देश्य यह है कि हम देखना चाहते हैं कि क्या छात्र वास्तव में इस मुद्दे से प्रभावित हैं या पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं. हम सिर्फ यह जानना चाहते थे कि वास्तव में कितने छात्र अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर ध्यान न देकर कक्षाओं में उपस्थित हो रहे हैं. ‘

हालांकि, नागेश के विभाग के एक अधिकारी ने संख्या जुटाने का दूसरा कारण बताया है.

उन्होंने कहा, ‘निर्वाचित प्रतिनिधि सदन में इस संबंध में डेटा की मांग कर सकते हैं, साथ ही मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है, वह भी इस संबंध में डेटा मांग सकता है.’

बेंगलुरू में एक निजी कॉलेज के प्राचार्य ने भी कहा कि उन्हें मुस्लिम छात्राओं के संबंध में जानकारी जुटाने के लिए कहा गया था. उन्हें लगता है कि संख्या हिजाब पर प्रतिबंध को ध्यान में रखते हुए इस उद्देश्य से जुटाई जा रही है कि इस आधार पर कॉलेजों का संवेदनशील और असंवेदनशील क्षेत्रों की दृष्टि से वर्गीकरण किया जा सके.

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट में कर्नाटक सरकार द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों का भी विवरण है. निष्कर्षों में निकलकर सामने आया है कि अकेले 18 फरवरी, गुरुवार को ही राज्य के 14 स्कूलों में हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश की अवहेलना करने के कारण कुल 162 छात्राओं को घर वापस भेजा गया.

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