मणिपुर कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि आफ़स्पा अपने शुरुआती स्तर पर अलग था, पर अब यह नागरिकों के ख़िलाफ़ हिंसा को बढ़ावा देता है. ये लोग (भाजपा) इसे नागरिकों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करना चाहते हैं. वे सत्ता में बने रहने के लिए आतंक का माहौल बनाए रखना चाहते हैं.
नई दिल्ली: मणिपुर के लिए कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी पर नागरिकों को निशाना बनाने के लिए आफस्पा को ‘संगठित हिंसा’ कानून में बदलने का आरोप लगाया और कहा कि इसे निरस्त करने की मांग मणिपुर में ‘बड़ा मुद्दा’ है, लेकिन भाजपा लोगों के विचारों का सम्मान नहीं कर रही है.
कांग्रेस ने भाजपा की अपने चुनाव घोषणापत्र में इस कानून पर ‘चुप्पी’ साधने के लिए आलोचना की है. कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर वह मणिपुर विधानसभा चुनाव में जीतकर सत्ता में आती है तो सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून या आफस्पा को निरस्त करने के लिए काम करेगी.
दास ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए साक्षात्कार में उन सुझावों को खारिज कर दिया कि मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा न करने से राज्य में कांग्रेस के प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है.
उन्होंने कहा कि पार्टी के पास पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह समेत कई सक्षम नेता हैं. सिंह सक्रिय हैं और राज्य के नेतृत्व के लिए बहुत मजबूत चेहरा हैं.
मणिपुर के लिए कांग्रेस के प्रभारी ने विश्वास जताया कि पार्टी राज्य में सरकार बनाएगी और उसे 60 सदस्यीय विधानसभा में करीब 35-40 सीटें मिलेंगी.
दास ने दावा किया कि एन. बीरेन सिंह सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर बहुत मजबूत है, क्योंकि वह एक भी चुनावी वादा पूरा करने में नाकाम रही है.
उन्होंने कहा, ‘यह कांग्रेस की मानसिकता वाला राज्य है. यहां लगातार तीन बार कांग्रेस सरकार रही है, जो दिखाता है कि राज्य में कांग्रेस की नींव मजबूत है. भाजपा जनादेश से सत्ता में नहीं आई, बल्कि एक तरह का प्रबंधन करके आई और अवैध रूप से अब भी सत्ता में बनी हुई है.’
आफस्पा के मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर दास ने कहा कि पूरे पूर्वोत्तर में यह बहुत बड़ा मुद्दा है, खासतौर से नगालैंड की घटना के बाद, जिसमें आम नागरिक मारे गए थे. उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट रूप से आफस्पा का दुरुपयोग था.’
वह नगालैंड की उस घटना का जिक्र कर रहे थे, जिसमें सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत हो गई थी.
कांग्रेस नेता ने कहा कि मणिपुर में भी यह बड़ा मुद्दा है और कांग्रेस ने इस कानून को निरस्त करने का रुख अपनाया है.
उन्होंने कहा कि भाजपा इस मुद्दे पर लोगों के विचारों का सम्मान नहीं कर रही है और आफस्पा को हटाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है.
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस ने यह कानून तब निरस्त क्यों नहीं किया, जब वह सत्ता में थी, तो इस पर दास ने कहा कि उग्रवाद के मुद्दे के कारण वह अलग वक्त था.
उन्होंने कहा, ‘अब क्या हो रहा है, वे दावा कर रहे हैं कि हमने शांति बहाल की है तो आप यह कानून निरस्त क्यों नहीं कर देते.’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा इसका ‘दुरुपयोग’ कर रही है.
दास ने आरोप लगाया, ‘आफस्पा विशुद्ध रूप से एक संगठित हिंसा का कानून है. आफस्पा अपने शुरुआती स्तर पर अलग था, लेकिन अब यह नागरिकों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देता है. ये लोग (भाजपा) इसे नागरिकों के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहते हैं. वे सत्ता में बने रहने के लिए आतंक का माहौल बनाए रखना चाहते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘अब चुनावों में भाजपा संगठित हिंसा में शामिल हो रही है… जो संगठित हिंसा में यकीन रखते हैं वे आफस्पा नहीं हटाएंगे.’
मालूम हो कि पिछले साल चार दिसंबर को मणिपुर के पड़ोसी राज्य नगालैंड के मोन जिले में सेना की एक टुकड़ी द्वारा की गई गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत के बाद पूर्वोत्तर से आफस्पा को वापस लेने की मांग तेज हो गई है.
इसके बाद 19 दिसंबर को नगालैंड विधानसभा ने केंद्र सरकार से पूर्वोत्तर, खास तौर से नगालैंड से आफस्पा हटाने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया था. प्रस्ताव में ‘मोन जिले के ओटिंग-तिरु गांव में चार दिसंबर को हुई इस दुखद घटना में लोगों की मौत की आलोचना की गई थी.
नगालैंड में हत्याओं के बाद से राजनेताओं, सरकार प्रमुखों, विचारकों और कार्यकर्ताओं ने एक सुर में आफस्पा को हटाने की मांग उठाई है. इन्होंने कहा है कि यह कानून सशस्त्र बलों को बेलगाम शक्तियां प्रदान करता है और यह मोन गांव में फायरिंग जैसी घटनाओं के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है.
वहीं, दास ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस को निश्चित तौर पर अपने दम पर 35-40 सीटें मिलेंगी और इस बार उसके मत प्रतिशत में पांच फीसदी की वृद्धि होगी.
कांग्रेस 54 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है और उसने पांच अन्य राजनीतिक दलों से हाथ मिलाया है. पूर्वोत्तर राज्य में दो चरणों में 28 फरवरी और पांच मार्च को मतदान होगा. मतगणना 10 मार्च को होगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)