यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में सफल रहे तीन छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अनुरोध किया है कि उन्हें परीक्षा में शामिल होने के लिए एक अतिरिक्त अवसर दें या परीक्षा परिणाम आने से पहले उनके शेष पेपर की परीक्षा की कुछ व्यवस्था करें. कोविड-19 से पीड़ित होने के कारण तीनों छात्र पिछले महीने संपन्न मुख्य परीक्षा के सभी पेपरों में उपस्थित नहीं हो सके थे.
नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की प्रारंभिक परीक्षा में सफल रहे तीन छात्रों ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए उन्हें एक और अवसर देने का अनुरोध किया है. कोविड-19 से पीड़ित होने के कारण तीनों अभ्यर्थी पिछले महीने संपन्न मुख्य परीक्षा के सभी पेपरों में उपस्थित नहीं हो सके थे.
याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से आयोग को यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि उन्हें परीक्षा में शामिल होने के लिए एक अतिरिक्त अवसर दें या परीक्षा परिणाम प्रकाशित होने से पहले उनके शेष पेपर की परीक्षा की कुछ व्यवस्था करें.
तीन में से दो याचिकाकर्ताओं को 7 से 16 जनवरी के बीच आयोजित मुख्य परीक्षा बीच में ही, कुछ प्रारंभिक पेपर में उपस्थित होने के बाद छोड़नी पड़ी, जबकि तीसरा उम्मीदवार कोविड के कारण किसी भी पेपर की परीक्षा में उपस्थित नहीं हो सका.
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई की.
पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन को याचिका की प्रति संबंधित प्रतिवादियों के स्थायी वकील को देने का निर्देश दिया.
पीठ ने कहा, ‘उन्हें अग्रिम प्रति दें. दूसरे पक्ष को आकर और जवाब देने दें.’
मामले में अगली सुनवाई सात मार्च को होगी.
याचिकाकर्ताओं ने वकील शशांक सिंह के जरिये दायर अपनी याचिका में कहा है कि 13 जनवरी, 14 और छह जनवरी की आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट में उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता कोविड-19 से संक्रमित होने और सरकार के सख्त दिशानिर्देशों के तहत लगाए गए प्रतिबंधों के कारण यूपीएससी की मुख्य परीक्षा नहीं दे सके.
इसमें कहा गया है, ‘इसके अलावा यूपीएससी की किसी भी तरह की नीति का अभाव था, जो ऐसे याचिकाकर्ताओं के लिए कुछ व्यवस्था प्रदान कर सकती थी, जो मुख्य परीक्षा की अवधि के दौरान या उससे पहले कोविड पॉजिटिव पाए गऐ थे.’
याचिका में कहा गया है, ‘याचिकाकर्ता अनुच्छेद 32 के तहत इस अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं और प्रतिवादी/यूपीएससी को निर्देश देने की मांग कर रहे हैं कि सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2021 के परिणाम आने से पहले उन्हें परीक्षा में बैठने के लिए एक अतिरिक्त मौका दिया जाए या वैकल्पिक रूप से बाकी पेपरों में उपस्थित होने के लिए कुछ व्यवस्था की जाए.’
इसने दावा किया कि नीति की अनुपस्थिति और कोविड-19 पॉजीटिव याचिकाकर्ताओं को सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2021 में शामिल होने की व्यवस्था नहीं करने से उनके अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, जिसमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) के तहत शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)