साल 2015 में बढ़ती असहिष्णुता और एफटीआईआई अध्यक्ष के रूप में गजेंद्र चौहान की नियुक्ति के विरोध में राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने वाले 24 निर्देशकों में से कुंदन शाह भी एक थे.
बॉलीवुड के प्रख्यात निर्देशक कुंदन शाह का निधन 69 वर्ष की उम्र में शनिवार को उनके मुंबई स्थित आवास में हो गया. उन्हें हार्ट अटैक आया था.
यह जानकारी उनकी बेटी ने दी है. कुंदन शाह को कॉमेडी कल्ट जाने भी दो यारों (1983), कभी हां कभी ना (1993) और दूरदर्शन के मशहूर धारावाहिक ये जो है ज़िंदगी (1984), नुक्कड़ (1986) और वागले की दुनिया (1988) के लिए जाना जाता है.
इयके अलावा कुंदन ने क्या कहना (2000), दिल है तुम्हारा (2002) जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं. उनकी आख़िरी फिल्म साल 2014 में आई पी से पीएम तक थी.
कुंदन शाह ने पुणे के भारतीय फिल्म और टेलीविज़न संस्थान (एफटीआईआई) से पढ़ाई की थी. उनकी फिल्म जाने भी दो यारों को बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों से से एक माना जाता है. बतौर निर्देशक यह उनकी पहली फिल्म थी.
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नसीरुद्दीन शाह, रवि बासवानी, ओम पुरी, पंकज कपूर, सतीश शाह, सतीश कौशिक, भक्ति बर्वे और नीना गुप्ता जैसे दिग्गज कलाकारों के अभिनय से सजी फिल्म जाने भी दो यारों के लिए कुंदन शाह को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था.
कुंदन शाह का यह पहला और आख़िरी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार था. बतौर निर्देशक पहली सर्वेश्रेष्ठ फिल्म की श्रेणी में उन्हें यह पुरस्कार मिला था.
साल 2015 में देश में बढ़ती असहिष्णुता और एफटीआईआई अध्यक्ष के रूप में गजेंद्र चौहान की नियुक्ति के विरोध में छात्र-छात्राओं के आंदोलन के समर्थन में राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने वाले 24 निर्देशकों में से कुंदन शाह भी एक थे.