सीबीआई जांच के लिए आम सहमति वापस लेने वाला नौवां राज्य बना मेघालय: केंद्र

आम सहमति वापस लेने का अर्थ है कि सीबीआई मेघालय में अब किसी भी मामले की जांच राज्य सरकार की अनुमति के बिना नहीं कर पाएगी. विपक्ष द्वारा शासित राज्यों का आरोप है कि सीबीआई केंद्र की कठपुतली बन गई है. हालांकि मेघालय में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग सरकार होने के बावजूद ऐसा फैसला लिया गया है. फैसले के पीछे मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के भाई पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप को वजह बताया जा रहा है.

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(फोटो साभार: ट्विटर)

आम सहमति वापस लेने का अर्थ है कि सीबीआई मेघालय में अब किसी भी मामले की जांच राज्य सरकार की अनुमति के बिना नहीं कर पाएगी. विपक्ष द्वारा शासित राज्यों का आरोप है कि सीबीआई केंद्र की कठपुतली बन गई है. हालांकि मेघालय में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग सरकार होने के बावजूद ऐसा फैसला लिया गया है. फैसले के पीछे मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के भाई पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप को वजह बताया जा रहा है.

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) द्वारा शासित मेघालय केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच के लिए आम सहमति वापस लेने वाला नौवां राज्य बन गया है. सूत्रों के अनुसार, एजेंसी के शीर्ष अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को संसद की एक समिति को यह जानकारी दी.

इससे पहले मिजोरम और गैर-राजग शासित सात राज्यों- महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और केरल ने सीबीआई जांच के लिए आम सहमति वापस ले ली थी.

मेघालय में सत्तारूढ़ गठबंधन में भाजपा साझेदार है, जहां नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेता कोनराड संगमा मुख्यमंत्री हैं.

एजेंसी के शीर्ष अधिकारियों ने समिति को बताया कि इन आठ राज्यों में अनेक मामलों में जांच के लिए 150 अनुरोध लंबित हैं.

अधिकारियों ने बताया कि इनमें बैंक धोखाधड़ी, जालसाजी और धन के गबन से संबंधित मामले शामिल हैं.

सीबीआई के निदेशक सुबोध जायसवाल और एजेंसी के अन्य शीर्ष अधिकारियों ने वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील मोदी की अध्यक्षता वाली कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय पर संसदीय स्थायी समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा.

समिति के सूत्रों ने बताया कि जब कुछ सदस्यों ने सीबीआई से आम सहमति वापस लेने के बारे में पूछा तो एजेंसी के अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया कि अब तक नौ राज्यों ने आम सहमति वापस ली है जिनमें सबसे ताजा मामला मेघालय का है.

सहमति वापस लेने का अर्थ है कि सीबीआई राज्य में किसी भी मामले की जांच राज्य सरकार की अनुमति के बिना नहीं कर पाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, एक सरकारी अधिकारी ने कहा है कि मेघालय के इस फैसले के पीछे का कारण पता नहीं है.

जबकि, मेघालय के गृहमंत्री लहकमेन रिम्बुई ने मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और राज्य के मुख्यमंत्री संगमा को भी फोन लगाने पर कोई जवाब नहीं मिला.

हालांकि, शुक्रवार दोपहर मेघालय विधानसभा के बाहर एक स्थानीय पत्रकार से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने इसे सामान्य प्रक्रिया बताया. उन्होंने बताया कि फैसला बहुत पहले कर लिया गया था. और भी कई राज्य ऐसा कर चुके हैं. जो भी यहां (मेघालय) आएगा, उसे राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी. सिर्फ इतनी सी बात है. यह सामान्य प्रक्रिया है.

बहरहाल, विपक्ष द्वारा शासित सभी राज्य सीबीआई को दी आम सहमति पहले ही वापस ले चुके हैं, उनका आरोप है कि सीबीआई निष्पक्ष नहीं है और अपनी जांच में भेदभाव करती है और विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए केंद्र के हाथ की कठपुतली बन गई है.

बता दें कि मेघालय सरकार के इस फैसले की पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के भाई जेम्स पीके संगमा के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोप हैं. जेम्स पर राज्य में सौभाग्य योजना लागू करने में बड़े भ्रष्टाचार में संलिप्त होने संबंधी आरोप हैं. कांग्रेस इसकी सीबीआई जांच की मांग कर रही है.

योजना के तहत देश के सभी शहरी और ग्रामीण घरों में बिजली कनेक्शन दिया जाना है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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