मणिपुर में भाजपा की जीत, मुख्यमंत्री का फ़ैसला होना अभी बाकी

मणिपुर के 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा 32 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. नेशनल पीपुल्स पार्टी सात सीटों पर जीत हासिल की. जदयू सात सीटों पर विजयी रही, जबकि 2017 में 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी कांग्रेस को इस बार महज़ पांच सीटों जीतकर संतोष करना पड़ा.

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एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

मणिपुर के 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा 32 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. नेशनल पीपुल्स पार्टी सात सीटों पर जीत हासिल की. जदयू सात सीटों पर विजयी रही, जबकि 2017 में 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी कांग्रेस को इस बार महज़ पांच सीटों जीतकर संतोष करना पड़ा.

एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

इंफाल: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में स्पष्ट जीत हासिल की है और 60 सीटों में 32 सीटों पर जीत दर्ज की.

विपक्षी दल कांग्रेस अपना अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए सिर्फ पांच सीटों पर सिमट गई, जबकि 2017 में वह सबसे बड़ी पार्टी थी. हालांकि, तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके ओकराम इबोबी सिंह ने थौबल सीट से जीत हासिल की.

निर्वाचन आयोग के अनुसार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने छह और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने सात सीटें जीती. नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को पांच सीटें मिलीं. जदयू को पिछले चुनाव में जीत नहीं मिली थी.

दो सीटों पर कुकी पीपुल्स अलायंस को जीत मिली है. तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की.

सूत्रों ने कहा कि मणिपुर में मतगणना धीमी रही, क्योंकि तकनीकी गड़बड़ी और आपत्तियों के कारण इस प्रक्रिया में देरी हुई.

इस बार भाजपा का मत प्रतिशत 37.8 फीसदी रहा. कांग्रेस अपने खराब प्रदर्शन के बावजूद 16.8 प्रतिशत मत पाकर सम्मानजनक प्रदर्शन करने में सफल रही.

भाजपा की प्रदेश इकाई की प्रमुख ए. शारदा देवी से जब यह पूछा गया कि क्या कोई नया मुख्यमंत्री होगा या एन. बीरेन सिंह मुख्यमंत्री बने रहेंगे, तो उन्होंने कहा, ‘एक राष्ट्रीय दल के रूप में हमारे पास एक संसदीय बोर्ड है, जो राज्य इकाई के पदाधिकारियों के परामर्श से तय करेगा कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा.’

भाजपा ने मणिपुर में 2017 में सिर्फ 21 सीट जीतने के बावजूद, क्षेत्रीय दलों एनपीपी और एनपीएफ के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. विधानसभा में भाजपा की ताकत बाद में बढ़कर 28 हो गई थी.

बीरेन सिंह ने कहा, ‘गठबंधन एक ऐसा विषय है जिस पर केंद्रीय नेतृत्व फैसला करेगा.’ जबकि पार्टी के अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि दोनों सहयोगी दल भाजपा को समर्थन देने की पेशकश कर चुके हैं.

जीत के बाद मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने मणिपुर के भाजपा कार्यकर्ताओं और लोगों को धन्यवाद दिया.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘आज हमने जो ऐतिहासिक जीत हासिल की है, वह माननीय प्रधानमंत्री के गतिशील नेतृत्व और लोगों के विश्वास का प्रमाण है. भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं को मेरी ओर से हार्दिक बधाई.’

मणिपुर में कांग्रेस पांच सीटों पर जीत के साथ चौथे स्थान पर रही

मणिपुर में 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी कांग्रेस ने इस बार महज पांच सीटें जीतकर काफी खराब प्रदर्शन किया है. वह चौथे स्थान पर रही है.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नामीरकपाम लोकेन भी चुनाव हार गए. वह 2002 से नाम्बोल से चुनाव जीत रहे थे.

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) पिछले विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाया था, लेकिन उसने इस बार छह सीटें जीती हैं, जो कांग्रेस की सीटों से एक अधिक है. कांग्रेस 2002 से 15 सालों तक मणिपुर में सत्ता में रही थी.

कांग्रेस और जदयू का मत प्रतिशत क्रमश: 16.83 फीसदी और 10.77 फीसदी है.

नगा पीपुल्स फ्रंट ने भी पांच सीटें जीती हैं, जबकि नेशनल पीपुल्स पार्टी सात सीटों पर जीत हासिल की और वह दूसरे स्थान पर रही.

भाजपा ने 37.83 फीसदी वोट पाकर अपने बलबूते जीत दर्ज की और बहुमत हासिल किया. वह क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर पांच सालों से सरकार चला रही थी.

कांग्रेस चुनाव से पहले ही मणिपुर में चुनाव को लेकर आश्वस्त नहीं थी. पार्टी ने सात सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा, जिनमें से छह पहाड़ी क्षेत्र में स्थित हैं, जहां एनपीएफ और एनपीईपी अधिक लोकप्रिय हैं. उसने अब तक पहाड़ी क्षेत्र में एक भी सीट नहीं जीती है.

इस क्षेत्र में भाजपा, एनपीएफ या एनपीईपी द्वारा नहीं जीती गईं सीटें जद (यू), कुकी पीपुल्स एलायंस और निर्दलीय ने जीती हैं. 40 सीटों वाले मैदानी क्षेत्र में जहां भाजपा ने अपनी अधिकांश सीटें हासिल की हैं, कांग्रेस 2017 में 19 सीटों से घटकर 2022 में पांच सीटों पर आ गई है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नेताओं ओसो कार्यकर्ताओं से लोगों के फैसले को विनम्रता से स्वीकार करने की अपील की.

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘विनम्रता से लोगों के फैसले को स्वीकार करें. जनादेश जीतने वालों को शुभकामनाएं. मैं सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों को उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए धन्यवाद देता हूं. हम इससे सीखेंगे और भारत के लोगों के हितों के लिए काम करते रहेंगे.’

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, ओकराम इबोबी सिंह यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि परिणाम लोगों का जनादेश है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘भाजपा ने इस चुनाव को जीतने के लिए धन और बाहुबल का इस्तेमाल किया.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, दो सेवानिवृत्त नौकरशाहों, एक डॉक्टर और एक वकील द्वारा स्थापित और दो महीने पहले एक राजनीतिक दल के रूप में मान्यता प्राप्त कुकी पीपुल्स एलायंस ने मणिपुर में अपना खाता खोला है, जिसमें उनके दोनों उम्मीदवारों ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की है. इसका गठन मणिपुर में कुकी जनजाति के हितों का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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