यूपी: बेनेट विश्वविद्यालय का निर्देश, ‘देशविरोधी गतिविधि’ में शामिल न होने का शपथपत्र दें छात्र

टाइम्स समूह के स्वामित्व वाले ग्रेटर नोएडा के बेनेट विश्वविद्यालय ने अपने छात्रों और उनके अभिभावकों से एक शपथपत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा है, जिसमें उन्हें कैंपस के अंदर या बाहर किसी भी प्रकार की 'देशविरोधी' या 'असामाजिक गतिविधि में शामिल होने, उसका समर्थन या प्रचार न करने के लिए कहा गया है. छात्रों को भेजे ईमेल में विश्वविद्यालय ने कहा कि यह क़दम उत्तर प्रदेश सरकार से मिले निर्देशों के तहत उठाया गया है.

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बेनेट विश्वविद्यालय. (फोटो साभार: फेसबुक)

टाइम्स समूह के स्वामित्व वाले ग्रेटर नोएडा के बेनेट विश्वविद्यालय ने अपने छात्रों और उनके अभिभावकों से एक शपथपत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा है, जिसमें उन्हें कैंपस के अंदर या बाहर किसी भी प्रकार की ‘देशविरोधी’ या ‘असामाजिक गतिविधि में शामिल होने, उसका समर्थन या प्रचार न करने के लिए कहा गया है. छात्रों को भेजे ईमेल में विश्वविद्यालय ने कहा कि यह क़दम उत्तर प्रदेश सरकार से मिले निर्देशों के तहत उठाया गया है.

बेनेट विश्वविद्यालय. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित टाइम्स समूह के स्वामित्व वाले बेनेट विश्वविद्यालय ने अपने छात्रों और उनके अभिभावकों से एक शपथ-पथ पर हस्ताक्षर करने को कहा है, जिसमें उनसे विश्वविद्यालय कैंपस के भीतर या बाहर किसी भी प्रकार की ‘देशविरोधी’ या ‘असामाजिक गतिविधि’ में शामिल होने, उसे समर्थन करने या उसका प्रचार न करने के लिए कहा गया है.

स्क्रॉल डॉट इन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शपथपत्र में परिभाषित की गई एक ‘देशविरोधी’ गतिविधि ‘किसी भी गैरकानूनी सभा या प्रदर्शन में भाग लेना’ बताई गई है.

14 मार्च की शाम ईमेल के जरिये छात्रों को भेजे गए शपथपत्र में विश्वविद्यालय ने कहा है कि यह कदम उत्तर प्रदेश सरकार से मिले निर्देशों के तहत उठाया गया है.

ईमेल में लिखा है, ‘राज्य सरकार से मिले दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए आपको एक अतिरिक्त शपथपत्र देने की जरूरत है, जिस पर आपके और आपके अभिभावकों के हस्ताक्षर हों.’

बेनेट विश्वविद्यालय की स्थापना अगस्त 2016 में हुई थी और इसका नाम टाइम्स समूह को चलाने वाली बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड के नाम पर पड़ा. विश्वविद्यालय में 2,500 छात्र पढ़ते हैं.

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार कर्नल गुलजीत सिंह चड्ढा (सेवानिवृत) का कहना है कि यह राज्य सरकार द्वारा पारित निर्देश है, जो एक वैधानिक आवश्यकता है.

बता दें कि जून 2019 में उत्तर प्रदेश कैबिनट ने एक अध्यादेश पारित करते हुए नए एवं मौजूदा विश्वविद्यालयों के लिए ऐसा शपथपत्र देना अनिवार्य किया था कि वे किसी भी ‘राष्ट्रविरोधी गतिविधि’ में शामिल नहीं होंगे.

जब चड्ढा से पूछा गया कि 2019 का अध्यादेश केवल विश्वविद्यालयों के लिए था न कि विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के लिए, तब उन्होंने कहा, ‘विश्वविद्यालय अध्यादेश को कैसे लागू करेगा जब तक कि उनमें (छात्र) कर्तव्यबोध नहीं होगा. यूपी सरकार का निर्देश है कि छात्रों और जो भी एडमिशन के लिए आ रहा है, उन्हें इसका पालन करना होगा.’

शपथपत्र में ‘राष्ट्रविरोधी गतिविधियों’ को पारिभाषित करते हुए कहा गया है कि ‘विश्वविद्यालय की नजर में जो गतिविधि गैर कानूनी होगीं, वे  राष्ट्रविरोध’ मानी जाएंगी. इन गतिविधियों को पांच बिंदुओं में पारिभाषित किया गया है:

1. किसी भी मुद्दे पर किसी भी ऐसी गैर कानूनी गतिविधि का हिस्सा बनना जिससे राज्य या अन्य लोगों के खिलाफ हिंसा भड़क जाए.

2. भारत के किसी भी क्षेत्रीय हिस्से को लेकर कोई भी गैर कानूनी विचार या कार्य जो राष्ट्र के हितों के खिलाफ हो.

3. ऐसी कोई भी गतिविधि जो भारत की सुरक्षा समेत इसकी एकता, अखंडता या संप्रभुता के खिलाफ जाती हो.

4. कोई भी ऐसी गैरकानूनी गतिविधि, जिसका उद्देश्य या वह ऐसी योजना का हिस्सा हो जिसका उद्देश्य बलपूर्वक सरकार को उखाड़ फेंकना है, आंतरिक अशांति पैदा करना या सार्वजिक सेवाओं को बाधित करना है और क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच शांति, सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, सद्भाव को नुकसान पहुंचाना है.

5. किसी भी गैरकानूनी बैठक या प्रदर्शन में शामिल होना.

इसमें चेतावनी भी दी गई है कि इसके कई परिणाम हो सकते हैं, जिनमें कॉलेज से तत्काल निष्कासित किया जाना भी शामिल है.

शपथपत्र में लिखा है कि अगर कोई इस तरह की ‘राष्ट्रविरोधी गतिविधियों’ में शामिल हुआ या उसका समर्थन करता पाया जाता है तो इसे ‘बड़ा उल्लंघन’ माना जाएगा.

बेनेट विश्वविद्यालय ने साथ ही कहा है कि उसके पास ऐसी गतिविधियों को कानून प्रवर्तक एजेंसियों को रिपोर्ट करने का ‘स्वतंत्र अधिकार’ होगा.

इसमें यह भी कहा गया है कि शपथपत्र पर हस्ताक्षर वाले लोग अगर किसी अन्य छात्र या प्रोफेसर को ‘राष्ट्रविरोधी गतिविधि’ में शामिल हुआ देखते हैं तो वे तुरंत विश्वविद्यालय के संज्ञान में यह बात लाएं.

जब इस विशिष्ट खंड के बारे में चड्ढा से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हां, ऐसा है कि अगर उस समय कोई गतिविधि हो रही है तो उन्हें इसे विश्वविद्यालय के संज्ञान में लाना चाहिए.’