वरिष्ठ नागरिकों के लिए किराए में छूट को बहाल नहीं करेगा रेलवे

देश में कोविड-19 महामारी शुरू होने के पहले वरिष्ठ नागरिकों को यह छूट दी जाती थी लेकिन यात्री किराए के ज़रिये कमाई बढ़ाने के लिए मार्च 2020 से यह छूट बंद कर दी गई थी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में बताया कि राजस्व में गिरावट में के चलते यात्रियों को ट्रेन किराए में रियायत देना संभव नहीं है.

/
Mathura: Passengers travel in an overcrowded train ahead of Holi festival in Mathura on Thursday. PTI Photo (PTI3_1_2018_000196B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

देश में कोविड-19 महामारी शुरू होने के पहले वरिष्ठ नागरिकों को यह छूट दी जाती थी लेकिन यात्री किराए के ज़रिये कमाई बढ़ाने के लिए मार्च 2020 से यह छूट बंद कर दी गई थी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में बताया कि राजस्व में गिरावट में के चलते यात्रियों को ट्रेन किराए में रियायत देना संभव नहीं है.

Mathura: Passengers travel in an overcrowded train ahead of Holi festival in Mathura on Thursday. PTI Photo (PTI3_1_2018_000196B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः रेलवे मंत्रालय देश के वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराये में दी जाने वाली छूट बहाल नहीं करने जा रहा है.

देश में कोविड-19 महामारी शुरू होने के पहले वरिष्ठ नागरिकों को यह छूट दी जाती थी लेकिन यात्री किराए के जरिये कमाई बढ़ाने के लिए मार्च 2020 से यह छूट बंद कर दी गई थी.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को संसद में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, ‘कोविड-19 की वजह से उत्पन्न चुनौतियों की वजह से 2019-2020 (कोरोना से पहले) की तुलना में 2020-2021 के दौरान हुई कुल यात्री राजस्व में गिरावट आई है. वरिष्ठ नागरिकों को किराए में छूट देने से रेलवे की लागत बढ़ जाती है इसलिए फिलहाल वरिष्ठ नागरिकों सहित अन्य सभी श्रेणी के यात्रियों को ट्रेन किराए में रियायत देना संभव नहीं है.’

इससे पहले रेलवे ने सभी श्रेणियों में महिला यात्रियों के लिए 50 फीसदी और पुरुष यात्रियों के लिए 40 फीसदी छूट दी जाती थी. इसमें ट्रेन के किराए में छूट के लिए महिलाओं की उम्र 58 साल और पुरुषों के लिए आयु 60 साल निर्धारित की गई थी.

उन्होंने बताया, वरिष्ठ नागरिकों को किराए में छूट देने पर सालाना तकरीबन 1,600 करोड़ रुपये की लागत आती है. सभी श्रेणियों में रियायत दिए जाने पर रेलवे की ओर से लगभग 2000 करोड़ रुपये खर्च किए गए.

कोविड-19 के दौरान जैसे ही ट्रेन सेवाओं को धीरे-धीरे बहाल किया गया, रेल मंत्रालय ने यात्रियों को दी जाने वाली लगभग 53 में से 15 सेवाओं को छोड़कर सभी को बंद कर दिया था, जिनमें से चार विशेष तौर पर सक्षम  और 11 छात्रों और मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएं थीं.

रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य श्री प्रकाश ने कहा, ‘वरिष्ठ नागरिकों के किराए में दी जाने वाली छूट को बहाल नहीं किया जाना एक प्रतिगामी कदम है. आर्थिक रूप से यह कदम छोटे तरीके से मंत्रालय की मदद कर सकता है लेकिन कुल मिलाकर इस फैसले से यात्रियों की संख्या प्रभावित होगी, जो पहले से ही प्रभावित है.’

रेलवे के एक अन्य पूर्व अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि रेल मंत्रालय को कुछ श्रेणियों में छूट जारी रखने पर विचार करना चाहिए.

नेशनल रेलवे यूजर्स कंसल्टेटिव काउंसिल के पूर्व सदस्य शैलेश गोयल ने कहा, ‘वरिष्ठ नागरिक बीते दो सालों से इस छूट को बहाल किए जाने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन वे मंत्रालय के फैसले से निराश हैं. सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेज पूरे तरह से दोबारा नहीं खुले हैं इसलिए छात्रों के लिए छूट को बहाल किए जाने के बजाय  मंत्रालय को वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट को बहाल किए जाने की सिफारिश करनी चाहिए.’