जम्मू कश्मीरः पुलिस के डोज़ियर में पत्रकार फहद शाह पर आईएसआई एजेंडा चलाने का आरोप

समाचार पोर्टल ‘द कश्मीरवाला’ के संपादक फहद शाह को अदालत से तीन बार ज़मानत मिलने के बाद उन पर जनसुरक्षा क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. पुलिस द्वारा इसके तहत दिए गए डोज़ियर में कहा गया है कि फहद अपने पेशे का दुरुपयोग कर राष्ट्रविरोधी कंटेंट पोस्ट करते हैं. पत्रकारों और कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी गिरफ़्तारी का विरोध किया जा रहा है.

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फहद शाह. (फोटो साभार: ट्विटर/@pzfahad)

समाचार पोर्टल ‘द कश्मीरवाला’ के संपादक फहद शाह को अदालत से तीन बार ज़मानत मिलने के बाद उन पर जनसुरक्षा क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. पुलिस द्वारा इसके तहत दिए गए डोज़ियर में कहा गया है कि फहद अपने पेशे का दुरुपयोग कर राष्ट्रविरोधी कंटेंट पोस्ट करते हैं. पत्रकारों और कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी गिरफ़्तारी का विरोध किया जा रहा है.

फहद शाह. (फोटो साभार: ट्विटर/@pzfahad)

नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर पुलिस ने जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत दिए गए डोजियर में आरोप लगाया है कि पत्रकार फहद शाह आईएसआई या अलगाववादी प्रोपगैंडा के अनुरूप एक चुनिंदा नैरेटिव के तहत खबरें तैयार करते हैं.

इस डोजियर में यह भी आरोप लगाया गया है कि वह राष्ट्रविरोधी कंटेंट पोस्ट करते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालतों से तीन बार जमानत मिलने के बावजूद शाह पर सोमवार को पीएसए के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था.

डोजियर में फहद शाह को ‘उकसाने वाला’ बताते हुए कहा गया है कि वह पत्रकारिता की नैतिकता के खिलाफ काम करते और पेशे का दुरुपयोग कर राष्ट्रविरोधी कंटेंट पोस्ट करते हैं, जिनका देश की संप्रभुता एवं अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए गए इस डोजियर में बताया गया है कि फहद शाह का न्यूज पोर्टल ‘कश्मीरवाला’ में ऐसी स्टोरी की जाती हैं, जो राष्ट्र के हित एवं सुरक्षा के खिलाफ है.

डोजियर में कहा गया, ‘आपके ऑनलाइन न्यूज पोर्टल के जरिए आप एक विशेष नैरिटेव के आधार पर लगातार स्टोरी तैयार कर रहे हैं, जो आईएसआई या अलगाववादी प्रोपगैंडा के अनुरूप है. बीते दो सालों में आपने राष्ट्रविरोधी भावनाओं के एक निश्चित पैटर्न का चयन किया है.’

जम्मू एवं कश्मीर पुलिस का यह भी आरोप है कि शाह की मोडस ऑपरेंडी हर महीने एक या दो ऐसी स्टोरी करने की है, जो पूरी तरह से उस विक्टिमहुड नैरेटिव पर आधारित है, जिसमें पथराव करने वाले, आतंकियों और अलगाववादियों एवं हिंसा को न्यायोचित ठहराने वाले का महिमामंडन किया जाता है.

पुलवामा, शोपियां और श्रीनगर में शाह के खिलाफ तीन मामले दर्ज होने का ब्योरा देते हुए डोजियर में कहा गया, ‘आपके खिलाफ ठोस कानून लागू किए गए लेकिन हर रिहाई के बाद इस उम्मीद के साथ आपको कई मौके दिए गए कि आप इस तरह की गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे लेकिन आपके तरीके नहीं बदले.’

पुलिस ने कड़े कानून के तहत शाह की गिरफ्तारी को न्यायोचित ठहराते हुए कहा कि पत्रकार अपनी गैरकानूनी गतिविधियों से जम्मू कश्मीर की सुरक्षा को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं या इसके समक्ष गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं.

शाह की ट्विटर गतिविधियों का भी डोजियर में उल्लेख करते हुए कहा गया, ‘आपके भीतर केंद्र सरकार को लेकर घृणा भरी हुई है और यहां तक कि कोई नौसिखिया भी आपकी सोशल मीडिया टाइमलाइन को देखकर आपकी मंशा का अंदाजा लगा सकता है.’

यह बताते हुए कि सामान्य कानून पत्रकार पर लगाम लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है, डोजियर में उन पर जघन्य अपराधों में शामिल होने का आरोप लगाया.

बता दें कि पुलवामा पुलिस ने शुरुआत में चार फरवरी को शाह को आतंकी गतिविधियों का महिमामंडन करने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की छवि खराब करने के अलावा देश के खिलाफ दुर्भावना और असंतोष पैदा करने के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया था.

उन्हें 22 दिनों की हिरासत के बाद एनआईए एक्ट के तहत विशेष अदालत ने जमानत दे दी थी. इसके बाद उन्हें शोपियां पुलिस ने गिरफ्तार किया और इस महीने की शुरुआत में जमानत दी गई. फिलहाल वह श्रीनगर के सफाकदल पुलिस थाने में बंद हैं.

एक महीने में तीन बार फहद की गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी मीडिया एडवोकेसी समूह कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने भारतीय प्रशासन से राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर पत्रकारिता का अपराधीकरण बंद करने को कहा जबकि कई अन्य ने इसे देश की लोकतांत्रिक साख पर हमला बताया.

वकीलों, नागिरक समाज कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के अधिकारों की वकालत करने वाले एक समूह फ्री स्पीच कलेक्टिव की स्थापना करने वाली गीता सेशु का कहना है, ‘फहद को बार-बार गिरफ्तार किया जाना दरअसल उन्हें चुप कराने और जेल की सलाखों के पीछे रखने का प्रयास है ताकि वह अपने पत्रकारिता के कर्तव्यों का पालन नहीं कर सके.’

एक पूर्व पत्रकार गीता ने द वायर  को बताया, ‘अगर हम पुलिस के आरोपों पर विश्वास भी करें तो यह समझ के परे हैं कि पिछले साल दर्ज हुए मामलों में कार्रवाई करने और गिरफ्तारी में पुलिस को इतना समय क्यों लगा? यकीनन वे तब यह कर सकते थे. वे दो सालों से क्या कर रहे थे? उनके व्यवहार से यह स्पष्ट है कि वह नहीं चाहते कि फहद पत्रकारिता करे.’

स्वीडन में रहे वाले प्रख्यात शिक्षाविद अशोक स्वैन का कहना है, ‘फहद की गिरफ्तारी से पता चलता है कि सत्तारूढ़ सरकार कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय एजेंडा से बाहर रखने के लिए जो बन पड़ रहा है, कर रही है. इस संदर्भ में वह कश्मीर से किसी भी तरह की स्वतंत्र पत्रकारिता पर अंकुश लगाना चाहती है.’

उप्साला यूनिवर्सिटी में पीस एंड कंफ्लिक्ट के प्रोफेसर अशोक ने द वायर  को बताया, ‘कश्मीर में पत्रकारों और उनके परिवार के सदस्यों की बार-बार गिरफ्तारी और उत्पीड़न का उद्देश्य डर का माहौल बनाना है ताकि स्थानीय स्वतंत्र पत्रकारिता खत्म हो जाए.’

न्यूयॉर्क में सीपीजे के प्रोग्राम निदेशक कार्लोस मार्टिनेज डे ला सेर्ना ने जारी बयान में ‘फहद की गिरफ्तारी और उत्पीड़न की कड़ी निंदा करते हुए प्रशासन से राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर पत्रकारिता का अपराधीकरण नहीं करने को कहा.’

बयान में कहा गया, ‘पत्रकारों को हिरासत में लिए जाने की तेजी से बढ़ रहे मामले से प्रेस की आजादी और सरकार की आलोचना को लेकर प्रशासन की असहिष्णुता का पता चलता है. प्रशासन को फहद शाह को तुरंत रिहा करना चाहिए, उनके पत्रकारिता कार्यों की जांच को बंद कर देना चाहिए और पत्रकारिता के अपराधीकरण को रोकने के कदम उठाने चाहिए.’