मणिपुर: एन. बीरेन सिंह को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया

मणिपुर के राज्यपाल ने भाजपा विधायक दल के नेता और कार्यवाहक मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है. हाल में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 32 सीट जीतकर सत्ता में वापसी की है. भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के पास 60 सदस्यीय विधानसभा में कई दलों के समर्थन के बाद 41 सदस्य हो गए हैं, जो दो तिहाई बहुमत है.

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केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने मणिपुर भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद बीते रविवार को एन. बीरेन सिंह को गुलदस्ता भेंट किया. (फोटो साभार: ट्विटर)

मणिपुर के राज्यपाल ने भाजपा विधायक दल के नेता और कार्यवाहक मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है. हाल में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 32 सीट जीतकर सत्ता में वापसी की है. भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के पास 60 सदस्यीय विधानसभा में कई दलों के समर्थन के बाद 41 सदस्य हो गए हैं, जो दो तिहाई बहुमत है.

केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने मणिपुर भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद बीते रविवार को एन. बीरेन सिंह को गुलदस्ता भेंट किया. (फोटो साभार: ट्विटर)

इंफाल: मणिपुर के राज्यपाल ला गणेशन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल के नेता और कार्यवाहक मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है.

राजभवन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने सिंह को भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में ‘मंत्रिमंडल गठित करने को लेकर समय और तारीख से अवगत’ कराने के लिए आमंत्रित किया है.

इससे पहले केंद्रीय मंत्रियों निर्मला सीतारमण और किरेन रिजिजू ने पार्टी की ओर से राज्यपाल को एक पत्र सौंपा, जिसमें कहा गया कि एन. बीरेन सिंह को सर्वसम्मति से 32 विधायकों के साथ भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया है.

राजभवन के बयान में कहा गया है कि दो राजनीतिक दलों- जदयू के छह सदस्यों, कुकी पीपुल्स एलायंस के दो सदस्यों तथा एक निर्दलीय ने भाजपा को बिना शर्त अपना समर्थन दिया और उनके समर्थन पत्र भी राज्यपाल को सौंपे गए हैं. इससे भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के पास 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में 41 की संख्या होगी और दो तिहाई बहुमत होगा.

इससे पहले दिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि एन. बीरेन सिंह दूसरे कार्यकाल के लिए मणिपुर के मुख्यमंत्री बने रहेंगे. भाजपा द्वारा केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में मणिपुर भेजी गईं सीतारमण ने कहा कि सिंह को सर्वसम्मति से पार्टी के राज्य विधायक दल ने अपना नेता चुना.

पिछले 10 दिनों से जारी अनिश्चितता के बाद विधायक दल की बैठक और यह घोषणा हुई है, क्योंकि प्रतिद्वंद्वी नेता बीरेन सिंह और भाजपा के वरिष्ठ विधायक टी. बिस्वजीत सिंह केंद्रीय नेताओं से मिलने के लिए दो बार दिल्ली पहुंचे, जिसे प्रतिद्वंद्वी खेमों द्वारा लामबंदी की कवायद के तौर देखा गया था. हालांकि, पार्टी के भीतर मतभेद का खंडन किया गया था.

सीतारमण ने कहा, ‘यह सर्वसम्मति से लिया गया एक अच्छा निर्णय है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि मणिपुर में एक स्थिर और जिम्मेदार सरकार हो.’

इस घोषणा के बाद बीते रविवार को बीरेन सिंह ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का आभार जताया.

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का हृदय से आभार, जिन्होंने विधायक दल के नेता के रूप में मुझ पर भरोसा जताया. मैं मणिपुर के प्रत्येक कार्यकर्ता को भाजपा सरकार लाने में उनके अथक प्रयासों के लिए धन्यवाद देता हूं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र के तहत मणिपुर के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी.’

बीरेन सिंह रविवार को किए गए एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘मणिपुर भाजपा के विधायक दल के नेता के रूप में चुने जाने के बाद मैंने निर्मला सीतारमण, भूपेंद्र यादव, किरेन रिजिजू और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मणिपुर के राज्यपाल ला गणेशन से मुलाकात की और अगली सरकार बनाने का दावा पेश किया.’

इससे पहले सीतारमण तथा सह-पर्यवेक्षक बनाए गए केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू राज्य में नवनिर्वाचित भाजपा विधायकों की बैठक में भाग लेने के लिए रविवार को इंफाल पहुंचे हुए थे.

केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव, भाजपा के राज्यसभा सदस्य लैशेम्बा सनाजाउबा और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी महत्वपूर्ण बैठक में शिरकत की.

मणिपुर में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 60 सदस्यीय सदन में 32 सीट जीतकर सत्ता में वापसी की है.

भाजपा ने 2017 के चुनाव में केवल 21 सीट हासिल की थी, लेकिन वह कांग्रेस के विधायकों को अपने पाले में करने में सफल रही, जिससे पार्टी के सदस्यों की संख्या 28 हो गई और बीरेन सिंह ने मणिपुर में पहली बार भाजपा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ थी.

फुटबॉल का मैदान छोड़ राजनीति के अखाड़े में कूदे बीरेन सिंह फिर संभालेंगे कमान

मणिपुर विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले एन. बीरेन सिंह ने फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर अपना सफर शुरू किया और फिर सीमा सुरक्षा बल में उन्हें नौकरी मिल गई.

हालांकि इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखा और स्थानीय भाषा के अखबार ‘नहारोल्गी थोउदांग’ के संपादक बने. सिंह यहीं नहीं रुके और दो दशक पहले वह राजनीति के मैदान में कूद गए. वह पहली बार 2002 में डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी के टिकट पर विधानसभा के सदस्य बने.

सिंह ने पहला चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस का दामन थाम लिया और 2003 में राज्य की तत्कालीन ओकराम इबोबी सिंह नीत सरकार में सतर्कता राज्य मंत्री बने और वन तथा पर्यावरण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संभाला.

सिंह इस सरकार में इबोबी सिंह के विश्वासपात्र बने और 2007 में फिर से निर्वाचित होने के बाद सिंचाई और खाद्य नियंत्रण, युवा मामलों और खेल तथा उपभोक्ता मामलों और जनापूर्ति विभाग के मंत्री बने.

बीरेन सिंह 2012 में तीसरी बार निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे, लेकिन इबोबी सिंह से उनका रिश्ता बिगड़ गया था और उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के खिलाफ विद्रोह कर दिया.

बाद में उन्होंने मणिपुर विधानसभा की सदस्यता और मणिपुर प्रदेश कांग्रेस समिति की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और अक्टूबर 2016 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए.

भाजपा में शामिल होने के बाद वह पार्टी की मणिपुर इकाई के प्रवक्ता और चुनाव प्रबंधन समिति के सह-समन्वयक बने. 2017 में वह भाजपा के टिकट पर रिकॉर्ड चौथी बार हेईगांग सीट से निर्वाचित हुए और पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. सिंह ने 15 मार्च, 2017 को मणिपुर में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली थी.

उग्रवाद से प्रभावित बहु-जातीय राज्य मणिपुर के मुख्यमंत्री के रूप में पिछले पांच साल में शांति स्थापना और घाटी तथा पहाड़ के लोगों के बीच की खाई पाटने का व्यापक रूप से श्रेय सिंह को दिया जाता है.

पिछले पांच साल में थोंगाम बिस्वजीत सिंह की मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा के कारण मणिपुर में सरकार के लिए कुछ आंतरिक चुनौतियां पैदा हुईं, लेकिन सिंह उनसे निपटते हुए पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल रहे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)