उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज परिसर में छात्रों का सिर मुंडाए और पीछे बंधे हुए हाथ के साथ एक कतार में चलने का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था. जिसे वरिष्ठ छात्रों द्वारा की गई रैगिंग बताया गया था. वीडियो सामने आने के बाद एक जनहित याचिका दायर की थी. उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा गठित समिति ने जांच रिपोर्ट में पुष्टि की कि याचिकाकर्ता के आरोप सही थे.
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज से पूछा कि उसने अपने छात्रों से जुड़े रैगिंग के मामले में पुलिस में शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई. हाईकोर्ट ने साथ ही कॉलेज प्रबंधन को एक सप्ताह के भीतर सीसीटीवी कैमरे लगवाने के निर्देश दिए.
मुख्य न्यायाधीश संजय मिश्रा एवं जस्टिस आरसी खुल्बे ने घटना के संबंध में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को नोटिस जारी किया.
अदालत ने कॉलेज प्रबंधन से यह स्पष्ट करने को कहा है कि घटना की पूरी जानकारी होने के बावजूद प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज कराई गई.
मालूम हो कि हाल ही में हल्द्वानी स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज परिसर में छात्रों का सिर मुंडाए और पीछे बंधे हुए हाथ के साथ एक कतार में चलने का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था. जिसे कथित तौर पर वरिष्ठ छात्रों द्वारा की गई रैगिंग बताया जा रहा था.
वीडियो सामने आने के बाद हरिद्वार निवासी सच्चिदानंद डबराल ने एक जनहित याचिका दायर की थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, बुधवार को ही उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा गठित दो सदस्यीय समिति, जिसमें पुलिस उप-महानिरीक्षक नीलेश आनंद भरणे और कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत शामिल हैं, ने हल्द्वानी के सरकारी मेडिकल कॉलेज में 27 एमबीबीएस छात्रों की कथित रैगिंग की जांच रिपोर्ट दी और पुष्टि की कि याचिकाकर्ता के आरोप सही थे.
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉलेज के परिसर में छात्रों पर नजर रखने के लिए कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉलेज के प्रिंसिपल ने पहले कहा था कि छात्रों ने अपने सिर मुंडवा लिए थे क्योंकि वे ‘डैंड्रफ, एलर्जी और सोरायसिस’ से पीड़ित थे. उन्होंने 18 मार्च को ‘अज्ञात’ लोगों के खिलाफ शिकायत की थी. ‘अज्ञात’ लोगों के खिलाफ शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया था.
अदालत ने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को अपने परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने और खराब कैमरों को मरम्मत कराने का आदेश दिया.
अदालत ने प्रिंसिपल से कहा कि जिस आधार पर मामला दर्ज किया गया है, उसे साबित करें और बताएं कि आरोपी ‘अज्ञात’ क्यों थे. इसके बाद उसने एक सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा. मामले की अगली सुनवाई 30 मार्च को तय की गई है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)