असम: नागरिकता मामले में निधन के छह साल बाद विदेशी न्यायाधिकरण ने मृतक को नोटिस भेजा

असम के कछार ज़िले में उधारबंद के थालीग्राम गांव में रहने वाले श्यामा चरण दास के ख़िलाफ़ 2015 में मामला दर्ज किया गया था, लेकिन मई 2016 में उसकी मृत्यु हो गई थी. परिवार ने इस संबंध में मृत्यु प्रमाण पत्र जमा किया था और उसी साल सितंबर में इसी अधिकरण के सदस्य ने दास का मामला बंद कर दिया था.

/
असम में एक विदेशी न्यायाधिकरण का दफ्तर. (फाइल फोटो: हसन अहमद मदनी)

असम के कछार ज़िले में उधारबंद के थालीग्राम गांव में रहने वाले श्यामा चरण दास के ख़िलाफ़ 2015 में मामला दर्ज किया गया था, लेकिन मई 2016 में उसकी मृत्यु हो गई थी. परिवार ने इस संबंध में मृत्यु प्रमाण पत्र जमा किया था और उसी साल सितंबर में इसी अधिकरण के सदस्य ने दास का मामला बंद कर दिया था.

असम में एक विदेशी न्यायाधिकरण का दफ्तर. (फोटो: हसन अहमद मदनी)

सिलचर: असम के कछार जिले में विदेशी नागरिकों से संबंधित अधिकरण (न्यायालय) ने एक मृत व्यक्ति को नोटिस जारी कर 30 मार्च को उपस्थित होने का निर्देश दिया है, क्योंकि वह अपनी भारतीय नागरिकता प्रमाणित करने के लिए वैध दस्तावेज पेश नहीं कर सका था.

कछार स्थित विदेशी न्याया​धिकरण-तृतीय ने जिले के उधारबंद इलाके के थालीग्राम गांव में रहने वाले श्यामा चरण दास को नोटिस भेजा है, जिनकी मौत छह मई 2016 में ही हो चुकी है. पीड़ित की मृत्यु के लगभग छह साल बाद बीते 15 मार्च को यह नोटिस जारी किया गया है.

नोटिस में कहा गया कि वह एक जनवरी, 1966 से 23 मार्च, 1973 के बीच कथित तौर पर बिना किसी वैध दस्तावेज के गैरकानूनी तरीके से असम में दाखिल हुए थे.

नोटिस में यह भी कहा गया कि वह जांच के दौरान कोई वैध दस्तावेज पुलिस के समक्ष पेश नहीं कर सके और इस प्रकार वह संदिग्ध अवैध प्रवासी हैं.

उल्लेखनीय है कि दास के खिलाफ वर्ष 2015 में मामला दर्ज किया गया था, लेकिन मई 2016 में उनकी मृत्यु हो गई थी. परिवार ने इस संबंध में मृत्यु प्रमाण पत्र जमा किया था और उसी साल सितंबर में इसी अधिकरण के सदस्य ने दास का मामला बंद कर दिया था.

इस साल की शुरुआत में दास के खिलाफ सीमा पुलिस ने अवैध अप्रवासी होने के संदेह में एक नया मामला दर्ज किया था और इसके आधार पर ही विदेशी न्यायाधिकरण-तृतीय ने 15 मार्च, 2022 को उनके खिलाफ नोटिस जारी किया था.

कछार की पुलिस अधीक्षक रमणरदीप कौर ने कहा कि शिकायत पर व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है और हो सकता है कि उसी आधार पर नोटिस जारी किया गया हो, लेकिन व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद मामला खारिज हो जाता है.

दास की बेटी ने कहा कि मृत व्यक्ति को नोटिस जारी करना यह प्रदर्शित करता है कि लोगों को असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से किस तरह बाहर किया गया है और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, दास की मृत्यु के बाद परिवार ने विदेशी न्यायाधिकरण-3 के समक्ष मृत्यु प्रमाण पत्र जमा किया था, जिसके आधार पर न्यायाधीश बीके तालुकदार द्वारा उनके खिलाफ मामला बंद कर दिया गया था.

तालुकदार ने 23 सितंबर, 2016 को अपने आदेश में लिखा था, ‘सुधन राम दास के बेटे श्यामा चरण दास के परिवार के सदस्यों ने दस्तावेज जमा किए हैं, जो साबित करते हैं कि ट्रायल केस (केस नंबर 7582/98) चलने के दौरान 06/05/2016 को सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई. अभिलेखों के अनुसार, उनके पिता सुधन राम दास का नाम 1965 और 1970 की मतदाता सूची में पाया गया था. चूंकि श्यामा चरण दास की मृत्यु हो गई है, इसलिए संदर्भ (मामला) को समाप्त कर दिया गया है.’

कछार जिले की पुलिस अधीक्षक रमनदीप कौर ने जानकारी दी है कि श्यामा चरण दास के खिलाफ दो मामले- पहला डी-वोटर केस नंबर-7582/98 साल 1998 में और दूसरा विदेशी न्यायाधिकरण केस नंबर-109/12 साल 2012 में दर्ज हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, दास की पत्नी सुलेखा दास ने भी एकतरफा आदेश में अपनी भारतीय पहचान खो दी थी और उन्हें अप्रैल 2018 में विदेशियों के लिए बनाए गए डिटेंशन सेंटर में रखा गया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी एक आदेश के बाद उन्हें अप्रैल 2020 में जमानत पर रिहा कर दिया गया था.

बहरहाल परिवारवालों को लगा था कि दास के खिलाफ केस बंद हो गया है और उन्होंने सुलेखा के खिलाफ दर्ज केस पर ध्यान केंद्रित किया था, लेकिन 16 मार्च को उधारबंद थाने से पुलिस अधिकारियों की एक टीम थालीग्राम गांव में सुलेखा दास के घर पहुंची और परिजनों को मृतक के खिलाफ नया नोटिस थमा दिया.

दास की बेटी बेबी दास ने कहा, ‘हमने आधा दशक पहले अपने पिता को खो दिया था, लेकिन अदालत कहती है कि वह जीवित है. इस तथ्य के बावजूद कि मेरे पिता के पास अपनी पहचान साबित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज थे, हम वर्षों तक इस मामले से जूझते रहे जब वह जीवित थे. अब उनकी मौत के बाद हमें उनकी तरफ से कोर्ट में पेश होना है. मैं नहीं जानती कि इस स्थिति पर क्या कहा जाए.’

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए), कछार और सामाजिक कार्यकर्ता कमल चक्रवर्ती ने बेबी दास को अपना समर्थन दिया है. वे दस्तावेज एकत्र करने और 30 मार्च को मामले को विदेशी न्यायाधिकरण-तृतीय के समक्ष पेश करने में उसकी सहायता करेंगे.

चक्रवर्ती ने कहा, ‘यह दिखाता है कि हमारा सिस्टम कितना अनभिज्ञ है. पुलिस के फील्ड वेरिफिकेशन के आधार पर एक मृत व्यक्ति को कोर्ट में पेश होने को कहा गया है. इसका मतलब यह है कि पुलिस दस्तावेजों की जांच के लिए आरोपी के घर भी नहीं गई.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)