बिहार सरकार में मंत्री मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी के सभी तीनों विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. उधर, मुकेश साहनी का कहना है कि उन्हें मंत्रिमंडल में रखना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विशेषाधिकार है. वे चाहें तो बर्ख़ास्त कर दें.
पटना: भाजपा के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले बिहार सरकार में मंत्री मुकेश साहनी को बुधवार को तब तगड़ा झटका लगा जब उनकी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के टिकट पर चुने गए सभी तीन विधायक भाजपा में चले गए.
इस बीच साहनी बोचहां विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए पार्टी उम्मीदवार गीता देवी का नामांकन दायर कराने में व्यस्त थे. यह सीट वीआईपी से विधायक मुसाफिर पासवान के निधन से खाली हुई है.
इसके बाद बुधवार शाम को स्वर्ण सिंह, मिश्री लाल यादव और राजू कुमार सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा से मुलाकात कर कहा कि वे भाजपा में विलय करना चाहते हैं. ये तीनों विधायक 2020 के विधानसभा चुनावों में वीआईपी के टिकट पर जीते थे.
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की और भाजपा विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई. उसके पास अब 77 विधायक हैं जो प्रमुख विपक्षी दल राजद से दो ज्यादा हैं.
अध्यक्ष के कक्ष से बाहर निकलते हुए, विधायकों ने संवाददाताओं से कहा कि वे ‘अपने घर लौट रहे हैं’ क्योंकि वे सभी पहले भाजपा से जुड़े हुए थे. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के प्रति साहनी का टकराव का रुख ‘आत्मघाती’ है.
बॉलीवुड के पूर्व सेट डिजाइनर साहनी ने नवंबर 2018 में अपनी पार्टी बनाई थी और इसके तुरंत बाद राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हो गए, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले महागठबंधन छोड़ दिया और आरोप लगाया कि विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव उनके साथ सीटों का उचित बंटवारा नहीं कर रहे थे.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद भाजपा के कहने पर उन्हें राजग में शामिल किया गया था.
चुनावों में उनकी पार्टी ने चार सीटें जीतीं थी, हालांकि साहनी अपनी खुद की सीट हार गए. हालांकि, भाजपा ने उनका समर्थन किया और उन्हें नीतीश कुमार कैबिनेट में जगह दिलाने में मदद की.
मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दूंगा, नीतीश चाहें तो मुझे बर्खास्त कर सकते हैं: साहनी
वीआईपी के तीन विधायकों भाजपा में शामिल हो जाने के बाद बिहार के पशुपालन और मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश साहनी ने गुरुवार को कहा कि वह मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहें तो उन्हें बर्खास्त कर सकते हैं.
साहनी ने संवाददाता सम्मेलन में अरुणाचल प्रदेश में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और लोजपा के विभाजन का हवाला दिया. अरुणाचल प्रदेश में जदयू ने टूट के कारण मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा खो दिया था जबकि चिराग पासवान को उनके पिता रामविलास पासवान द्वारा बनाई गई पार्टी में अलग-थलग कर दिया गया.
यह पूछे जाने पर कि अब जब वीआईपी के सभी विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं, तब क्या वे मंत्रिपद पर बने रहेगे, तब बिहार विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) साहनी ने कहा, ‘मुझे अपने मंत्रिमंडल में रखना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. मुझे उनके द्वारा शामिल किया गया था और यह उनके द्वारा तय किया जाना चाहिए कि मुझे रहना चाहिए या छोड़ दिया जाना चाहिए. जब तक वह चाहेंगे, मैं लोगों के लिए काम करता रहूंगा.’
साहनी का बिहार विधान परिषद सदस्य के रूप में कार्यकाल इस साल जुलाई में समाप्त हो रहा है. भाजपा ने ही उन्हें अपने ही एक सदस्य द्वारा खाली की गई सीट से निर्वाचित होने में मदद की थी लेकिन अब पार्टी ने अब अपनी भावी रणनीति का खुलासा नहीं किया है.
यदि भाजपा एमएलसी के रूप में एक और कार्यकाल के लिए साहनी का समर्थन नहीं करने का विकल्प चुनती है तो उन्हें कार्यकाल समाप्त होने के छह महीने बाद अपना मंत्री पद छोड़ना होगा जब तक कि वह बिहार विधानमंडल के किसी भी सदन के लिए चुने नहीं जाते.
साहनी ने भाजपा के इन दावों को भी खारिज कर दिया कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें इस शर्त पर राजग में जल्दबाजी में शामिल किया गया था कि वह छह महीने के भीतर अपने वीआईपी का विलय कर देंगे.
साहनी ने कहा, ‘दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ बंद दरवाजे के अंदर एक बैठक के बाद एनडीए में शामिल होने का मेरा फैसला हुआ. अगर वह आगे आते है और कहते हैं कि इस तरह का एक सौदा था, तो मैं उसे स्वीकार कर लूंगा.’
बिहार विधानसभा चुनाव के समय मीडिया के एक वर्ग द्वारा यह कहा गया था कि भाजपा एक उपयुक्त समय पर नीतीश को पछाड़ने के लिए छोटे दलों को साथ ला सकती है.
तब जदयू के कई नेताओं ने यह भी आरोप लगाया था कि चिराग पासवान का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बिगुल फूंककर अपने बलबूते 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव लड़ना, जिसके कारण नीतीश की पार्टी ने उक्त चुनाव में कम सीट ही हासिल कर पाई थी, को भी भाजपा की मौन स्वीकृति थी.
हालांकि, बुधवार की रात बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने मौजूदा संकट के लिए साहनी पर दोषारोपण करते हुए कहा था कि वीआईपी के ये सभी तीन विधायक पहले भाजपा से ही जुड़े हुए थे.
जायसवाल ने कहा, ‘उन्होंने हमारे खिलाफ उत्तरप्रदेश में चुनावी मुकाबले में प्रवेश किया. हमने कोई आपत्ति नहीं की. यहां तक कि जदयू ने भी ऐसा ही किया.’
उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने अपनी उम्मीदवार बेबी कुमारी को वीआईपी चिह्न पर उतारने की पेशकश की थी लेकिन साहनी दिवंगत विधायक के बेटे अमर पासवान को टिकट देने पर अड़े थे, जिसे आखिर में राजद ने अब अपना उम्मीदवार बनाया.
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे हमलों के बारे में पूछे जाने पर साहनी ने कहा, ‘मैंने क्या गलत किया. मैं अपने निषाद समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ रहा हूं. भाजपा भले ही मोदी को अपना प्रधानमंत्री समझे लेकिन वह पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं और मेरे भी. अगर मुझे कोई शिकायत है तो मैं इसे किसके सामने रखूंगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)