मेघालय हाईकोर्ट राज्य में कोरोना महामारी के दौरान चिकित्सकीय सुविधाओं की कमी से 877 नवजात शिशुओं और 61 मांओं की मौत पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
शिलॉन्गः मेघालय हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार से कोरोना महामारी के दौरान मेडिकल सुविधाओं के अभाव में जान गंवा चुके लोगों के लिए राहत पैकेज पर विचार करने को कहा.
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी की अध्यक्षता में पीठ ने कोरोना के दौरान मेघालय में 877 नवजात बच्चों और 61 मांओं की मौत पर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.
अदालत ने कहा, ‘कोरोना के दौरान चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में जान गंवा चुके लोगों के लिए किसी प्रकार के पैकेज पर विचार करना राज्य के लिए अच्छा होगा.’
अदालत ने राज्य सरकार को 31 मार्च को दोबारा सुनवाई होने पर मामले की व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
मामले में राज्य सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल अमित कुमार ने अदालत को बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के डर ने अधिकतर लोगों को घर से बाहर निकलने और जरूरत पड़ने पर मेडिकल सहायता लेने से रोका.
उन्होंने कहा कि यह कहना सही नहीं होगा कि गर्भवती महिलाओं, नवजात बच्चों के साथ मांओं को तत्काल मेडिकल सुविधाओं से महरूम रखा गया.
मेघालय सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को बताया था कि कोरोना के दौरान राज्य में 877 नवाजत शिशुओं और 61 मांओं की मौत हो गई थी क्योंकि गर्भवती महिलाओं ने कोरोना से संक्रमित होने के डर से कोविड-19 के दौरान अस्पतालों में भर्ती होने से इनकार कर दिया था.
एनएचआरसी द्वारा कोरोना के दौरान राज्य में बड़ी संख्या में मांओं और नवजात शिशुओं की मौत को लेकर दर्ज मामले के बाद राज्य सरकार ने एनएचआरसी को सौंपी अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में यह बयान दिया है.
(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)