सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा हिंसा पर ट्वीट करने वाले छात्रों के ख़िलाफ़ कार्रवाई से पुलिस को रोका

पिछले साल बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले के बाद त्रिपुरा में आगज़नी, लूटपाट और हिंसा की घटनाएं हुई थीं, इसके ख़िलाफ़ चार छात्रों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में सांप्रदायिक हिंसा पर लोगों को सोशल मीडिया पोस्ट के लिए नोटिस भेजने को लेकर त्रिपुरा पुलिस की खिंचाई की थी.

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(फोटो: पीटीआई)

पिछले साल बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले के बाद त्रिपुरा में आगज़नी, लूटपाट और हिंसा की घटनाएं हुई थीं, इसके ख़िलाफ़ चार छात्रों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में सांप्रदायिक हिंसा पर लोगों को सोशल मीडिया पोस्ट के लिए नोटिस भेजने को लेकर त्रिपुरा पुलिस की खिंचाई की थी.

(फोटो: पीटीआई)

नयी दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल राज्य में कथित सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले चार छात्रों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से त्रिपुरा पुलिस को रोक दिया है.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने इन छात्रों द्वारा दायर चार अलग-अलग याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई कर आदेश जारी किया.

इन याचिकाओं को मामले में लंबित अन्य याचिकाओं के साथ भी जोड़ दिया गया.

आदेश में कहा गया, ‘त्रिपुरा के पश्चिम अगरतला पुलिस थाने में तीन नवंबर 2021 को दर्ज मामले में अगले आदेश तक आगे की कार्यवाही पर रोक रहेगी.’

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर पहले दायर रिट याचिका के साथ इन याचिकाओं को भी जोड़ने का आदेश दिया.

राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर रिपोर्ट उनके संज्ञान में आई है लेकिन उन्होंने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें अभी तक इस आदेश की कॉपी नहीं मिली है.

अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘मुझे सोमवार को आदेश की प्रति मिलेगी और तभी मैं इस पर कुछ टिप्पणी कर पाऊंगा.’

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता शाहरुख आलम ने कहा, ‘इन चार लोगों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41ए के तहत त्रिपुरा दंगों पर अपने ट्वीट के लिए नोटिस भेजा गया है. ये चारों छात्र हैं.’

उन्होंने दलील दी कि अदालत ने पहले कई लोगों को इसी तरह की कार्रवाई पर संरक्षण दिया था.

अदालत द्वारा यह पूछने पर कि क्या इन चारों याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई सामान्य एफआईआर दर्ज है, जिस पर वकील ने इसकी पुष्टि की.

अदालत ने राज्य सरकार के वकील को चेतावनी दी थी कि अगर त्रिपुरा पुलिस लोगों को परेशान करने से परहेज नहीं करती है तो वह गृह सचिव और संबंधित पुलिस अधिकारियों को तलब करेगी.

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट उस समय पत्रकार समीउल्लाह शब्बीर खान द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें त्रिपुरा पुलिस द्वारा सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया था.

शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को त्रिपुरा पुलिस को राज्य में कथित सांप्रदायिक हिंसा के बारे में एक पत्रकार के ट्वीट के संबंध में ट्विटर इंक को नोटिस पर कार्रवाई करने से रोक दिया था.

बता दें कि पिछले साल बांग्लादेश में ईशनिंदा के आरोपों पर दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले की खबरें आने के बाद त्रिपुरा में आगजनी, लूटपाट और हिंसा की घटनाएं हुई थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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