ग्रैफिटी कलाकार निलिम महंत और मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं वकील इबो मिली को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार ‘कुछ उचित प्रतिबंधों’ के साथ आता है. कोर्ट ने उन्हें दीवार के उस हिस्से को फिर से पेंट करने का भी निर्देश दिया है, जिसे विरूपित किया गया था.
ईटानगर: ईटानगर की एक स्थानीय अदालत ने यहां सिविल सचिवालय की चारदीवारी पर बने एक ग्रैफिटी ((दीवार पर बनाई गई तस्वीर या शब्द) पर बांध रोधी नारे लिखकर, उसे विरूपित करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए असम के एक ग्रैफिटी कलाकार और उनके साथी को मंगलवार को जमानत दे दी.
ग्रैफिटी कलाकार निलिम महंत और मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं वकील इबो मिली को जमानत देते हुए प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट तेनजिन मेथो ने उन्हें दीवार के उस हिस्से को फिर से पेंट करने का निर्देश दिया, जिसे विरूपित कर दिया गया था और साथ ही आदेश देने की तारीख के 10 दिनों के भीतर उसे पहले वाले रूप में लाने का निर्देश दिया.
उन्हें तीन-तीन हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी गई.
असम के लखीमपुर जिले में कई संगठनों ने महंत को गिरफ्तार करने के लिए अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू का मंगलवार को पुतला जलाया. उन्होंने धमकी दी कि अगर ग्रैफिटी कलाकार को तत्काल रिहा नहीं किया गया तो पड़ोसी राज्य तक जाने वाली सभी सड़कों को अवरुद्ध कर दिया जाएगा.
दोनों दो दिन से पुलिस हिरासत में थे. उन्हें राज्य की राजधानी ईटानगर की दो सरकारी इमारतों की दीवारों (बाउंड्री वॉल) पर उनके द्वारा विरोधस्वरूप बनाई गईं कलाकृतियों/ ग्रैफिटी (दीवार पर बनाई गई तस्वीर या शब्द) के चलते हिरासत में लिया गया है.
द वायर ने भी इस संबंध में एक रिपोर्ट की थी, जिसमें बताया गया था कि विवादित चित्र अरुणाचल प्रदेश के 50 वर्ष पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के जश्न का हिस्सा थे. चित्रों के विभिन्न विषय इस पूर्वोत्तर राज्य की विरासत और इसके विकास क्रम का प्रदर्शन करने के लिए थे.
स्थानीय खबरों के मुताबिक, पहले अरुणाचल के वकील-कार्यकर्ता इबो मिली को हिरासत में लिया गया था. उन पर आरोप लगाए कि उन्होंने बांधों को बढ़ावा देने वाले राज्य सरकार द्वारा बनवाए गए म्यूरल को विरूपित किया. यह चित्र राज्य विधानसभा और सचिवालय की इमारत की बाउंड्री वॉल पर बना हुआ था.
उक्त चित्र अरुणाचल प्रदेश के 50 वर्ष पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के जश्न का हिस्सा थे. चित्रों के विभिन्न विषय इस पूर्वोत्तर राज्य की विरासत और इसके विकास क्रम का प्रदर्शन करने के लिए थे.
मिली को हिरासत में लेने के कुछ ही घंटों बाद अरुणाचल पुलिस की टीम असम के लखीमपुर प्रसिद्ध ग्रैफिटी कलाकार निलिम महंत को गिरफ्तार करने पहुंची.
असम की खबरें बताती हैं कि 27 मार्च को असम पुलिस की मदद से महंत को उनके घर से उठा लिया गया.
इस बीच, किसान संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति और उससे संबद्ध संगठन सात्र मुक्ति संग्राम समिति ने मंगलवार को महंत की गिरफ्तारी के खिलाफ असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा के समीप लखीमपुर जिले के बंदरदेवा शहर में प्रदर्शन किया.
बहरहाल, खबरों के मुताबिक, दोनों को पुलिस द्वारा पेश किए जाने के बाद पापुम पारे जिले की युपिया अदालत ने उन्हें जमानत दे दी.
जमानती आदेश के मुताबिक, महंत और मिली के वकील ने तर्क दिया कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम (पीडीपीपी) अधिनियम की धारा-3 वर्तमान मामले पर लागू नहीं होती है, क्योंकि केवल दीवार पर ग्रैफिटी बनाई थी क्योंकि ऐसा करने के लिए एक एनजीओ ने उन्हें काम पर रखा था.
सरकारी वकील ने भी स्वीकारा कि उक्त धारा उन पर लागू नहीं होती है.
न्यायित मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) तेनजिन मेथो ने कहा कि पहली नजर में दोनों ही व्यक्ति विरूपित करने में शामिल थे. उन्होंने कहा कि पीडीपीपी अधिनियम की धारा-3 उन पर लागू होती है या नहीं, यह मामले की ट्रायल के दौरान विचार करेंगे.
मजिस्ट्रेट ने कहा कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार ‘कुछ उचित प्रतिबंध’ के साथ आता है.
उन्होंने आगे कहा, ‘भले ही दोनों आरोपी बांध निर्माण के मसले पर अपना विरोध व्यक्त करना चाहते थे, लेकिन उनके पास अपना संदेश देने के कई अन्य तरीके भी थे लेकिन राज्य के खर्च पर बनाई गईं कलाकृतियों (चित्रों) विरूपित करना निश्चित रूप से सही तरीका नहीं था.’
दोनों आरोपियों की रिमांड अवधि समाप्त होने से पहले पुलिस ने उन्हें कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया तो मजिस्ट्रेट ने उन्हें आगे हिरासत में रखना उचित नहीं पाया.
इससे पहले अरुणाचल सरकार ने मीडिया को जारी एक बयान में कहा कि राज्य सरकार को दोनों के इरादों से कोई समस्या नहीं है, लेकिन वह किसी भी करीबी अपराध के प्रति उदार नहीं हो सकती है, यह जनभावना के खिलाफ होगा.’
राज्य सरकार के प्रवक्ता बामंग फेलिक्स ने आगे बयान में कहा, ‘जहां तक इस मालमे की बात है तो मामला अदालत के समक्ष है और राज्य सरकार उसके फैसले का पालन करेगी.’
सरकार ने 29 मार्च को अपनी चुप्पी तब तोड़ी जब दोनों की गिरफ्तारी ने सोशल मीडिया और राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा. सोशल मीडिया में बड़ी संख्या में लोगों ने राज्य में बांध निर्माण का विरोध जताया था.
सरकार के बयान में सोशल मीडिया और राष्ट्रीय मीडिया की प्रतिक्रियाओं को भ्रामक जानकारी बताया. फेलिक्स ने कहा कि राज्य सरकार यह दिखाना चाहती है कि गिरफ्तारी किसी विरोध या बांध विरोधी प्रदर्शन से जुड़ी नहीं है.
दोनों की गिरफ्तारी ने असम और अरुणाचल दोनों ही राज्यों में रोष पैदा किया. असम के एक छात्र संगठन असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद ने महंत को तुरंत न छोड़े जाने पर सड़क जाम करने की धमकी दी, वहीं रायजोर दल के कार्यकर्ता ने अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू का पुतला जलाया.
असम के लोकप्रिय गायन जुबिन गर्ग ने भी फेसबुक पर तुरंत रिहाई की मांग की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)