बाल विवाह के मामलों में 2016 से 2020 के बीच लगातार वृद्धि हुई: केंद्र सरकार

महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2016, 2017, 2018, 2019 और 2020 के दौरान बाल विवाह के पंजीकृत मामलों की संख्या क्रमश: 326, 395, 501, 523 और 785 थी.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2016, 2017, 2018, 2019 और 2020 के दौरान बाल विवाह के पंजीकृत मामलों की संख्या क्रमश: 326, 395, 501, 523 और 785 थी.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद में कहा कि 2016 से 2020 के बीच देश में बाल विवाह के सामने आए मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि दर्ज की गई.

महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने एक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016, 2017, 2018, 2019 और 2020 के दौरान बाल विवाह के पंजीकृत मामलों की संख्या क्रमश: 326, 395, 501, 523 और 785 थी.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 तक के ये आंकड़े उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा कि देश में बाल विवाह के चलन में होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. उन्होंने इस क्रम में प्रचलित सामाजिक रीति-रिवाज, परंपरा, गरीबी, समाज में महिलाओं का निम्न स्तर और जागरुकता का अभाव जैसे कारण गिनाए.

ईरानी ने कहा कि सरकार ने बाल विवाह निषेध कानून, 2006 लागू किया है. इसके अलावा केंद्र सरकार इस प्रथा के बुरे प्रभावों को उजागर करने के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान, मीडिया अभियान और संपर्क (आउटरीच) कार्यक्रमों का आयोजन करती रहती है.

उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना चला रहा है जिसमें लैंगिक समानता और बाल विवाह के हानिकारक प्रभावों से संबंधित मामलों पर महिलाओं के जागरूकता पैदा करने पर जोर दिया जा रहा है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, स्मृति ईरानी ने राकांपा सांसद फौजिया खान की इस टिप्पणी पर सवाल उठाया कि गांवों में लड़कियों की शादी 18 या 21 साल से कम उम्र में क्यों होती है.

ईरानी ने कहा, ‘यह कहना कि देश में महिलाएं शादी करती हैं क्योंकि वे खाली हैं, मुझे लगता है कि यह विसंगति है जिसे ठीक करने की जरूरत है. और खासकर युवा लड़कियां जो शादी इसलिए चुनती हैं क्योंकि उनके पास करने के लिए कुछ नहीं है. मुझे उम्मीद है कि सदस्य उस बयान को वापस ले लेंगे.’

राकांपा सांसद फौजिया खान ने कहा कि जब एक गांव में माता-पिता के साथ बाल विवाह के मुद्दे पर चर्चा की जाती है, तो वे कहते हैं कि सुरक्षा की कमी की वजह से वे अपनी लड़कियों को 18 या 21 साल की उम्र तक अविवाहित नहीं रखना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि यहां तक कि युवा लड़कियां भी शादी करना चाहती हैं.

खान ने पूछा कि यह कैसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि लड़कियों को कुछ उत्पादक कार्यों में व्यस्त रखा जाए – कौशल विकास, शिक्षा और कुछ- जो उनके दिमाग में तब तक रहे, जब तक कि वे विवाह योग्य उम्र तक नहीं पहुंच जातीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)