श्रीलंकाई पुलिस ने कर्फ्यू का उल्लंघन करने पर देश के पश्चिमी प्रांत में 664 लोगों को गिरफ़्तार किया है. वहीं, सरकार ने सोशल मीडिया तक जनता की पहुंच को समाप्त करने के लिए इंटरनेट सेवा पर रोक लगाने का आदेश दिया है और लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर भी रोक लगा दी है. दूसरी ओर, विपक्षी सांसदों ने भी आपातकाल लगाने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया और विरोध मार्च निकाला.
कोलंबो: श्रीलंका में 36 घंटों के राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू का उल्लंघन करने और बदहाल आर्थिक संकट के मद्देनजर सरकार-विरोधी रैली आयोजित करने के प्रयास के लिए रविवार को देश के पश्चिमी प्रांत में 600 से अधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया.
सरकार द्वारा लगाए सप्ताहांत कर्फ्यू का उल्लंघन करने के लिए विपक्षी सांसदों ने अपने नेता सजित प्रेमदासा के नेतृत्व में यहां ऐतिहासिक चौराहे की ओर विरोध मार्च शुरू किया था. सरकार ने प्रदर्शन के पूर्व नियोजित कार्यक्रम के मद्देनजर सप्ताहांत कर्फ्यू की घोषणा की थी.
प्रेमदासा ने कहा, ‘हम प्रदर्शन करने से संबंधित जनता के अधिकारों के हनन के लिए सरकार द्वारा सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश लागू करने का विरोध कर रहे हैं.’
मुख्य विपक्षी दल समागी जन बलवेगया (एसजेबी) के सांसद देश में अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट के बीच आपातकाल और अन्य पाबंदियां लगाने के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के कदम का विरोध कर रहे हैं.
विपक्षी सांसदों ने कोलंबो के इंडीपेंडेंस स्क्वायर की ओर मार्च करते हुए नारे लगाए और तख्तियां दिखाईँ, जिन पर लिखा था- ‘दमन बंद करो’’ और ‘गोटा घर जाओ’.
विपक्षी सांसद हर्षा डी सिल्वा ने कहा, ‘हम श्रीलंका में लोकतंत्र की रक्षा करेंगे.’
पुलिस अधिकारियों ने स्क्वायर तक जाने वाले रास्तों पर अवरोधक लगा दिए. यह स्क्वायर 1948 में श्रीलंका की आजादी की याद में बनाया गया था.
‘कोलंबो पेज’ अखबार की खबर के अनुसार, श्रीलंकाई पुलिस ने कर्फ्यू का उल्लंघन करने पर देश के पश्चिमी प्रांत में 664 लोगों को गिरफ्तार किया. ये गिरफ्तारियां शनिवार रात 10 बजे से रविवार सुबह छह बजे के बीच चले अभियान के दौरान की गई.
उन्होंने बताया कि कर्फ्यू का उल्लंघन कर रहे लोगों को पकड़ने के लिए देशभर में और अभियान चलाए जा रहे हैं.
गौरतलब है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी. सरकार ने शनिवार शाम छह बजे से सोमवार (चार अप्रैल) सुबह छह बजे तक 36 घंटे का कर्फ्यू भी लगा दिया है.
इस कदम का उद्देश्य घंटों तक बिजली कटौती के बीच भोजन, आवश्यक वस्तुओं, ईंधन और दवाओं की कमी से जूझ रहे लोगों को राहत पहुंचाने में सरकार की नाकामी के विरोध में कोलंबो में लोगों को एकत्रित होने से रोकना है.
राजपक्षे ने अपनी सरकार के कदमों का बचाव करते हुए कहा है कि विदेशी मुद्रा का संकट उनके द्वारा नहीं पैदा किया गया है और आर्थिक मंदी काफी हद तक महामारी के कारण आई है.
वहीं, सरकार ने रविवार को सोशल मीडिया तक जनता की पहुंच को समाप्त करने के लिए इंटरनेट सेवा पर रोक लगाने का आदेश दिया तथा लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर रोक लगा दी.
जिसके चलते श्रीलंका की अधिकांश आबादी का रविवार को व्हाट्सऐप, ट्वीटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों से संपर्क टूट गया. सरकार ने अपने खिलाफ प्रदर्शनों को आयोजित करने में इनका इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाते हुए इन पर पाबंदी लगाने का निर्णय लिया है.
सायबर सुरक्षा और इंटरनेट शासन पर नजर रखने वाले निगरानी संगठन ‘नेटब्लॉक्स’ ने श्रीलंका में मध्यरात्रि के बाद रविवार को फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, वाइबर और यूट्यूब समेत कई सोशल मीडिया मंचों पर पाबंदी लगा दिए जाने की पुष्टि की.
खबर में कहा गया है कि श्रीलंका के प्रमुख नेटवर्क ऑपरेटर डायलॉग, श्रीलंका टेलीकॉम, मोबीटेल, हच इस पाबंदी के दायरे में हैं. जिन सोशल मीडिया और मैसेजिंग मंचों पर पूरी तरह या आंशिक रूप से इसका असर पड़ा है, उनमें फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टिकटॉक, स्नैपचैट, व्हाट्सऐप, वाइबर, टेलीग्राम और फेसबुक मैसेंजर शामिल हैं.
बहरहाल, राजपक्षे के भतीजे एवं खेल मंत्री नमल राजपक्षे ने संवाददाताओं से कहा कि इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध अनुपयोगी है, क्योंकि बहुत सारे लोग सोशल मीडिया साइट से जुड़ने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल करेंगे.
इस बीच, श्रीलंका के एक व्यक्ति ने शनिवार को आरोप लगाया कि सोशल मीडिया पर सक्रिय उसके बेटे का पुलिस ने अपहरण कर लिया है.
अनिरुद्ध बंडारा के पिता ने कहा कि मोडेरा के उत्तरी कोलंबो पुलिस थाने से कोई व्यक्ति शुक्रवार रात को उनके बेटे को ले गया. पुलिस ने बताया कि उसकी सोशल मीडिया गतिविधियों को लेकर उससे पूछताछ करने की आवश्यकता थी. रविवार को उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया.
उल्लेखनीय है कि श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. पिछले कई सप्ताह से देश की जनता को ईंधन और रसोई गैस के लिए लंबी कतारों में खड़े होने के साथ-साथ आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)