केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजे पत्र में ब्रू विस्थापित युवा संघ ने पुनर्वास प्रक्रिया को पूरा करने में देरी के लिए त्रिपुरा की बिप्लब देव सरकार के लापरवाही भरे रवैये को ज़िम्मेदार ठहराया है.
अगरतलाः त्रिपुरा के ब्रू आदिवासियों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से उनके पुनर्वास की प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मिजोरम के मामित, कोलासिब और लुंगलेई जिलों में जातीय हिंसा से बचने के लगभग दो दशक बाद 32,000 ब्रू प्रवासियों को अब स्थाई तौर पर त्रिपुरा में बसाया जा रहा है.
यह केंद्र सरकार, त्रिपुरा और मिजोरम की राज्य सरकारों और ब्रू प्रवासियों के बीच जनवरी 2020 को हुए समझौते के बाद से संभव हो पाया.
दासदा ग्रामीण विकास खंड के ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) के जरिये अमित शाह को भेजे गए पत्र में ब्रू विस्थापित युवा संघ (बीडीवाईए) ने पुनर्वास प्रक्रिया को पूरा करने में देरी के लिए त्रिपुरा की बिप्लव देव सरकार के लापरवाही भरे रवैये को जिम्मेदार ठहराया है.
पत्र में कहा गया है, ‘ब्रू विस्थापितों के 23 लंबे समय से लंबित मुद्दों के समाधान के लिए 16 जनवरी 2020 को नई दिल्ली में ऐतिहासिक समझौता हुआ था. समझौते के अनुसार पुनर्वास के लिए भूमि या स्थान की पहचान को समझौते पर हस्ताक्षर के 60 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए और अस्थाई राहत शिविरों को बंद करने का काम 180 दिनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए लेकिन 742 दिन बाद भी पुनर्वास प्रक्रिया का 90 फीसदी काम त्रिपुरा सरकार के लापरवाही भरे रवैये की वजह से लंबित पड़ा हुआ है.’
इस पत्र पर बीडीवाईए के अध्यक्ष हर्बर्ट रियांग ने हस्ताक्षर किए हैं.
ब्रू युवा संगठन का दावा है कि कंचनपुर उपमंडल के तहत पुनर्वास प्रक्रिया सिर्फ एक ही स्थान पर शुरू की गई है लेकिन गचिरामपारा, आनंदबाजार, मनु-चैलेंगटा, नंदीरामपारा और बिक्रमजयपारा आरक्षित वन में अन्य प्रस्तावित पुनर्वास स्थानों पर बमुश्किल ही कोई प्रगति हुई है.
पत्र में शाह से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है कि उन प्रवासी परिवारों को तुरंत पुनर्वास पैकेज जारी किया था, जो राज्य के अलग-अलग हिस्सों में बसे हैं. सरकारी पैकेज के हिस्से के रूप में प्रत्येक पुनर्वासित परिवार को घर बनाने के लिए 0.03 एकड़ जमीन मिलेगी, आवास सहायता के रूप में 1.5 लाख रुपये, जीवनयापन के लिए चार लाख रुपये का लाभ, 5,000 रुपये का मासिक भत्ता और पुनर्वास की तारीख से दो साल का मुफ्त राशन.
1997 में मिजोरम में हुए जातीय संघर्षों में लगभग 37,000 ब्रू प्रवासी भाग खड़े हुए थे और उत्तरी त्रिपुरा जिले के छह रात शिविरों में शरण ली थी. नौ चरणों में हुए प्रत्यावर्तन (repatriation) के दौरान लगभग 5,000 प्रवासी लौट गए थे लेकिन लगभग इतने ही 2009 में दोबारा हुए संघर्षों में विस्थापित हुए और त्रिपुरा आए.
जून 2018 में हुए एक अन्य समझौते के बाद 2020 में हुए समझौते में आंतरिक रूप से विस्थापितों को मिजोरम वापस लाने की मांग की गई लेकिन प्रवासियों ने इसे खारिज कर दिया. इसके बाद ब्रू प्रवासियों ने शिकायत की थी कि पुनर्वास प्रक्रिया के सबंध में उनका उचित रूप से परामर्श नहीं किया गया था.