इंदौर के संभागायुक्त पवन शर्मा के मुताबिक, हिंसा के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई दंगाइयों से की जाएगी. अब तक 84 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और इन आरोपियों के 50 अवैध निर्माणों की पहचान की गई है, जिन्हें गिराना शुरू हो चुका है. हिंसा को लेकर अफ़वाह फैलाने के लिए राज्य सरकार के चार कर्मचारियों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की गई है.
खरगोन: जिला प्रशासन ने रामनवमी के जुलूस पर पथराव करने के आरोपी लोगों के अवैध रूप से बने कम से कम 50 ढांचों को गिराना शुरु कर दिया है जबकि प्रदेश सरकार ने कहा कि हिंसा के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को जो नुकसान हुआ उसकी वसूली दंगाइयों से की जाएगी.
अधिकारियों ने कहा कि रविवार को रामनवमी के जुलूस पर पथराव और आगजनी की घटनाओं के बाद खरगोन शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था. इस मामले में अब तक 80 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और अब यहां स्थिति नियंत्रण में है.
इंदौर के संभागायुक्त पवन शर्मा ने खरगोन में पत्रकारों से कहा, ‘सरकार की दंगों के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति है. अब तक 84 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और इन आरोपियों के 50 अवैध निर्माणों की पहचान की गई है. इन अवैध निर्माणों को गिराना शुरु हो चुका है.’
जिन अवैध ढांचों को तोड़ा जा रहा है उनमें मकान और दुकानें शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि शहर में सांप्रदायिक हिंसा को लेकर अफवाह फैलाने के लिए राज्य सरकार के चार कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है. चार में से तीन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी थे, जिनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं जबकि चौथे कर्मचारी को निलंबित किया गया है.
शर्मा ने कहा कि हिंसा के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई दंगाइयों से की जाएगी.
शर्मा के साथ खरगोन आए पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) राकेश गुप्ता ने कहा कि शहर में कानून-व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में है और असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई जारी है.
इससे पहले दिन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई दंगाइयों से की जाएगी क्योंकि उन्होंने उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संकल्प लिया था.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘दंगाइयों की पहचान कर ली गई है और उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. मध्य प्रदेश में दंगाइयों के लिए कोई जगह नहीं है.’
चौहान ने एक बयान में कहा, ‘हमने सार्वजनिक और निजी संपत्ति वसूली अधिनियम पारित किया है. हम अधिनियम के तहत एक दावा न्यायाधिकरण का गठन कर रहे हैं और नुकसान का आकलन करने के बाद इसकी वसूली भी दंगाइयों से की जाएगी.’
खरगोन में हुई हिंसा पर प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, ‘जिन घरों से पथराव किया गया, उन्हें मलबे में बदल दिया जाएगा. राज्य सरकार का रुख स्पष्ट है और किसी को भी यहां शांति भंग करने की इजाजत नहीं दी जाएगी.’
The district administration on Monday demolished at least 20 ‘illegal’ buildings and shops in three different localities of Khargone in Madhya Pradesh in the wake of clashes during a Ram Navami procession. pic.twitter.com/6NvCLLgpcq
— The Indian Express (@IndianExpress) April 11, 2022
मंत्री ने दावा किया कि पांच राज्यों में हाल में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों से आहत कुछ लोग अब हिंसा भड़का रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘वे राज्य और देश में शांति भंग करना चाहते हैं. इन (विधानसभा चुनाव) परिणामों से भी ऐसे लोगों को समझ नहीं आया कि देश क्या चाहता है.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन ने सोमवार को शहर के पांच इलाकों में 16 मकान और 29 दुकानों को ध्वस्त करने की कार्रवाई की.
बता दें कि रविवार की हिंसा में करीब दस मकानों में आग लगा दी गई और खरगोन पुलिस अधीक्षक समेत दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे.
निर्माणों को ढहाने की कार्रवाई सोमवार को छोटे मोहन टॉकीज इलाके से शुरू हुई, जहां चार अवैध निर्माण ढहाए गए. उसके बाद औरंगपुरा, खसखसबाड़ी, गणेश मंदिर और तालाब चौक इलाकों में अभियान चलाया गया.
तालाब चौक वही इलाका था जहां से रविवार को रामनवमी का जुलूस निकला था, यहां से 500 मीटर की दूरी तय करने पर हिंसा की शुरुआत हुई थी.
सोमवार को ध्वस्त किए गए 45 निर्माणों में सबसे अधिक खसखसबाड़ी में थे, जहां 12 मकानों और 10 दुकानों पर सरकारी बुलडोजर चला. खसखसबाड़ी के पीछे स्थित भावसर मोहल्ला उन इलाकों में से था जहां रविवार को भारी पथराव हुआ था.
अखबार से बात करते हुए सब डिविजनल मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘जो भी दुकानें और घर अब तक ध्वस्त किए गए हैं, वह अतिक्रमण की गई जमीन पर अवैध तौर पर बनाए गए ढांचे थे, इन इलाकों से पथराव की खबरें भी थीं, जिसके बाद कार्रवाई की गई. ‘
जिला कलेक्टर अनुग्रहा पी. ने कहा कि गिराई गई इमारतें अवैध तरीके से बनाई गईं थीं और अभियान के दौरान किसी विशेष समुदाय को निशाने पर नहीं लिया गया.
उन्होंने बताया, ‘तालाब चौक इलाके में ढहाईं गईं 12 दुकानों में से 8 मुसलमान चलाते थे और चार हिंदू. सभी 12 दुकानें खरगोन जामा मस्जिद कॉम्पलेक्स का हिस्सा थीं और मस्जिद समिति उनकी मालिक थी.’
तालाब चौक पर अपनी टूटी हुई कबाड़ की दुकान के बाहर खड़े 50 वर्षीय रफीक मोहम्मद ने कहा, ‘मैं दंगाइयों का समर्थन नहीं करता और चाहता हूं कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए लेकिन आज मेरी दुकान क्यों गिराई गई? अब मैं 17 लोगों के अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करूंगा? क्या मुख्यमंत्री बताएंगे?’
इलाके में नरेंद्र सुरेशचंद गुप्ता की भी किराने की दुकान तोड़ी गई. उन्होंने कहा, ‘मैंने दुकान मस्जिद समिति से किराए पर ली थी और हमें कोई नोटिस नहीं दिया गया. अगर समिति को नोटिस मिला होता तो उन्होंने हमें बताया होता. हमें कार्रवाई का पता घंटे भर पहले चला, क्योंकि मैं पास में ही रहता हूं इसलिए भागकर आया और दूसरों की मदद से जो भी सामान दुकान से बाहर निकाल सकता था, निकाला.’
डीआईजी तिलक सिंह ने बताया कि रविवार की हिंसा के संबंध में 11 एफआईआर दर्ज हुई हैं और 84 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
वहीं, घायल हुए एसपी सिद्धार्थ चौधरी का अस्पताल में इलाज जारी है.
रविवार रात शहर का दौरा करने वाले खरगोन के कांग्रेस विधायक रवि जोशी ने हिंसा के लिए पुलिस की घोर लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है.
इस बीच, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने खरगोन की इस सांप्रदायिक हिंसा के लिए भाजपा नेता कपिल मिश्रा पर निशाना साधा है और आरोप लगाया कि कपिल मिश्रा जहां गये, वहीं दंगा-फसाद हुआ.
सिंह ने ट्वीट कर आरोप लगाया, ‘जहां-जहां पांव पड़े कपिल मिश्रा के, वहीं-वहीं दंगा और फसाद. क्या इसकी जांच होगी?’
बता दें कि कपिल मिश्रा ने रविवार को जुलूस का एक वीडियो साझा करते हुए अपने ट्वीट में कहा था, ‘आज शाम खरगोन के भीकनगांव में हिंदू शेरों के साथ.’ भीकनगांव, मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में ही आता है.
गौरतलब है कि मिश्रा ने कथित तौर पर फरवरी 2020 में दिल्ली में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अभद्र भाषा इस्तेमाल की थी, जिसके बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे हुए थे. इन दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हुई थी जबकि 700 से अधिक लोग घायल हुए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)