निवेशकों के लिए मूल्यहीन हुआ एनएसओ ग्रुप, जुलाई 2021 के बाद से नई पेगासस बुकिंग नहींः रिपोर्ट

फंड का प्रबंधन करने के लिए कंसल्टेंसी कंपनी द्वारा अदालत में दी गई जानकारी के मुताबिक़, 2019 में एनएसओ समूह को एक निजी इक्विटी कंपनी नोवलपिना कैपिटल ने एक अरब डॉलर में खरीदा था लेकिन यह स्पष्ट है कि एनएसओ की इक्विटी का अब कोई मूल्य नहीं है.

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(फोटो साभार: फेसबुक)

फंड का प्रबंधन करने के लिए कंसल्टेंसी कंपनी द्वारा अदालत में दी गई जानकारी के मुताबिक़, 2019 में एनएसओ समूह को एक निजी इक्विटी कंपनी नोवलपिना कैपिटल ने एक अरब डॉलर में खरीदा था लेकिन यह स्पष्ट है कि एनएसओ की इक्विटी का अब कोई मूल्य नहीं है.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्लीः विवादित पेगासस स्पायवेयर की निर्माता कंपनी एनएसओ समूह के प्राइवेट इक्विटी को मूल्यहीन मान लिया गया है और कंपनी को जुलाई 2021 के बाद से नए ग्राहकों की बुकिंग नहीं मिली है.

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, फंड का प्रबंधन करने के लिए कंसल्टेंसी कंपनी द्वारा अदालत में दी गई जानकारी के मुताबिक, एनएसओ समूह को एक निजी इक्विटी कंपनी नोवलपिना कैपिटल ने एक अरब डॉलर में 2019 में खरीदा था लेकिन यह स्पष्ट है कि एनएसओ की इक्विटी का अब कोई मूल्य नहीं है.

कंसल्टेंसी कंपनी बर्कले रिसर्च ग्रुप (बीआरजी) ने निजी इक्विटी फंड का नियंत्रण वापस लेने के लिए नोवलपिना कैपिटल के दो संस्थापकों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है.

नोवलपिना के तीन सह संस्थापकों को पिछले साल निवेशकों ने फंड को नियंत्रित करने के लिए पिछले साल निवेशकों ने हटा दिया था. इसकी जगह बीआरजी को लाया गया था.

रिपोर्ट के मुताबिक, फंड का प्रतिनिधित्व कर रही कानूनी फर्म प्रोसकाउर का भी मानना है कि एनएसओ की इक्विटी का कोई मोल नहीं है.

रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत को दी गई जानकारी में यह भी स्वीकार किया गया है कि जुलाई 2021 के बाद से पेगासस हैकिंग टूल का इस्तेमाल करने के लिए किसी नए ग्राहक की बुकिंग नहीं हुई.

यह वही समय था, जब द वायर  सहित मीडिया संगठनों के एक कंसोर्टियम ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि पेगासस का इस्तेमाल दुनियाभर की सरकारों ने पत्रकारों, नेताओं और नागरिक समाज के सदस्यों को निशाना बनाने के लिए किया था.

हालांकि, एनएसओ ने दावा किया था कि पेगासस का इस्तेमाल सिर्फ आतंकी समूहों और आपराधिक गिरोह के खिलाफ किया जाता है.

इस खुलासे के बाद अमेरिकी सरकार ने एनएसओ समूह को ब्लैकलिस्ट कर दिया था. एप्पल ने भी कंपनी के यूजर्स के सर्विलांस और उन्हें निशाना बनाने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए एनएसओ के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. वॉट्सऐप भी इससे पहले इजरायली कंपनी एनएसओ समूह पर मुकदमा दायर कर चुका था.

बीआरजी की परिसंपत्ति प्रबंधन इकाई के प्रमुख फिनबैर ओ’कॉनर ने अदालत को जानकारी दी, जिसमें कहा गया कि 2021 के अंत तक एनएसओ को नकदी के संकट का सामना करना पड़ा और वह अपने कर्जों का भुगतान नहीं कर सका.

हालांकि, एनएसओ के प्रवक्ता ने अदालत में इन दावों को नकारते हुए कहा कि एनएसओ के उत्पादों की दुनियाभर में अभी भी मांग बनी हुई है, जो लोगों की सुरक्षा के लिए हमारी तकनीक पर भरोसा करते हैं.

प्रवक्ता ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह कानूनी मामला, जिसका एनएसओ से कोई संबंध नहीं है, इसका इस्तेमाल कंपनी के बारे में गलत दावे करने में किया जा रहा है.’

इस साल जनवरी में न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इजरायल ने डिप्लोमैटिक टूल के रूप में पेगासस का इस्तेमाल किया और एनएसओ के साइबर हथियारों को मंजूरी देने या उसे नकारने की सरकार की क्षमता उसकी कूटनीति में उलझ गई.

रिपोर्ट से यह भी पता चला कि भारत सरकार ने इजरायल के साथ दो अरब डॉलर के रक्षा सौदों के तहत पेगासस को खरीदा था. सरकार ने अभी तक पेगासस को खरीदने से इनकार नहीं किया है और कहा है कि किसी तरह की अवैध निगरानी नहीं की गई.

मालूम हो कि पेगासस से जिन लोगों को निशाना बनाया गया, उनमें राजनीतिक रणनीतिक प्रशांत किशोर, द वायर  के सह संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन और एमके वेणु भी शामिल हैं. इसके अलावा राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव भी संभावित निशाने पर थे.

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