यूपी: बोर्ड परीक्षा पेपर लीक मामले में तीन पत्रकारों की गिरफ़्तारी के विरोध में बलिया रहा बंद

बंद का आह्वान संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा ने किया था. इसे व्यापारी, वकील और अन्य संगठनों का भी समर्थन मिला. बता दें कि यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा का अंग्रेजी का पेपर 30 मार्च को लीक हो गया था. इस आरोप में पुलिस ने बलिया के तीन पत्रकारों को गिरफ़्तार किया है. स्थानीय पत्रकार संघों का आरोप है कि पत्रकारों को पेपर लीक होने की ख़बर करने के चलते फंसाया गया.

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पत्रकार अजित ओझा (बाएं) और दिग्विजय सिंह.

बंद का आह्वान संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा ने किया था. इसे व्यापारी, वकील और अन्य संगठनों का भी समर्थन मिला. बता दें कि यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा का अंग्रेजी का पेपर 30 मार्च को लीक हो गया था. इस आरोप में पुलिस ने बलिया के तीन पत्रकारों को गिरफ़्तार किया है. स्थानीय पत्रकार संघों का आरोप है कि पत्रकारों को पेपर लीक होने की ख़बर करने के चलते फंसाया गया.

पत्रकार अजित ओझा (बाएं) और दिग्विजय सिंह.

वाराणसी: यूपी बोर्ड की बाहरवीं कक्षा का अंग्रेजी का पेपर लीक होने के मामले में गिरफ्तार तीन पत्रकारों की गिरफ्तारी के विरोध और रिहाई की मांग के समर्थन में शनिवार को संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा ने बलिया बंद का आह्वान किया था.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, बंद के इस आह्वान को बलिया जिले में सकारात्मक नतीजे मिले क्योंकि शहर में ज्यादातर बाजार बंद रहे.

सुबह से ही शहर के प्रमुख बाजारों में ताले लटके नजर आए.

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई बहस के अलावा बलिया बंद आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ. मोर्चे को व्यापारी, वकील, शिक्षक और छात्रों का समर्थन मिला.

दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक, व्यापार मंडल के पदाधिकारी स्वयं बंदी में सहयोग की अपील कर रहे थे. शहर में शहीद पार्क चौक, अस्पताल रोड, स्टेशन रोड आदि की दुकानें बंद रहीं. दिन के दो बजे के बाद आवश्यक सेवा वाली दुकानें खुलीं, लेकिन शहर की सड़कों पर काफी कम संख्या में लोग दिखे.

दोपहर 12 बजे तक व्यापारी, वकील और अन्य संघों के सदस्य सड़कों पर आने शुरू हो गए और जिन दुकानदारों ने अपनी दुकानें आंशिक रूप से खोल रखीं थीं, उनसे उन्हें बंद करने की अपील करके आंदोलन को समर्थन करने के लिए कहा.

जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो कुछ जगहों पर वाद-विवाद या बहस की स्थिति उत्पन्न हुई.

पूर्वांचल उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष मंजय सिंह और अखिल भारतीय व्यापार मंडल संघ के संयुक्त सचिव रजनीकांत ने कहा कि उनके संगठनों ने एकमत होकर तय किया था कि वे संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा के बंद का समर्थन करेंगे क्योंकि बलिया के लोग यह देखकर आश्चर्यचकित हैं कि जिला प्रशासन के अधिकारियों और पुलिस ने उन पत्रकारों को जेल में डाल दिया जिन्होंने यूपी बोर्ड परीक्षा पेपर लीक कांड का खुलासा किया था.

उन्होंने कहा कि ज्यादातर दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखी थीं, जिन चुनिंदा लोगों ने दुकानें खोलीं उन्होंने भी हमारे द्वारा आंदोलन को समर्थन देने की अपील करने पर अपनी-अपनी दुकानों के शटर गिरा दिए.

बता दें कि यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा का अंग्रेजी का पेपर 30 मार्च को लीक हो गया था. इस आरोप में पुलिस ने बलिया के तीन पत्रकारों को गिरफ़्तार किया है. स्थानीय पत्रकार संघों का आरोप है कि पत्रकारों को पेपर लीक होने की ख़बर करने के चलते फंसाया गया, जबकि पुलिस का कहना है कि पेपर लीक में उनकी भूमिका के आधार पर उन्हें गिरफ़्तार किया गया था.

अजीत ओझा, दिग्विजय सिंह और मनोज कुमार गुप्ता नामक तीनों पत्रकारों को मंगलवार को अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया था.

ओझा और सिंह ‘अमर उजाला’ अखबार के लिए काम करते हैं, जबकि गुप्ता ‘राष्ट्रीय सहारा’ से जुड़े हुए हैं. उनके खिलाफ आईपीसी की नकल व धोखाधड़ी संबंधी धाराओं और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

30 मार्च को सामने आए पेपर लीक मामले में अब तक आधा सैकड़ा से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पुलिस के मुताबिक, तीन पत्रकारों के अलावा, बलिया जिला स्कूल निरीक्षक (डीआईओएस) बृजेश मिश्रा और कई सरकारी व निजी स्कूल के शिक्षकों को भी मामले में गिरफ्तार किया गया है.

बता दें कि पत्रकारों की गिरफ्तारी के विरोध में पत्रकारों के सभी संगठनों ने संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा का गठन किया था और 30 मार्च को जिला मुख्यालय में अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया. उनकी मांग है कि जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को निलंबित किया जाए और पत्रकारों के खिलाफ केस वापस लिए जाएं, साथ ही मामले की उचित जांच हो जिसमें यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्रों की जांच बड़ा घोटाला खोलेगी. 11 अप्रैल से वे भूख हड़ताल पर बैठ गए.