कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा आज़म ख़ान के जौहर विश्वविद्यालय की ज़मीन के अधिग्रहण पर रोक लगाई

साल 2005 में समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान द्वारा संचालित एक ट्रस्ट को संस्थान के लिए दी गई जमीन के संबंध में कुछ शर्तों के उल्लंघन के कारण उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्रवाई शुरू की थी. जनवरी 2021 में विश्वविद्यालय को दी गई 12.5 एकड़ से अधिक की ज़मीन वापस लेने का आदेश पारित किया था.

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(फोटो: पीटीआई)

साल 2005 में समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान द्वारा संचालित एक ट्रस्ट को संस्थान के लिए दी गई जमीन के संबंध में कुछ शर्तों के उल्लंघन के कारण उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्रवाई शुरू की थी. जनवरी 2021 में विश्वविद्यालय को दी गई 12.5 एकड़ से अधिक की ज़मीन वापस लेने का आदेश पारित किया था.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने जमीन के संबंध में कुछ शर्तों का पालन नहीं करने पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रामपुर में मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को दी गई भूमि के अधिग्रहण के लिए शुरू की गई प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.

वर्ष 2005 में समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खान द्वारा संचालित एक ट्रस्ट को संस्थान के लिए दी गई जमीन के संबंध में कुछ शर्तों के उल्लंघन के कारण राज्य सरकार ने कार्रवाई शुरू की थी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एडीएम की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए अनुमंडल दंडाधिकारी ने जनवरी 2021 में 12.5 एकड़ से अधिक की जमीन वापस लेने का आदेश पारित किया था. ट्रस्ट ने इसे हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी, हालांकि उसने एसडीएम के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.

हाईकोर्ट ने पिछले साल सितंबर में मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें मार्च 2020 में सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) द्वारा भूमि पर निर्माण के साथ-साथ अपर जिला मजिस्ट्रेट (प्रशासन) रामपुर द्वारा भूमि को राज्य को सौंपने के लिए 16 जनवरी 2021 के आदेश पर प्रस्तुत एक रिपोर्ट को रद्द करने का अनुरोध किया गया था.

एसडीएम की रिपोर्ट का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए दी गई जमीन पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया और इस प्रकार राज्य सरकार द्वारा दी गई मंजूरी का उल्लंघन हुआ.

हाईकोर्ट ने कहा था कि विश्वविद्यालय की जमीन को उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपने यानी ट्रस्ट को दी गई जमीन के अधिग्रहण के लिए उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 104/105 के तहत कार्यवाही शुरू करने के लिए एडीएम द्वारा पारित आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है.

वर्ष 2005 में समाजवादी पार्टी की तत्कालीन सरकार ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय अधिनियम लागू किया, जिससे विश्वविद्यालय के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ था.

इसके बाद राज्य सरकार ने कुछ शर्तों को लागू करते हुए ट्रस्ट को विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 12.5 एकड़ (5.0586 हेक्टेयर) की सीमा के विरूद्ध 400 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने की अनुमति दी, जिसमें से एक शर्त यह भी थी कि भूमि का उपयोग केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए किया जाएगा.

कानून के अनुसार, यदि ऐसी शर्त का उल्लंघन किया जाता है तो राज्य सरकार द्वारा दी गई मंजूरी वापस ले ली जाएगी.

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2019 में रामपुर से सांसद आज़म खान की जौहर यूनिवर्सिटी के लिए पट्टे पर दी गई 150 बीघा जमीन का आवंटन रद्द कर दिया था.

यह जमीन 2013 में 30 साल के लिए मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के जॉइंट सेक्रेटरी नसीर अहमद खान के नाम से लीज पर ली गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)