मल्टी लेवल मार्केटिंग को बढ़ावा देने वाली एमवे इंडिया की 757 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत कुर्क किया गया है. केंद्रीय एजेंसी का कहना है कि कंपनी ‘डायरेक्ट-सेलिंग एमएलएम नेटवर्क’ की आड़ में घोटाला कर रही है.
नई दिल्ली: बहुस्तरीय विपणन (एमएलएम) योजना को बढ़ावा देने वाली कंपनी एमवे इंडिया की 757 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत कुर्क किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को यह जानकारी दी.
संघीय जांच एजेंसी ने सोमवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी. एजेंसी ने आरोप लगाया कि कंपनी ‘डायरेक्ट-सेलिंग एमएलएम नेटवर्क’ की आड़ में ‘घोटाला’ कर रही है.
एनडीटीवी के अनुसार, एजेंसी ने कहा, ‘ईडी द्वारा की गई मनी लॉन्ड्रिंग जांच से पता चला है कि एमवे डायरेक्ट सेलिंग मल्टी-लेवल मार्केटिंग नेटवर्क की आड़ में एक पिरामिड फ्रॉड चला रहा है.’
ईडी ने आगे कहा, ‘असल तथ्यों को जाने बिना आम भोली-भली जनता कंपनी के सदस्यों के रूप में शामिल होने और अत्यधिक कीमतों पर उत्पाद खरीदने के लिए प्रेरित होती है और इस प्रकार अपनी मेहनत की कमाई गंवा रही है. नए सदस्य उत्पादों को उपयोग करने के लिए नहीं खरीद रहे हैं, बल्कि ऊपरी स्तर के (अपलाइन) सदस्यों द्वारा दिखाए गए अमीर बनने के सपने के चलते ऐसा कर रहे हैं. सच्चाई यह है कि अपलाइन सदस्यों द्वारा प्राप्त कमीशन उत्पादों की कीमतों की बढ़ोतरी का बहुत बड़ा कारण है.’
एजेंसी ने कहा, ‘कंपनी का पूरा फोकस यह प्रचार करने पर है कि सदस्य कैसे सदस्य बनकर अमीर बन सकते हैं. उत्पादों पर कोई ध्यान नहीं है. उत्पादों का इस्तेमाल इस एमएलएम पिरामिड फ्रॉड को डायरेक्ट सेलिंग कंपनी के रूप में दिखाने के लिए किया जाता है.’
उधर, एमवे के प्रवक्ता ने कहा कि वे लंबित मुद्दों के निष्पक्ष कानूनी और तार्किक निष्कर्ष की दिशा में अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहे हैं.
ईडी ने एमवे इंडिया एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड की 757.77 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति कुर्क करने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग निवारण कानून के तहत एक अस्थायी आदेश जारी किया.
एजेंसी द्वारा कुर्क संपत्तियों में तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में भूमि और कारखाना भवन, संयंत्र और मशीनरी, वाहन, बैंक खाते और सावधि जमा शामिल हैं.
कुर्क कुल 757.77 करोड़ रुपये की संपत्ति में से, अचल और चल संपत्ति 411.83 करोड़ रुपये की है, जबकि शेष एमवे से संबंधित 36 बैंक खातों में जमा 345.94 करोड़ रुपये की राशि है.
एमवे कंपनी ने कहा कि ईडी की कार्रवाई 2011 की एक जांच से संबंधित है और तब से, कंपनी एजेंसी के साथ सहयोग कर रही है तथा समय-समय पर उसके द्वारा मांगी गई सभी जानकारी साझा की गयी है.
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘उच्चतम स्तर की ईमानदारी, कॉर्पोरेट प्रशासन और उपभोक्ता संरक्षण को बनाए रखने का एमवे का एक समृद्ध इतिहास है और यह उपभोक्ताओं के हित में समय से बहुत आगे है.’
वहीं, जांच से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि कंपनी देश में वर्षों से काम कर रही है और कई लोग इसकी ‘एमएलएम’ योजना से जुड़े थे.
एजेंसी ने कहा कि कंपनी ने 2002-03 से 2021-22 के दौरान अपने कारोबार से कुल 27,562 करोड़ रुपये की राशि एकत्र की तथा इसमें से भारत और अमेरिका में अपने वितरकों और सदस्यों को 7,588 करोड़ रुपये का ‘भुगतान’ किया. संघीय एजेंसी ने कंपनी पर बहु-स्तरीय विपणन ‘घोटाला’ का आरोप लगाया.
ज्ञात हो कि सरकार ने दिसंबर 2021 में डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों पर पिरामिड स्कीमों को बढ़ावा देने पर रोक लगा दी थी. उपभोक्ता संरक्षण (डायरेक्ट सेलिंग) नियम, 2021 का उद्देश्य उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना और टपरवेयर, एमवे और ऑरिफ्लेम जैसी डायरेक्ट सेलिंग में शामिल कंपनियों को पैसा बढ़ाने वाली योजनाओं को प्रोत्साहित करने से रोकना था.
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि हाल ही में उपभोक्ता संरक्षण कानून (डायरेक्ट सेलिंग) नियम, 2021 के तहत ‘डायरेक्ट सेलिंग’ को शामिल करने से उद्योग के लिए बहुत जरूरी कानूनी और नियामक स्पष्टता आई है, जबकि एमवे इंडिया भारत में सभी कानून और नियमों के पूरी तरह से पालन की पुष्टि करता है.
प्रवक्ता ने कहा, ‘चूंकि मामला अदालत में विचाराधीन है, हम आगे कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)