सरकार ने जहांगीरपुरी हिंसा और रूस-यूक्रेन युद्ध के टीवी कवरेज के संदर्भ में निर्देश जारी किए

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी परामर्श में कहा गया है कि ऐसा कोई कार्यक्रम प्रसारित नहीं होना चाहिए जो शालीनता के ख़िलाफ़ हो, मैत्रीपूर्ण देशों की आलोचना करता हो, धर्मों या समुदायों पर हमला करता हो या जिसमें धार्मिक समूहों का तिरस्कार करने वाले दृश्य या शब्द हों. हालांकि जारी परामर्श में ऐसे विभिन्न उदाहरणों को सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन किसी निजी समाचार चैनल का नाम नहीं लिया गया है.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी परामर्श में कहा गया है कि ऐसा कोई कार्यक्रम प्रसारित नहीं होना चाहिए जो शालीनता के ख़िलाफ़ हो, मैत्रीपूर्ण देशों की आलोचना करता हो, धर्मों या समुदायों पर हमला करता हो या जिसमें धार्मिक समूहों का तिरस्कार करने वाले दृश्य या शब्द हों. हालांकि जारी परामर्श में ऐसे विभिन्न उदाहरणों को सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन किसी निजी समाचार चैनल का नाम नहीं लिया गया है.

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर. (फोटो साभार: फेसबुक/@official.anuragthakur)

नई दिल्ली: सरकार ने निजी टीवी समाचार चैनलों को झूठे दावे और निंदनीय सुर्खियों के इस्तेमाल से बचने की शनिवार को सलाह देते हुए कहा कि यूक्रेन-रूस युद्ध और दिल्ली दंगों की कवरेज पर कुछ परिचर्चा कार्यक्रमों में उत्तेजक और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा का इस्तेमाल किया गया था.

सरकार ने यूक्रेन-रूस संघर्ष की रिपोर्टिंग करने के दौरान समाचार प्रस्तोताओं (न्यूज एंकर्स) के अतिशयोक्तिपूर्ण बयानों और सनसनीखेज सुर्खियां/टैगलाइन प्रसारित करने तथा अपुष्ट सीसीटीवी फुटेज प्रसारित कर उत्तर-पश्चिम दिल्ली में हुई घटनाओं की जांच प्रक्रिया बाधित करने की कुछ घटनाओं का हवाला दिया है.

सरकार ने यह भी कहा कि उत्तर-पश्चिम दिल्ली में हुई घटनाओं पर टेलीविजन चैनलों पर कुछ परिचर्चा असंसदीय, उकसावे वाली और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा में थीं.

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के अवसर पर एक शोभायात्रा निकाले जाने के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी परामर्श में कहा गया है, ‘उपरोक्त के संबंध में सरकार टेलीविजन चैनलों के अपनी सामग्री का प्रसारण करने के तरीकों पर गंभीर चिंता प्रकट करती है.’

परामर्श में कहा गया है कि टेलीविजन चैनलों को केबल टेलीविजन नेटवर्क्स (नियमन) कानून-1995 की धाराओं और इसके तहत आने वाले नियमों का उल्लंघन करने वाली किसी भी सामग्री के प्रसारण को तत्काल रोकने की सख्त हिदायत दी जाती है.

कार्यक्रम संहिता की धारा छह के तहत कहा गया है, ‘केबल सेवा में ऐसा कोई कार्यक्रम प्रसारित नहीं होना चाहिए जो शालीनता के खिलाफ हो, मैत्रीपूर्ण देशों की आलोचना करता हो, धर्मों या समुदायों पर हमला करता हो या जिसमें धार्मिक समूहों का तिरस्कार करने वाले दृश्य या शब्द हों या जो सांप्रदायिक विद्वेष बढ़ाता हो, आपत्तिजनक, अपमानजनक, जानबूझकर, झूठी और आधी सच्चाई वाला हो.’

परामर्श में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष पर रिपोर्टिंग के दौरान यह देखा गया कि चैनल झूठे दावे कर रहे हैं और बार-बार अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों या लोगों का गलत तरीके से उद्धरण दे रहे हैं और सनसनीखेज हेडलाइन या टैगलाइन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनका खबरों से कोई संबंध नहीं है.

इसमें कहा गया है कि इन चैनलों के कई पत्रकारों और समाचार प्रस्तोताओं ने दर्शकों को भड़काने के इरादे से ‘गढ़े हुए और अतिशयोक्तिपूर्ण’ बयान दिए.

परामर्श में ‘परमाणु पुतिन से परेशान जेलेंस्की’, ‘परमाणु एक्शन की चिंता से जेलेंस्की को डिप्रेशन’ जैसे हेडलाइन या टैगलाइन और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का ‘गलत उद्धरण देते हुए अपुष्ट दावे’ करने, जैसे कि तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया है, के इस्तेमाल का भी हवाला दिया.

इसमें कहा गया है, ‘एक चैनल ने गढ़ी हुई तस्वीरें प्रसारित कर दावा किया कि यह यूक्रेन पर होने वाले परमाणु हमले का सबूत है. यह पूरी तरह से अनुमान पर आधारित खबर दर्शकों को भ्रमित करने और उनके भीतर मनोवैज्ञानिक उथल-पुथल पैदा करने वाली प्रतीत होती है.’

दिल्ली दंगों पर मंत्रालय ने एक समाचार चैनल पर तलवार लहराते हुए एक खास समुदाय के शख्स की वीडियो क्लिप बार-बार प्रसारित करने पर आपत्ति जताई तथा एक अन्य समाचार चैनल के दावे पर भी ऐतराज जताया कि धार्मिक जुलूस को निशाना बनाकर की गई हिंसा पूर्व-नियोजित थी.

मंत्रालय ने निजी टीवी चैनलों को ऐसी परिचर्चाओं का प्रसारण करने को लेकर भी आगाह किया है जो असंसदीय, उकसावे वाली होती हैं तथा जिसमें सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा, सांप्रदायिक टिप्पणियां तथा अपमानजनक संदर्भ होते हैं, जिसका दर्शकों पर नकारात्मक मनोवैज्ञानिक असर पड़ सकता है और जो सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ सकते हैं तथा शांति भंग कर सकते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जारी परामर्श में विशिष्ट उदाहरणों को सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन किसी चैनल का नाम नहीं लिया गया है.

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘मित्र देशों के खिलाफ भी गलत और भ्रामक जानकारी दिखाई जा रही थी और जिस तरह से खबर दिखाई जा रही थी, मंत्रालय ने उस पर एक नोटिस जारी किया है और उसने टीवी चैनलों को भविष्य में ऐसी गलतियों को न दोहराने की चेतावनी भी दी है.’

जहांगीरपुरी हिंसा पर मंत्रालय द्वारा जारी परामर्श में कहा गया है कि चैनलों ने ‘इस हिंसा के उकसाने वाले हेडलाइंस और वीडियो इस्तेमाल किए जो सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ा सकते थे और शांति भंग कर सकते थे, निंदात्मक और असत्यापित सीसीटीवी फुटेज इस्तेमाल किए जो चल रही जांच प्रक्रिया को बाधित कर सकते हैं, एक विशेष समुदाय के फुटेज दिखाए जिससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है, मनगढ़ंत सुर्खियां, सनसनीखेज प्रस्तुतिकरण और शासन-प्रशासन की कार्रवाई को सांप्रदायिक रंग दिया गया.

मंत्रालय ने कुछ चैनलों की हैडलाइंस जैसे ‘दिल्ली में अमन के दुश्मन कौन?’ और ‘बड़ी साजिश दंगे वाली, करौली, खरगोन, वाया दिल्ली’ का जिक्र किया.

इसमें कहा गया, ‘हिंसा से एक रात पहले साजिश का वीडियो हैडलाइन वाली फुटेज किसी चैनल के द्वारा चलाई गई और दावा किया गया कि धार्मिक जुलूस में हिंसा फैलाना सुनियोजित था’

मंत्रालय ने ‘वोट बैंक बनाम बहुमत की राजनीति’ नामक न्यूज डिबेट पर भी आपत्ति जताई, जो कि 19 अप्रैल को एक चैनल पर प्रसारित हुई थी.

न्यूज चैनल पर प्रसारित अनेक सनसनीखेज हेडलाइंस और कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए मंत्रालय ने इन कार्यक्रमों में इस्तेमाल होने वाली भाषा पर भी सवाल खड़े किए हैं.

ऐसा ही एक उदाहरण देते हुए कहा है, ‘एक समाचार चैनल पर 20 अप्रैल को हुंकार नामक कार्यक्रम का प्रसारण हुआ. बहस के दौरान कई वक्ताओं ने असंसदीय और अपमानजनक भाषा का एक-दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल किया. यह भी पाया गया कि कार्यक्रम की भाषा और शब्दावली आक्रामक और परेशान करने वाली थी. इससे दर्शकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, खासकर कि बच्चों पर. जिससे दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक तनाव की स्थिति बन सकती है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)