दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के दिन दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. जिसके बाद इलाके में तनाव के माहौल के चलते कर्फ्यू लगा दिया गया था. स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इस तिरंगा यात्रा से इलाके में शांति बहाल करने में मदद मिलेगी.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के जहांगीरपुरी इलाके में 16 अप्रैल को हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद हिंदुओं और मुसलमानों ने शांति और सौहार्द्र का संदेश देते हुए रविवार को सी-ब्लॉक में ‘तिरंगा यात्रा’ निकाली.
इलाके में सुरक्षा के लिए तैनात दिल्ली पुलिस की मदद से यह यात्रा निकाली गई. यात्रा में दोनों समुदायों के करीब 50 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी गई थी.
यात्रा में शामिल लोगों ने तिरंगा लहराते हुए ‘भारत माता की जय’, ‘हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई-भाई’ और ‘वंदे मातरम’ जैसे नारे लगाए.
सी-ब्लॉक के कई निवासी सड़कों के किनारे खड़े रहे, जबकि अन्य ने अपनी खिड़कियों और बालकनी से रैली देखी.
उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली की पुलिस उपायुक्त ऊषा रंगनानी ने कहा, ‘इस रैली ने सौहार्द्र और शांति का संदेश दिया. दोनों समुदायों के सदस्यों ने दिखाया कि तिरंगा सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने संदेश दिया है कि देश सबसे पहले आता है.’
तिरंगा यात्रा कुशल चौक से शुरू होकर पूरे सी-ब्लॉक का चक्कर लगाने के बाद कुशल चौक पर ही समाप्त हुई.
एक स्थानीय निवासी असलम ने कहा, ‘हम बहुत खुश हैं कि ऐसी पहल की गई. यह वास्तव में जहांगीरपुरी की वास्तविक छवि को प्रदर्शित करता है. उम्मीद है कि इससे शांति बहाल करने में मदद मिलेगी.’
हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष इंद्रमणि तिवारी ने उम्मीद जताई कि रैली से दोनों समुदायों के बीच संबंध बहाल करने और स्थानीय लोगों में विश्वास वापस लाने में मदद मिलेगी.
तिवारी ने कहा, ‘उसी जगह से फूलों की पंखुड़ियाँ बरसाई गईं जहां झड़प के दिन पथराव हुआ था. 16 अप्रैल की हिंसा के बाद से लोगों में डर का माहौल है. हमने पुलिस से अनुरोध किया कि हमें तिरंगा यात्रा करने की अनुमति दी जाए ताकि लोगों में एकता का संदेश भेजा जा सके और आतंक के माहौल को खत्म किया जा सके.’
व्यवसायी राकेश मेहरा ने द हिंदू को बताया कि यह यात्रा शांति की दिशा में पहला कदम थी. उन्होंने हिंसा के लिए बाहरी लोगों को जिम्मेदार ठहराया.
उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने यहां ऐसे हालात पैदा किए, वे सभी बाहरी थे. झड़पों में मेरा एक दोस्त भी घायल हुआ था, लेकिन मैं उस दिन जो हुआ उसे भूलना चाहता हूं और शांति का संदेश फैलाना चाहता हूं.’
मोबाइल फोन और एसेसरीज़ बेचने वाले इशरार खान ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘तोड़-फोड़ अभियान के दौरान मेरी दुकान का एक हिस्सा तोड़ा गया था. मुझे दुख हुआ क्योंकि कई लोग हमें बांग्लादेशी कह रहे थे और मेरे पड़ोसियों ने मुझे पत्थरबाज कहा. आज का दिन अलग है, मैंने बाहर कदम रखा और सभी ने मुझे गले लगाया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम शायद रोज बात न करते हों, लेकिन हमने साथ में रैली निकाली. मुझे लगता है कि हम सभी भाई हैं और हमें कुछ सुधार करना चाहिए. मैं यात्रा के बाद रोजा के लिए घर चला गया. मुझे उम्मीद है कि स्थिति बेहतर होगी और हम ईद मनाएंगे.’
रहवासियों ने कहा कि हालात अभी तक सामान्य नहीं हुए हैं, लेकिन हम उम्मीद कर रहे हैं कि अगले कुछ दिन शांति लेकर आएंगे.
चिकन बेचने वाले 60 वर्षीय कादेर खान ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘वर्तमान में हमारी (हिंदू) उनसे बातचीत नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम एक-दूसरे से नफरत करते हैं. हम आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं. चीजें जल्द ही बेहतर हो जाएंगी. मेरे बच्चे और नाती-पोते बहुत दिनों बाद घर से बाहर निकले. हम पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं. इलाके में शांति है.’
रैली के दौरान कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों की भी भारी तैनाती थी. उनके पास आंसू गैस की गन थीं और निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था.
डीसीपी रंगनानी ने कहा कि आने वाले दिनों में सुरक्षा की तैनाती कम होने की उम्मीद है. कुछ तैनाती पहले ही हटा दी गई है. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे स्थिति में और सुधार होगा, इसे और भी कम किया जाएगा.
इस बीच, ब्लॉक-सी की भीतरी गलियों में व्यवसाय के लिए दुकानें खुल गई हैं, जबकि मुख्य गली की दुकानें बंद हैं. सब्जी के ठेले और फेरीवाले भी नजर आने लगे हैं.
डीसीपी ने कहा कि हालात सामान्य हो रहे हैं.
जहांगीरपुरी में बीते 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी, जिसमें आठ पुलिसकर्मी और एक स्थानीय निवासी घायल हो गया था.
हिंसा की घटना के बाद बीते 20 अप्रैल को भाजपा शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) द्वारा इस इलाके अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया था, जिस पर विवाद खड़ा हो गया था.
आरोप है कि अभियान के तहत आरोपियों के कथित अवैध निर्माणों को तोड़ा जा रहा था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं रोकी गई थी. कुछ घंटे बाद जब याचिकाकर्ता के वकील वापस शीर्ष अदालत पहुंचे, तब तोड़-फोड़ की कार्रवाई रुकी थी.
इसके बाद 21 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनडीएमसी के तोड़फोड़ अभियान पर दो हफ्ते की रोक लगा दी थी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह 20 अप्रैल को हुई तोड़फोड़ की कार्रवाई का संज्ञान लेगा, जो निगम को उसके आदेश से अवगत कराए जाने के बाद भी जारी रही थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)