चिरंजीवी ने कहा, जब हिंदी सिनेमा को ही भारतीय सिनेमा बताया गया तो उन्हें अपमानित महसूस हुआ था

साल 1989 का एक वाकया सुनाते हुए तेलुगू अभिनेता चिरंजीवी ने बताया कि उनकी फिल्म ‘रुद्रवीणी’ को नरगिस दत्त सम्मान देने के लिए दिल्ली बुलाया गया था. उन्होंने कहा कि इससे पहले हुए एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय सिनेमा के इतिहास को चित्रित करने वाली एक दीवार पर हिंदी सिनेमा की जानकारी भरी हुई थी, लेकिन दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग के बारे में बहुत ही कम जानकारी दी गई थी.

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अभिनेता चिरंजीवी. (फोटो साभार: फेसबुक)

साल 1989 का एक वाकया सुनाते हुए तेलुगू अभिनेता चिरंजीवी ने बताया कि उनकी फिल्म ‘रुद्रवीणी’ को नरगिस दत्त सम्मान देने के लिए दिल्ली बुलाया गया था. उन्होंने कहा कि इससे पहले हुए एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय सिनेमा के इतिहास को चित्रित करने वाली एक दीवार पर हिंदी सिनेमा की जानकारी भरी हुई थी, लेकिन दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग के बारे में बहुत ही कम जानकारी दी गई थी.

अभिनेता चिरंजीवी. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: दक्षिण भारत के सुप्रसिद्ध अभिनेता चिरंजीवी ने अपने जिंदगी के एक पल का खुलासा किया है, जब उन्होंने ‘अपमानित’ महसूस किया था. ​तेलुगू भाषा अपनी आने वाली फिल्म ‘आचार्य’ की रिलीज से पहले एक कार्यक्रम में चिरंजीवी ने 1989 में हुआ एक वाकया सुनाया.

अभिनेता ने याद किया कि उन्हें दिल्ली बुलाया गया था, क्योंकि उनकी फिल्म ‘रुद्रवीणी’ को नरगिस दत्त पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि पुरस्कार समारोह से एक दिन पहले सरकार ने एक चाय कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसके दौरान वह भारतीय सिनेमा के इतिहास को चित्रित करने वाली एक दीवार को देख रहे थे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने याद आया कि उस दीवार पर पृथ्वीराज कपूर से लेकर अमिताभ बच्चन तक के चित्रों को उनके बारे में एक संक्षिप्त विवरण के साथ चित्रित किया गया था.

चिरंजीवी ने खुलासा किया, ‘मैं दीवार के किनारे दक्षिण की फिल्मों के संबंध में कुछ देखने की उम्मीद में चलता रहा. हालांकि उस पर सिर्फ जयललिता के साथ एमजीआर और प्रेम नजीर की एक तस्वीर ही थी. उन्होंने सिर्फ इसे ही साउथ फिल्म्स का नाम दे दिया था.’

उन्होंने कहा, ‘वे राज कुमार या विष्णुवर्धन, एनटी रामाराव या नागेश्वर राव या शिवाजी गणेशन… यहां तक कि हमारे उद्योगों के दिग्गज फिल्म निर्माताओं को नहीं पहचानते थे. उस पल मैं बहुत अपमानित महसूस कर रहा था. यह अपमान जैसा था.’

चिरंजीवी ने आगे कहा, ‘उन्होंने हिंदी सिनेमा को भारतीय सिनेमा के रूप में चित्रित किया था, जबकि अन्य फिल्मों को ‘क्षेत्रीय फिल्म’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था और उन्हें सम्मान नहीं दिया गया था.’

उन्होंने कहा कि उन्होंने इसके बारे में तब बात की थी, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. हालांकि ‘बाहुबली’ या ‘आरआरआर’ जैसी फिल्मों को लेकर उन्हें गर्व महसूस होता है कि अब देश दक्षिण भारत के निर्देशकों, अभिनेताओं और लेखकों को पहचान रहा है. उन्होंने कहा कि फिल्मों ने क्षेत्रीय बाधाओं को तोड़ दिया है और सम्मानपूर्वक पैन इंडिया (राष्ट्रीय स्तर) फिल्म होने का तमगा अर्जित कर लिया है.

रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य रूप से तेलुगू भाषी फिल्मों में काम करने वाले अभिनेता चिरंजीवी ने कहा, ‘बाहुबली ने मुझे गौरवान्वित किया, क्योंकि इसने क्षेत्रीय और हिंदी सिनेमा के बीच के अंतर को पाट दिया और साबित कर दिया कि हम सभी भारतीय फिल्म उद्योग का हिस्सा हैं. इन फिल्मों ने तेलुगू दर्शकों को गौरवान्वित किया है. हमें बाहुबली और आरआरआर जैसी फिल्में देने के लिए एसएस राजामौली को सलाम. उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.’

चिरंजीवी ने यश की ‘केजीएफ चैप्टर 2’ और अल्लू अर्जुन की ‘पुष्पा: द राइज़’ फिल्म की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि इन फिल्मों की सफलता से प्रभास सहित ये अभिनेता राष्ट्रीय स्तर के अभिनेता बन गए हैं.

दक्षिण भारतीय अभिनेता चिरंजीवी का यह बयान ऐसे समय आया है, जब कुछ दिन पहले गृह मंत्रालय ने संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक में अमित शाह के हवाले से कहा था, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसला किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और इससे निश्चित रूप से हिंदी का महत्व बढ़ेगा. अब समय आ गया है कि राजभाषा को देश की एकता का महत्वपूर्ण अंग बनाया जाए. जब अन्य भाषा बोलने वाले राज्यों के नागरिक एक-दूसरे से संवाद करते हैं, तो यह भारत की भाषा में होना चाहिए.’

अमित शाह द्वारा हिंदी भाषा पर जोर दिए जाने की विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की थी और इसे भारत के बहुलवाद पर हमला बताया था. साथ ही विपक्ष ने सत्तारूढ़ भाजपा पर गैर-हिंदी भाषी राज्यों के खिलाफ ‘सांस्कृतिक आतंकवाद’ के अपने एजेंडे को शुरू करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.

इतना ही नहीं तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई ने कहा था कि हम भारतीय हैं, इसे साबित करने के लिए हिंदी सीखने की जरूरत नहीं. उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी तमिलनाडु के लोगों पर हिंदी थोपे जाने को न तो स्वीकार करेगी और न ही इसकी अनुमति देगी.

चिरंजीवी के अलावा कुछ दिन पहले ही हिंदी फिल्मों की तुलना में दक्षिण भारतीय फिल्मों को मिली जबरदस्त सफलता के संदर्भ में कन्नड अभिनेता किचा सुदीप ने कहा था कि आज हम ऐसी फिल्में बना रहे हैं, जो वैश्विक स्तर पर नाम कमा रही हैं.

एक वीडियो में दक्षिण भारतीय अभिनेता यश की फिल्म ‘केजीएफ: चैप्टर 2’ की जबरदस्त सफलता का जिक्र करते हुए सुदीप ने कहा था, ‘आपने कहा था कि कन्नड़ में एक पैन इंडिया (राष्ट्रीय स्तर की) फिल्म बनाई गई थी. मैं एक छोटा सा सुधार करना चाहता हूं. हिंदी अब राष्ट्रभाषा नहीं रही. वे (बॉलीवुड) आज पैन इंडिया फिल्में कर रहे हैं. वे तेलुगू और तमिल में डबिंग करके (सफलता पाने के लिए) संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन कुछ हो नहीं हो रहा है. आज हम (दक्षिण भारतीय) ऐसी फिल्में बना रहे हैं, जो हर जगह जा रही हैं.’